महानंदा वन्यजीव अभयारण्य के आसपास खनन का मामला, आरोपों की जांच के लिए समिति गठित

एनजीटी ने महानंदा वन्यजीव अभयारण्य के इको-सेंसिटिव जोन में चल रहे पत्थर खनन के कारोबार के आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम को निर्देश दिया है
महानंदा वन्यजीव अभयारण्य के आसपास खनन का मामला, आरोपों की जांच के लिए समिति गठित
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने महानंदा वन्यजीव अभयारण्य के इको-सेंसिटिव जोन में चल रहे पत्थर खनन के कारोबार के आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम को निर्देश दिया है। मामला पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले का है।

कोर्ट के निर्देशानुसार समिति साइट का दौरा करने के बाद तीन सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। इस मामले में एनजीटी ने अपने 20 सितंबर, 2023 को दिए आदेश में कहा है कि यदि वहां उल्लंघन पाया जाता है, तो समिति को जुर्माना के साथ-साथ पर्यावरणीय मुआवजे की सिफारिश करनी चाहिए। कोर्ट ने इसकी बहाली के लिए उपायों के बारे में भी समिति से जानकारी मांगी है।

इस मामले में एनजीटी की पूर्वी पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जलपाईगुड़ी के जिला मजिस्ट्रेट, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) के साथ खनन से जुड़े उद्योग को भी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

स्टोन क्रशिंग यूनिट पर भारी मात्रा में वायु प्रदूषण फैलाने का आरोप है। यह प्रदूषण खनन और स्टोन क्रशर के संचालन के दौरान उत्पन्न होता है, जिसमें क्रशिंग, ड्रिलिंग, लोडिंग और ढुलाई जैसी गतिविधियां शामिल हैं, जो हवा में धूल छोड़ती हैं।

इतना ही नहीं स्टोन क्रशर यूनिट में जॉ क्रशर, रोलर क्रशर, कोन क्रशर, इम्पैक्टर और रोटोपेक्टर जैसी मशीनें लगी हैं, जो सभी भारी मात्रा में धूल पैदा करती हैं। इसके अतिरिक्त, जब भारी वाहनों का उपयोग करके पत्थर के चिप्स को ट्रांसपोर्ट किया जाता है, तो इससे भी धूल का उत्सर्जन होता है।

एनजीटी ने चार महीनों के भीतर बाढ़ रेखाओं को चिन्हित करने का दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पश्चिमी पीठ ने महाराष्ट्र के जल संसाधन विभाग को चार महीनों के भीतर धुले, नंदुरबार और जलगांव में नीली और लाल बाढ़ रेखा को चिह्नित करने का काम पूरा करने का निर्देश दिया है। इस मामले में जल संसाधन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अकोला जिले में दो नदियां मोरना और विदरूपा बहती हैं। इनके 12 और आठ किलोमीटर के सीमांकन का काम जारी है, जो सितंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा।

गौरतलब है कि धुले, नंदुरबार और जलगांव में 2019 से 2022 के बीच हाल के वर्षों में अचानक आई बाढ़, बादल फटने और भारी बारिश की घटनाओं को देखते हुए तीनों जिलों में नीली और लाल बाढ़ रेखा को चिह्नित करने के लिए कहा गया था। यह काम प्रगति पर है, हालांकि कोर्ट के मुताबिक इसके लिए कोई समयसीमा नहीं दी गई है।

बता दें कि यह बाढ़ रेखाएं दो प्रकार की होती हैं, लाल और नीली। जहां नीली बाढ़ रेखाएं हर 25 साल में आने वाली बाढ़ के स्तर को चिह्नित करती हैं जबकि लाल बाढ़ रेखाएं हर 100 साल में आने वाली बाढ़ के स्तर को चिह्नित करती हैं।

बिधाननगर में डंपसाइट को अनुमति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ की जाए कार्रवाई: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 20 सितंबर, 2023 को विधाननगर नगर निगम के आयुक्त को एक महीने के भीतर वार्ड संख्या 18 में डंपसाइट की अनुमति देने वाले अधिकारियों की पहचान करने के साथ-साथ उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने बिधाननगर नगर निगम को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि 2016 के नगरपालिका अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के अलावा किसी भी अन्य डंपसाइट को अनुमति नहीं देनी चाहिए। यदि क्षेत्र में रहने वाले लोगों सड़क पर कचरा फेंकते है इसकी सूचना तुरंत निगम को दी जानी चाहिए। साथ ही उन लोगों के खिलाफ एनजीटी की पूर्वी बेंच के आदेशानुसार उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

इस मामले में पश्चिम बंगाल शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के विभाग ने 18 सितंबर, 2023 को दायर अपने हलफनामे में कहा है कि साइट से कचरा साफ कर दिया गया है, और जगह को साफ कर दिया गया है।

उन्होंने आस-पास के घरों से कचरा छांटने के लिए रंग-कोडित डिब्बे भी लगाए हैं। ट्रिब्यूनल को यह भी सूचित किया गया है कि बिधाननगर नगर निगम के वार्ड नंबर 18 के भीतर नहर के किनारे केस्टोपुर नजरूल पार्क में डंपसाइट क्षेत्र को अच्छी तरह साफ कर दिया गया है और उसे रेत से ढक दिया गया है।

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