वन अधिकार कानून को लेकर मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में आदिवासियों ने प्रदर्शन किया। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
वन अधिकार कानून को लेकर मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में आदिवासियों ने प्रदर्शन किया। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा

वन अधिकार कानून पर वनवासियों को राहत, दावे पर दोबारा होगी सुनवाई

वन अधिकार कानून के तहत आदिवासियों और अन्य वनवासियों के 3 लाख 60 हजार से अधिक दावे निरस्त किए गए थे, जिनपर एक बार फिर सुनवाई शुरू हो गई है।
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मध्यप्रदेश सरकार ने वन अधिकार कानून के क्रियांवयन पर वनवासियों के पक्ष में फैसला लेते हुए सभी निरस्त हुए दावों पर पुनर्विचार करना शुरू किया है। इस फैसले के बाद प्रदेश के गावों में ग्राम सभाओं का आयोजन होने लगा है। वन अधिकार कानून में निरस्त हुए दावों की संख्या को देखते हुए मध्यप्रदेश के वनवासियों पर इस कानून का सबसे अधिक असर हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक 30 जून से पहले तक 3,60,181 वन अधिकार के दावों को सरकार ने निरस्त किया है। मध्यप्रदेश में अबतक वन भूमि पर 6,26,511 दावे आ चुके हैं। पूरे देश में अबतक 10 लाख से अधिक आदिवासियों के दावे निरस्त हो चुके है।

सरकार के मुताबिक एक सप्ताह के भीतर वन अधिकार कानून के तहत निरस्त किए दावों पर फिर से सुनवाई की जाएगी। इस दौरान ग्राम सभाओं में दावों के अनुरूप दावेदारों को अपने कागजात दिखाने का मौका मिलेगा। ग्राम सभा में ग्रामवार समिति के सदस्य, पटवारी, वीटगार्ड, सरपंच, सचिव,रोजगार सहायक एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के कर्मचारी संबंधित ग्राम सभाओं में उपस्थित रहकर अमान्य दावों का गहन परीक्षण कर अपने अभिमत के साथ उपखण्ड स्तरीय समिति को दावे उपलब्ध कराएंगे। इसके बाद जिला स्तर पर दावों की पुष्टि होगी और अंतिम निर्णय लिया जाएगा। 

इस फैसले पर मध्यप्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने डाउन टू अर्थ से बातचीत में कहा कि प्रदेश में भारी मात्रा में आदिवासी के वन भूमि पर दावे निरस्त किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद उन आदिवासियों और अन्य वनवासियों पर विस्थापन का खतरा था। इस वजह से सरकार ने एक बार फिर अमान्य दावों पर पुनर्विचार करने का फैसला लिया है। उनकी सरकार आदिवासियों के हितों के लिए समर्पित है। मरकाम कहते हैं कि उनके विभाग ने वन मित्रों के माध्यम से दावेदारों को जागरूक कर उन्हें आवेदन प्रक्रिया में मदद करने का भी फैसला लिया है। वन मंत्री के मुताबिक विभाग ने एक ऑनलाइन माध्यम भी तैयार किया है जिससे कम समय में वन अधिकार कानून पर कार्रवाई संभव हो सकेगा। वन मित्र कार्यक्रम को सबसे पहले होशंगाबाद जिले में लागू किया गया था।

कैसे काम करेगा ऑनलाइन सिस्टम 

इस नए माध्यम से दावे लगाने के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया जा सकता है। ग्राम रोजगार सहायक भी इस प्रक्रिया को समझने में मदद कर सकते हैं। विभाग के मुताबिक इस ऑनलाइन सिस्टम में पारदर्शिता है क्योंकि हर स्तर पर आवेदन अपने आवेदन की स्थिति जान सकता है।

वन अधिकार कानून को लेकर लगातार हो रहा विरोध

मध्यप्रदेश में वन अधिकार कानून को लेकर आदिवासी और वनवासी काफी सक्रिए हो गए हैं। इसी महीने बुरहानपुर जिले से नेपानगर वन क्षेत्र में वन विभाग की टीम को भारी विरोध झेलना पड़ा था। वन विभाग की टीम जिस स्थान को अतिक्रमण मान रही है, आदिवासी उसपर वन अधिकार अधिनियम के तहत दावा कर रहे हैं। इस घटना में चार आदिवासी गोली लगने से घायल भी हुए। इसके बाद बुरहानपुर जिले में आदिवासी कार्रवाई की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।

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