पंजाब में पेड़ों की अवैध कटाई, काट-छांट और नुकसान पहुंचाने के मामले में शामिल अपराधियों को दण्डित करने के लिए वर्तमान में कोई कानूनी प्रावधान या तंत्र नहीं है। यह जानकारी एनजीटी द्वारा 17 मार्च, 2023 को दिए आदेश पर गठित संयुक्त समिति की ओर से प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा दायर रिपोर्ट में कही गई है।
ऐसे में मामले से जुड़े सभी विभागों और संस्थानों के प्रमुखों को समिति की सिफारिशों से अवगत कराया गया है और उन्हें सलाह दी गई है कि समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण की सुरक्षा को भी अपनी कामों में शामिल करें। साथ ही उनसे यह भी अनुरोध किया गया है कि वो इस सम्बन्ध में अपराधों से निपटने और कानूनी समर्थन सुनिश्चित करने के लिए विभागीय प्रक्रिया में कानून/नियमों के निर्माण पर जोर दें और मसौदा तैयार करें।
समिति ने यह भी पाया है कि वर्तमान में पेड़ों की अवैध कटाई में शामिल अपराधियों को दंडित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में विभागों और संस्थानों के पास ऐसे में एकमात्र विकल्प इस तरह के अपराधों के खिलाफ पुलिस में शिकायत या एफआईआर दर्ज करना है, जबकि अधिकारियों द्वारा अदालत में जुर्माना लगाने और अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए एक सक्षम तंत्र की आवश्यकता है, जो कानूनी तौर पर कार्रवाई कर सके।
दूसरे शब्दों में, एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है जो अधिकारियों को कानूनी रूप से दंडित करने और पेड़ से संबंधित अपराध करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में सक्षम बनाती है। दूसरे शब्दों में, इसके लिए एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है जो अपराधियों को कानूनी रूप से दंडित करने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में अधिकारियों को सक्षम बनाता है।
रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि लुधियाना नगर निगम को छोड़कर मामले से जुड़े सभी विभागों और संस्थानों ने अपने अधिकार क्षेत्र में पेड़ों की गणना के साथ-साथ उनको नम्बर देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। वहीं लुधियाना नगर निगम ने 31 दिसंबर, 2023 तक इसकी गणना के कार्य को पूरा करने का आश्वासन दिया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विशेष तौर पर खुले इलाकों, सार्वजनिक स्थानों, सड़कों, पार्कों आदि पर मौजूद पेड़ों को काटने और उनकी अवैध काट-छांट को रोकने के लिए एक निगरानी तंत्र की जरूरत है।
प्रदूषण की रोकथाम के लिए सोनभद्र में एनसीएल ने क्या कुछ उठाए हैं कदम, रिपोर्ट में दी गई जानकारी
नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल), सोनभद्र में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम और बहाली के लिए पर्यावरण नियमों के तहत उचित कार्रवाई कर रहा है। यह जानकारी 14 जून, 2023 को एनसीएल द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दायर अपनी 66 पेजों की रिपोर्ट में कही है।
मामला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में स्थित नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खड़िया परियोजना से जुड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम और बहाली के लिए पर्यावरण नियमों के तहत जरूरी उपाय किए गए हैं।
गौरतलब है कि नॉर्दर्न कोलफील्ड्स द्वारा यह रिपोर्ट, सोनभद्र के जिला मजिस्ट्रेट, और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त समिति द्वारा दायर रिपोर्ट के जवाब में सबमिट की गई है। पूरा मामला चिलकादड़ गांव में एनसीएल खड़िया परियोजना में कोयला ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही से होने वाले प्रदूषण से जुड़ा है।
नॉर्दर्न कोलफील्ड्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि संयुक्त समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए कंक्रीट की सड़क के निर्माण और कोयला ले जाने वाले वाहनों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए एक पीटीजेड कैमरा लगाया गया है। साथ ही उस क्षेत्र में लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है और उसपर हर दिन निगरानी रखी जा रही है।
साथ ही हॉल रोड के अलावा हरित पट्टी का विकास किया जा रहा है। हालांकि मौजूदा परिदृश्य के तहत हरित पट्टी के विकास के लिए 10 मीटर की जगह उपलब्ध नहीं होगी। फिर भी 2.4 मीटर ऊंची चारदीवार के निर्माण के बाद नियमित उपाय के रूप में आवश्यक होने पर खड़िया परियोजना द्वारा जो गैप है उसे भरने के लिए वृक्षारोपण किया जाएगा।
रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि चिलकटांड़ गांव सहित प्रभावित क्षेत्र के लिए सीमेंट की सड़क बनकर तैयार हो चुकी है और अब उक्त सड़क के जरिए खनिजों की ढुलाई की जा रही है। साथ ही कोयला ले जाने वाले वाहनों को तिरपाल से ढक कर रखा जाता है और उनपर ज्यादा कोयला लोड नहीं किया जाता है।
दिल्ली के छतरपुर एन्क्लेव के आस-पास जंगलों में डाला जा रहा कचरा, रोकने के लिए की जाएगी कार्रवाई
दिल्ली वन विभाग ने 7 जून, 2023 को एनजीटी में दायर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छतरपुर एन्क्लेव के आसपास वन क्षेत्र में कचरे की डंपिंग को रोकने के लिए लगातार गश्त की जाएगी।
इस मामले में शिकायत थी कि छतरपुर एंक्लेव में कूड़ा बीनने वालों ने सोसाइटी से कूड़ा एकत्र किया और उसमें सोसायटी के पास वन क्षेत्र में ले जाकर आग लगा दी थी, जिससे ने केवल वायु प्रदूषण हुआ साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा है।
गौरतलब है कि एनजीटी ने 10 जनवरी, 2023 को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, जिला वन अधिकारी और दक्षिणी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट को मामले की जांच का निर्देश दिया था। साथ ही कोर्ट ने समिति को इसकी बहाली और रोकथाम के लिए जरूरी उपाय करने को भी कहा था।
इस मामले में वन एवं वन्य जीव विभाग के अमले ने मौके पर जाकर मुआयना किया तो पाया की जमीन पर कूड़ा पड़ा था। रिपोर्ट के मुताबिक इस कचरे को साफ कर दिया गया है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने और क्षेत्र को डंपिंग से बचाने के लिए गश्त बढ़ाई जाएगी।