किस तरह हो शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन: शोध

शहरीकरण का प्रभाव शहरों में अलग-अलग होता है, गर्म और कम वनस्पति वाले शहरों में वन्यजीव विविधता में अधिक गंभीर गिरावट देखी जा रही है।
फोटो साभार: आईस्टॉक
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एक नए शोध में इस बात की जांच पड़ताल की गई है कि, शहरीकरण, प्रजातियों की विशेषता और पर्यावरणीय कारण शहरी वन्यजीवों को किस तरह परस्पर असर डालते हैं। बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन की स्थिति में प्रभावी संरक्षण के लिए शोध आवश्यक है। यह शोध एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी, के नेतृत्व में किया गया है।   

नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित शोध में, शहरीकरण, जलवायु और प्रजातियों की विशेषता स्थानीय स्तर से महाद्वीपीय पैमाने तक स्तनपायी समुदायों को आकार देते हैं। शोधकर्ताओं ने शहरों में वन्यजीवों की स्थिती का पता लगाने के लिए, 20 उत्तर अमेरिकी शहरों में 725 कैमरों और बहु-प्रजाति मॉडलिंग से आंकड़ों का उपयोग किया।

साथ ही उन्होंने, शहरीकरण-विविधता संबंधों पर पारिस्थितिकी क्षेत्रीय विशेषताओं और प्रजातियों की विशेषताओं के प्रभावों का आकलन भी किया। 

अध्ययन में पाया गया है कि शहरीकरण, मानवजनित जलवायु परिवर्तन के साथ, स्थानीय स्तर पर वन्यजीव समुदायों पर बुरा प्रभाव डालता है, जिससे प्रजातियों के निवास, समृद्धि और विविधता में कमी आती है।

शहरीकरण का प्रभाव शहरों में अलग-अलग होता है, लेकिन क्षेत्रीय पर्यावरणीय विशेषताओं से काफी प्रभावित होता है, गर्म और कम वनस्पति वाले शहरों में वन्यजीव विविधता में अधिक गंभीर गिरावट देखी जा रही है।

शोध के हवाले से बताया गया है कि, कैमरे से लिए गई तस्वीरों में स्तनपायी की पहचान छात्रों, संकाय, स्वयंसेवकों और वन्यजीव पेशेवरों सहित प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा की गई थी। जबकि मध्यम से बड़े आकार के स्तनपायी प्रजातियां यहां अच्छी तरह से फल-फूल रहे हैं, छोटे शरीर वाली प्रजातियां कम पाए गई थी या उनका बिल्कुल भी पता नहीं लग पाया था।

शहरों में, क्षेत्रीय पर्यावरणीय बदलावों ने व्यापक क्षेत्रीय प्रजातियों की समृद्धि की तुलना में स्थानीय प्रजातियों के रहने और सामुदायिक संरचना को काफी हद तक प्रभावित किया। वनस्पति, हरियाली, तापमान और आसपास के शहरीकरण ने गर्म, कम वनस्पति वाले शहरों में रहने वाले वन्यजीवों को प्रभावित किया।

प्रजातियों के लक्षण, विशेष रूप से शरीर का आकार, वन्यजीवों पर शहरीकरण के प्रभावों की मध्यस्थता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देखे गए, हालांकि मांसाहारी, सर्वाहारी या शाकाहारी होने का कोई बड़ा प्रभाव नहीं देखा गया।

हालांकि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि शहरीकरण आम तौर पर जानवरों की आबादी को कम करता है, अध्ययन से पता चलता है कि संरक्षण रणनीतियों को देशी वन्यजीवों पर शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन दोनों के प्रभावों पर विचार करना चाहिए।

बड़े शरीर वाली प्रजातियों के लिए संसाधन और आवास प्रदान करके प्रभावों को कम किया जा सकता है, विशेष रूप से वर्तमान में शहरीकरण वाले वातावरण में जहां निवास स्थान को परिवर्तित किया जा रहा है या शहरीकृत व्यवस्था में शामिल किया जा रहा है।

निष्कर्ष उचित और अनुकूल संरक्षण संबंधी दृष्टिकोण की जरूरतों पर जोर देते हैं जो प्रत्येक शहरी वातावरण और उनमें रहने वाली प्रजातियों की अनूठी विशेषताओं को ध्यान में रखते हैं।

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