‘साशा’ की मौत के बाद उठे सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने चीता टास्क फोर्स में शामिल विशेषज्ञों की योग्यता पर मांगी जानकारी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
‘साशा’ की मौत के बाद उठे सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने चीता टास्क फोर्स में शामिल विशेषज्ञों की योग्यता पर मांगी जानकारी
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28 मार्च, 2023 को कूनो नेशनल पार्क में हुई चीता 'साशा' की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी मिली है कि इस मादा चीता की मौत गुर्दे की विफलता के कारण हो गई थी। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय ने चीता टास्क फोर्स में शामिल विशेषज्ञों की योग्यता पर जानकारी मांगी है।

सुप्रीम कोर्ट ने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को "टास्क फोर्स में शामिल सदस्यों की योग्यता और अनुभव के संबंध में एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी निर्दिष्ट दिया है कि कौन से सदस्य चीता प्रबंधन में क्या विशेषज्ञता रखते हैं।

इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांतो चंद्र सेन का कहना है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) द्वारा नियुक्त टास्क फोर्स में कुछ ऐसे सदस्य शामिल थे, जिनके पास चीता प्रबंधन में विशेषज्ञता नहीं है।

सामुदायिक रसोई योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को पूरे देश में सामुदायिक रसोई खोलने के मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए आठ हफ्तों का समय दिया है। वहीं केंद ने मामले में "निर्देश सुरक्षित" करने के लिए समय मांगा है।

गौरतलब है कि अदालत 27 मार्च 2023 को सामाजिक कार्यकर्ता अनु धवन, ईशान धवन और कुंजना सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में उन्होंने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और कुपोषण से लड़ने के लिए सभी राज्यों में रियायती कैंटीन खोलने की मांग की थी।

केवल तीन कीटनाशकों पर ही प्रतिबन्ध क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि उसने देश में केवल तीन कीटनाशकों को ही प्रतिबंधित करने के लिए क्यों लिस्ट किया है। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है। इस हलफनामें में केंद्र को इस बात की जानकारी देनी है कि, "किस आधार पर केवल तीन कीटनाशकों के संबंध में ही कार्रवाई की गई है।"

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को डॉक्टर एस के खुराना समिति की अंतिम रिपोर्ट और डॉक्टर टी पी राजेंद्रन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा 6 सितंबर, 2022 को सबमिट रिपोर्ट को भी ऑन रिकॉर्ड रखने का निर्देश दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पमिदिघंतम श्री नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जमशेद बुर्जोर पारदीवाला की पीठ ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 28 अप्रैल 2022 की तारीख दी है।

गौरतलब है कि एनजीओ वनशक्ति और अन्य के द्वारा दायर याचिकाओं में भारत में बिक रहे हानिकारक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी, क्योंकि वे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करते हैं।

बिना कोर्ट को बताए रैन बसेरों को ध्वस्त न करे डीयूएसआईबी: सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी), दिल्ली पुलिस, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली एनसीआर में अन्य सभी प्राधिकरणों को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वो कोर्ट से पूछे बिना वर्तमान में गीता घाट और अन्य स्थानों पर चल रहे तीन आश्रयों को ध्वस्त न करें।

साथ ही कोर्ट ने डीयूएसआईबी को दिल्ली पुलिस, डीडीए या किसी अन्य एजेंसी के आदेश पर ध्वस्त किए गए आश्रयों के स्थान पर वैकल्पिक आश्रयों के निर्माण के लिए अगले छह सप्ताह के भीतर एक योजना पेश करने को कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य स्तरीय समिति को दिल्ली में सभी सुविधाओं का निरीक्षण करने और उसपर अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।

गौरतलब है कि सराय काले खां में एक अस्थायी रैन बसेरे को गिराए जाने पर आवेदकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड का कहना है कि तीन अन्य अस्थायी आश्रय आसपास के क्षेत्र में मौजूद हैं और जो लोग ध्वस्त आश्रय में शरण मांग रहे हैं उन्हें इसमें ठहराया जा सकता है।  वहीं आवेदक ने इसका यह कहते हुए विरोध किया है कि डीयूएसआईबी ने कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान आठ और अस्थाई रैन बसेरों को ध्वस्त कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 28 मार्च 2023 को दिए आदेश में कहा है कि डीयूएसआईबी और अधिकारियों के पास ध्वस्त किए गए आश्रयों की जगह कोई नया आश्रय बनाने का प्रस्ताव नहीं है। वहीं डीयूएसआईबी का तर्क है कि अन्य स्थाई आश्रयों में पर्याप्त जगह मौजूद है।

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