
अरावली की गोद में बसे गांव मंडावर की 260 एकड़ वन क्षेत्रीय भूमि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ)को बेचने का मामला प्रकाश में आया है। नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ने तत्काल प्रभाव से इस भूमि पर हर तरह के निर्माण कार्यों और पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है। साथ ही इस प्रतिबंधित जमीन को बेचने की मंशा का खुलासा करने के लिए प्रदेश के वन विभाग से 29 जनवरी 2020 तक जवाब तलब किया है।
मंडावर गांव दिल्ली से सटे गुरूग्राम से अलवर जाने के रास्ते में सोहना खंड में स्थित है। गांव की पंचायत ने एक प्रस्ताव पास कर 22 सितंबर को पंचायत की वन भूमि सीआईएसएफ को 104 करोड़ रुपये में बेच दी थी। अरावली का यह इलाका फरीदाबद को भी छूता है। यह क्षेत्र काफी हरा-भरा है और पेड़-पहाड़ों से घिरा है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक जंगली जीव-जंतु और पशु-पक्षी रहते हैं। मगर इस क्षेत्र में तेजी से कंक्रीट के जंगल भी फैलते जा रहे हैं, जिससे जंगली जीवों पर शामत आई हुई है। वन क्षेत्र की भूमि बिकने की जानकारी मिलने और वन-जीवों पर मंडराते खतरे के बादल को देखते हुए मानेसर के पूर्व सरपंच रामअवतार यादव ने इसकी शिकायत एनजीटी में कर दी थी, जिसपर संज्ञान लेते हुए 14 नवंबर को सीआईएसएफ को बेची गई जमीन पर हर तरह के निर्माण कार्य और 18 नवंबर को पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी थी।
हालांकि, रोक के बावजूद इस प्रतिबंधित वन भूमि पर सीआईएसएफ की गतिविधियां जारी हैं। गुरूग्राम के जिला वन अधिकारी सुभाष यादव का कहना है कि उनके विभाग की ओर से तत्तकाल सारी गतिविधियां बंद करने संबंधित नोटिस सीआईएसएफ को दे दिया गया है। इसके बावजूद वहां भूमि समतल करने, सफाई अभियान चलाने और पेड़ों को जलाने की शिकायतें मिल रही हैं।
सवाल है कि मंडावर ग्राम पंचायत ने प्रतिबंधि भूमि का सीआईएसएफ को ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करने के लिए जमीन का सौदा कैसे किया ? उसे किसने इसकी इजाजत दी ? पंजाब हरियाणा भूमि संरक्षण कानून 1900 के तहत अरावली से लगती जमीन पर किसी तरह के गैर वानिकी कार्य नहीं किए जा सकते। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1997,2004 एवं 2018 में दिए गए आदेशों के मुताबिक भी वन भूमि का सौदा गैरकानूनी है। इन बंदिशों के बावजूद प्रदेश की मानोहरलाल खट्टर सरकार इस वर्ष ऐसा ही एक प्रयास फरवरी में भी कर चुकी है।
विधानसभा में प्रस्ताव लाकर पंजाब हरियाणा भूमि संरक्षण अधिनियम 1900 में बदलाव लाने का प्रयास किया गया ताकि वन भूमि का सौदा किया जा सके। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री मनोहरलाल की दलील थी कि इस अधिनियम की वजह से दिल्ली से लगते हरियाणा के क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के विस्तार अड़चनें आ रही हैं। इस लिए सरकार विधियक में बदलाव लाना चाहती है ताकि तमाम अड़चनें दूर की जा सकें। मगर वन एवं पर्यावरण प्रेमियों को सरकार की दलीलें सही नहीं लगतीं। इस लिए इसका व्यापक विरोध किया गया, जिसका संज्ञान लेते हुए सुप्रीमा कोर्ट ने प्रदेश सरकार के विधियक लाने पर रोक लगा दिया। ग्रीन इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉक्टर जगदीश चौधरी कहते हैं कि सरकार के ऐसे प्रयासों के सिरे चढ़ने से अरालवी की हरियाली और इसमें बसे जीव-जंतुआंें को सर्वाधिक नुक्सान पहुंचेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली को उजाड़ने की निरंतर हो रही कोशिशों पर अंकुश लगाने के लिए 11 सितंबर को 2018 को एक आदेश जारी किया था कि 18 अगस्त 1992 के बाद वन क्षेत्र में होने वाले तमाम निर्माण ढहा दिए जाएं। इस आदेश की जद में फरीदाबाद के सूरजकुंड का पॉश इलाका कांत एक्लेव में भी आ गया है। इसके अलावा इस क्षेत्र में दर्जनों बैंक्वेट हाल, फार्म हाउस, होटल और बड़े शिक्षण संस्थान भी हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूर्ण अमल हुआ तो इनका साफाया हो जाएगा। हालांकि दिखावे के लिए इस वर्ष अप्रैल में कांत एंक्लेव के कुछ हिस्से में तोड़-फोड़ हुई थी। उसके बाद सब शांत हो गया। इसके बावजूद अभी यहां के निर्माणों पर सुप्रीम कोर्ट की तलवार लटकी हुई है।
आरोप है कि इन निर्माणों को बचाने और अपने चहेते बिल्डरों, कारोबारियों और उद्यमियों को अरावली में बसाने के लिए मनोहर लाल सरकार विधानसभा में विधेयक लाकर पंजाब हरियाणा भूमि संरक्षण अधिनियम 1900 में तरमीम करना चाहती है। अनशनकारी बाबा रामकेवलम सवाल उठाते हैं कि जो संशोधन पिछले पचास वर्षों से लटका है, उसके साथ छेड़खानी करने में प्रदेश सरकार क्यों लगी है? अरावली वन बचाव संघर्ष समिति के अध्यक्ष मनमोहन विधुड़ी का आरोप है कि सरकार की शह पर तमाम प्रतिबंधों के बावजूद अरावली क्षेत्र में निमर्ण कार्य जारी है। इसके अलावा पाली, गोढरा, मोहब्बताबाद, अनखीर, मेवला महाराजपुर, अनंगपुर, मांगर, गुड़गांव पाली रोड, सिलाखड़ी, कोट, सूरजकुंड रोड पर अरावली की पहाड़ियों से छेड़-छाड़ की शिकायतें आती रहती हैं।
मंडावर पंचायत की प्रतिबंधित जमीन का सीआईएसएफ के साथ सौदा करने को लेकर भी खट्टर सरकर की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।