नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर नैना देवी हिमालयन बर्ड कंजर्वेशन रिजर्व में होटलों द्वारा बनाई अवैध सड़कों की जांच के लिए समिति गठित की गई है। मामला उत्तराखंड के नैनीताल में बुद्ध-पंगोट क्षेत्र का है, जहां वन विभाग के सहयोग से आरक्षित वन भूमि पर सड़क का निर्माण किया गया है।
आरोप है कि इस सड़क का निर्माण 2017 में शुरू हुआ था और वो दिसंबर 2022 तक जारी रहा। इस दौरान, सड़क के किनारों पर वन भूमि को काटकर सड़क को चौड़ा किया गया, जो 1980 के वन संरक्षण अधिनियम और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 28 मार्च, 2019 को जारी दिशानिर्देशों के खिलाफ है।
अदालत का कहना है कि आवेदन में लगाए आरोप पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन और पर्यावरण से संबंधित महत्वपूर्ण सवालों को दर्शाते हैं।
कोर्ट के निर्देशानुसार उत्तराखंड के वन्यजीव वार्डन, उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नैनीताल के जिला मजिस्ट्रेट की एक संयुक्त समिति साइट का दौरा करेगी। वे उस भूमि के प्रकार का निर्धारण करेंगे जहां कथित सड़क बनाई गई है। साथ ही समिति सड़क निर्माण के दौरान काटे गए पेड़ों की भी जांच करेगी। वो पर्यावरणीय क्षति का आंकलन करेगी और जरूरत पड़ने पर बहाली से जुड़े आवश्यक उपायों की भी सिफारिश करेगी।
साथ ही अदालत ने समिति को सड़क निर्माण के लिए जिम्मेवार होटल मालिकों या व्यक्तियों के नाम और पूरे पते उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
एनजीटी ने सरकार से डोडा में लोगों के पुनर्वास के लिए उठाए कदमों पर मांगी रिपोर्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जम्मू-कश्मीर सरकार को डोडा में मकानों में आई दरारों के चलते विस्थापित परिवारों के पुनर्वास के लिए उठाए कदमों पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। 20 सितंबर, 2023 को कोर्ट ने इस मामले में सरकार से अल्प और दीर्घकालिक कार्य योजना के बारे में भी चार सप्ताह के भीतर जायजा मांगा है।
मामले में जम्मू-कश्मीर की ओर से पेश वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव ने अदालत को जानकारी दी है कि कार्य योजना दो सप्ताह के भीतर तैयार हो जाएगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि विस्थापित परिवारों के पुनर्वास में मदद के लिए तेजी से कदम उठाए जाएंगे।
मामला चिनाब घाटी के डोडा में भूस्खलन से जुड़ा है, जिसके चलते 21 इमारतों को नुकसान पहुंचा था। इसके कारण लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
चरखी दादरी में पर्यावरण को दूषित कर रही नमक फैक्ट्री, दावों की जांच के लिए एनजीटी ने दिए निर्देश
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को 21 सितंबर, 2023 को चरखी दादरी में नमक फैक्ट्री के कारण प्रदूषित होते पर्यावरण के दावों की जांच करने का निर्देश दिया है। 21 सितंबर, 2023 को दिया यह निर्देश हरियाणा में चरखी दादरी के दोखा दीना गांव से जुड़ा है, जहां कोहिनूर ब्लैक साल्ट नामक कंपनी नमक फैक्ट्री चला रही है।
आवेदन में कहा गया है कि फैक्ट्री मिट्टी के बर्तन में सफेद नमक को गर्म करके उसके रंग को बदलने का काम कर रही है। दावा है कि इस प्रक्रिया में कोयले और प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया जा रहा है, जिससे हानिकारक धुआं निकलता है जो आसपास के स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। इसके अतिरिक्त, यह भी आरोप है कि फैक्ट्री बचे हुए नमक और कचरे का निपटान गलत तरह से खुली जमीन पर कर रही है जो कृषि भूमि की उर्वरता पर बुरा प्रभाव डाल रहा है। इतना ही नहीं इस फैक्ट्री ने अधिकारियों से आवश्यक पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) भी नहीं ली है।
ऐसे में ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इसकी जांच करने और यूनिट द्वारा पर्यावरण मंजूरी ली गई है या नहीं इसका पता लगाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि यदि कोई उल्लंघन पाया जाता है तो बिना किसी देरी के उद्योग की बात सुनने के बाद उसपर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
अदालत ने बोर्ड को जांच के लिए आठ सप्ताह की अवधि दी है और अगले 10 सप्ताह के भीतर एनजीटी के समक्ष की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।