नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण मंत्रालय को पाखरो टाइगर सफारी परियोजना के लिए पेड़ों की अवैध कटाई पर एक रिपोर्ट सबमिट करने का निर्देश दिया है। यह परियोजना कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, उत्तराखंड में शुरू की जा रही है।
गौरतलब है कि कोर्ट ने उत्तराखंड में कालागढ़ टाइगर रिजर्व डिवीजन, जो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का हिस्सा है में 600 पेड़ों को अवैध रूप से काटे जाने पर छपी मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है। साथ ही कोर्ट ने भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) को अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की स्थिति का आकलन करने के लिए भी कहा है।
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) द्वारा 6 सितंबर, 2022 को इस मामले में दायर रिपोर्ट से पता चला है कि इस परियोजना के लिए पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया था। डीजी, वन विभाग, एडीजी, वन्यजीव विभाग और एडीजी, प्रोजेक्ट टाइगर की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी।
रिपोर्ट में बताया है कि टाइगर सफारी के लिए जितने पेड़ों को काटने की मंजूरी मिली थी उससे 163 से भी ज्यादा पेड़ों को काटा गया है। वहीं वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत द्वितीय चरण की मंजूरी लिए बिना ही काम शुरू किया गया था।
एनजीटी के न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और सुधीर अग्रवाल की पीठ ने 17 अप्रैल, 2023 को दिए अपने आदेश में कहा है कि समिति द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक न केवल पेड़ों को अवैध तरीके से काटा गया है साथ ही बहाली के लिए भी उपाय नहीं किए गए हैं। इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना किए गए निर्माण को हटाने की आवश्यकता थी। हालांकि, उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने कहा है कि निर्माण के लिए केंद्र सरकार के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।
एनजीटी ने डोडा में सड़क निर्माण पर लगाई रोक
एनजीटी ने अगले आदेश तक डोडा में एक सड़क के निर्माण पर रोक लगा दी है। मामला जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह में कैलाश कुंड-सेज धार क्षेत्र का है।
मामले में कोर्ट ने डोडा के उपायुक्त और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को सभी आवश्यक कदम उठाने का भी निर्देश दिया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि छत्तर गाला से सेज धार के रास्ते में कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए विचाराधीन सड़क के संबंध में कोई और निर्माण न हो।
इस मांमले में कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को समन जारी करने का भी निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने उन्हें 25 मई, 2023 को न्यायाधिकरण के समक्ष उपस्थित होने की भी बात कही है।
हमीरपुर में कचरा प्रबंधन के मामले में कोर्ट ने सरकारी रवैये पर जताई नाखुशी
एनजीटी ने 19 अप्रैल 2023 को सरकारी रवैये पर नाखुशी जताई है। मामला हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर के दुघनेरी गांव में कचरा प्रबंधन से जुड़ा है। इस मामले में अब तक न तो कोई रिपोर्ट सबमिट की गई है और न ही सुनवाई के समय शहरी विकास सचिव मौजूद थे। कोर्ट ने इस मामले में एक और मौका देते हुए इसकी सुनवाई को 21 जुलाई की तारीख दी है। आवेदन में वायु अधिनियम, 1981 एवं जल अधिनियम, 1974 के उल्लंघन की बात कही थी।
जानकारी दी गई है कि वहां कचरे का उचित प्रबंधन न करके उसके जलाया जा रहा है, जिसके कारण वायु प्रदूषण हो रहा है। इसके चलते बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। साथ ही मवेशियों को होते नुकसान के साथ जंगल की आग और वन्य जीवन को भी इससे नुकसान हो रहा है। इस बढ़ते कचरे के कारण बंदरों, जंगली कुत्तों और मैला ढोने वाले जीवों जैसे कौओं और गिद्धों की आबादी में भी वृद्धि हुई है।
पता चला है किट पहाड़ी इलाकों में डंप साइट ओवरफ्लो हो रही है और जल स्रोतों को दूषित कर रही है। यह जल स्रोत सिंचाई का एक स्रोत है। यह बातें आवेदक रीता शर्मा और अन्य द्वारा ने 9 दिसंबर, 2022 को दायर अपने आवेदन में कही हैं। पता चला है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा जारी रिपोर्टों को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर कई बार विचार किया गया है।
गौरतलब है कि इस मामले पर अंतिम बार 16 जनवरी, 2023 को नगर परिषद, हमीरपुर द्वारा दायर एक रिपोर्ट के आलोक में विचार किया गया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक पुराने कचरे का निपटान होना अभी बाकी है। ऐसे में अदालत ने हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास सचिव को जांच के साथ एक रिपोर्ट सबमिट करने का निर्देश दिया था।