अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस : दुनिया की 30 फीसदी जैव विविधता संभालते हैं पहाड़

पहाड़ प्राकृतिक रत्न हैं जिन्हें संजोकर रखना चाहिए, वे दुनिया की 15 फीसदी आबादी का घर हैं।
भारत की जलवायु हिमालय पर्वतमाला पर निर्भर है और यह लाखों लोगों के लिए आश्रय स्थल रहा है जो हिमालय में किसी भी प्रभाव से प्रभावित होते हैं।
भारत की जलवायु हिमालय पर्वतमाला पर निर्भर है और यह लाखों लोगों के लिए आश्रय स्थल रहा है जो हिमालय में किसी भी प्रभाव से प्रभावित होते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
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अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस हर साल 11 दिसंबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पहाड़ों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के महत्व को बताना है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पहाड़ दुनिया के लगभग आधे जैव विविधता हॉटस्पॉट और सभी प्रमुख जैव विविधता क्षेत्रों के 30 प्रतिशत की मेजबानी करते हैं।

दुनिया भर में आधे से अधिक लोग अपनी रोजमर्रा के पानी से संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्वतों से बहने वाले पानी पर निर्भर है। दुनिया भर का 80 प्रतिशत भोजन 20 वनस्पति प्रजातियों से हासिल होता है, जिनमें से छ प्रजातियां पहाड़ों में उत्पन्न होती हैं तथा उनमें विविधता आई है, जैसे मक्का, आलू, जौ, ज्वार, टमाटर और सेब आदि।

पहाड़ प्राकृतिक रत्न हैं जिन्हें संजोकर रखना चाहिए। वे दुनिया की 15 फीसदी आबादी का घर हैं। पहाड़ कृषि को बनाए रखने और स्वच्छ ऊर्जा और दवाइयों की आपूर्ति में मदद करते हैं।

दुःख की बात यह है कि प्रदूषण के कारण पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में है। माइक्रोप्लास्टिक माउंट एवरेस्ट की चोटी तक भी पाया गया है। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की मानें तो 84 प्रतिशत स्थानीय पर्वतीय प्रजातियां विलुप्त होने के खतरे में हैं।

खड़ी ढलानों का मतलब है कि खेती, बस्तियों या बुनियादी ढांचे के लिए जंगलों को साफ करने से मिट्टी का कटाव हो सकता है और साथ ही घरों को भी नुकसान पहुंच सकता है। कटाव और प्रदूषण नीचे की ओर बहने वाले पानी की गुणवत्ता और मिट्टी की उत्पादकता को नुकसान पहुंचाते हैं।

वास्तव में, विकासशील देशों में 31.1 करोड़ से अधिक ग्रामीण पहाड़ी लोग प्रगतिशील भूमि क्षरण वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें से 17.8 करोड़ को खाद्य असुरक्षा के प्रति संवेदनशील माना जाता है।

यह समस्या हम सभी को प्रभावित करती है। हमें अपने कार्बन पदचिह्न को कम करना चाहिए और इन प्राकृतिक खजानों की देखभाल करनी चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस, जिसे 2003 से खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के माध्यम से मनाया जाता है। जो जीवन के लिए पहाड़ों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करता है, पर्वत विकास में अवसरों और बाधाओं पर प्रकाश डालता है और ऐसे गठबंधन बनाता है जो दुनिया भर में पर्वतीय लोगों और पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव लाएंगे।

भारत की जलवायु हिमालय पर्वतमाला पर निर्भर है और यह लाखों लोगों के लिए आश्रय स्थल रहा है जो हिमालय में किसी भी प्रभाव से प्रभावित होते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस, की स्थापना संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा 2003 में पहाड़ों में सतत विकास और जीवन के लिए पहाड़ों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी।

यह दिन एक स्थायी भविष्य के लिए पर्वत समाधान- नवाचार, अनुकूलन और युवाओं को शामिल करना है। पर्वत से संबंधित जटिल मुद्दों को हल करने के लिए नवाचार जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट ने उल्लेख किया कि इसमें तकनीकी प्रगति के साथ-साथ जलवायु-स्मार्ट कृषि जैसे रचनात्मक समस्या-समाधान भी शामिल हैं।

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