केरल सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपी अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि बीजी पी मैथ्यू नामक व्यक्ति इडुक्की के कुमिली में 'एलीफैंट कैंप' नामक हाथी सवारी चला रहा था। इस एलीफैंट कैंप के खिलाफ पीरमाडे फारेस्ट रेंज द्वारा केरल बंदी हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम 2012 के उल्लंघन के मामले में केस दर्ज कराया है।
इसी तरह पीरमाडे फॉरेस्ट रेंज द्वारा कुमिली में चल रहे टस्कर ट्रेन एलीफेंट कैंप के खिलाफ हाथी की सवारी करवाने के लिए केरल बंदी हाथी (प्रबंधन और रखरखाव) नियम 2012 के उल्लंघन में मामला दर्ज किया गया है।
रिपोर्ट में जानकरी दी गई है कि "पेरियार टाइगर रिजर्व के आसपास तीन और हाथी शिविर चल रहे हैं और इन शिविरों में करीब 20 हाथी हैं।" हालांकि, जानकारी दी गई है कि अभयारण्य के अंदर कोई एलीफैंट राइड नहीं है।
सरकार ने अदालत को यह भी बताया है कि 2022 में इडुक्की में दो बंदी मादा हाथियों (रंभा और दुलारी) की मौत हो गई थी। हथनी रंभा की मौत का कारण गंभीर रूप से हुआ इन्फेक्शन पायोमेट्रा था। वहीं दुलारी की मौत का कारण बुढ़ापे में हुए घावों के कारण कई अंगों की विफलता था।
खनन के लिए यमुना पर बनाए अस्थाई पुलों से नदी की इकोलॉजी को हो रहा है नुकसान: रिपोर्ट
खनन सामग्री को लाने ले जाने के लिए यमुना नदी पर बनाए अस्थाई पुलों का निर्माण न केवल नदी की पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा रहा है, साथ ही वो नदी के ई-फ्लो को भी प्रभावित कर रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक खनन और उससे जुड़ी सभी गतिविधियों के चलते पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को केंद्रीय कानूनों के तहत कवर किया गया है। ऐसे में राज्य सरकार के पास सिर्फ खनन के लिए यमुना पर अस्थाई पुलों के निर्माण से जुड़ी नीति बनाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। यह जानकारी 17 अप्रैल, 2023 को एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में दी है।
पूरा मामला यमुना नदी तल पर योद्धा माइंस एंड मिनरल्स द्वारा किए जा रहे अवैध खनन से जुड़ा है। साथ ही खनिक ने यमुना नदी पर अवैध पुल का निर्माण करके नदी मार्ग को भी प्रभावित किया है। गौरतलब है कि मैसर्स योद्धा माइन्स एंड मिनरल्स को जैनपुर गांव में 16 लाख टीपीए उत्पादन क्षमता के साथ रेत खनन के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने 28 जनवरी 2016 को पर्यावरण मंजूरी दी थी। मामला हरियाणा के सोनीपत जिले का है।
पता चला है कि सोनीपत में खनन के लिए दिया यह पट्टा मुख्य रूप से यमुना नदी के किनारे 34.4 हेक्टेयर क्षेत्र में, जबकि आंशिक रूप से नदी के किनारे 10 हेक्टेयर और उसके बाहर कुल 44.4 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है।
इस बारे में मूल सिद्धांत यह है कि खनन गतिविधियां केवल पर्यावरण मंजूरी के तहत निर्धारित अनिवार्य शर्तों के अनुरूप होने पर ही की जा सकती है। वर्तमान मामले में ऐसा कोई डॉक्यूमेंट नहीं है जो दर्शाता है कि खनन योजना और पर्यावरण मंजूरी में पुल बनाने की बात कही थी और उसके बाद ही इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई थी।
रामबन में सुरंग टी-77डी के निर्माण के चलते फसलों और कृषि भूमि को हुए नुकसान के बदले दिया जाना चाहिए मुआवजा
इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड को जम्मू कश्मीर में सुरंग टी-77डी के निर्माण के चलते फसलों और कृषि भूमि को हुए नुकसान की एवज में मुआवजा देना चाहिए। यह सुरंग उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक के लिए रामबन के चनार और बनकूट गांवों में बनाई गई है।
ऐसे में रिपोर्ट का कहना है कि कृषि अधिकारी द्वारा सत्यापित और उसकी देखरेख में इरकॉन को कृषि भूमि को दोबारा मूल अवस्था में बहाल किया जाना चाहिए। यह बातें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 10 फरवरी, 2023 को दिए आदेश पर संयुक्त समिति ने कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कही है।
संयुक्त समिति ने 31 मार्च, 2023 को इस साइट का दौरा किया था। आवेदक असगर अहमद नजर के साथ चनार, बनकूट गांव के लोग और परियोजना प्रस्तावक के प्रतिनिधि भी इस साइट दौरे के दौरान मौजूद थे।
टनल टी-77ए से निकलने वाले गंदे पानी के उपचार के लिए तीन कक्षों वाला एक सेडीमेंटशन टैंक सुरंग के उत्तरी हिस्से में बनाया गया है। लेकिन मिट्टी या कीचड़ के निपटान की कोई व्यवस्था नहीं थी।
पता चला है कि गांव के किनारे से गुजरने वाले नाले में अभी भी सुरंग का गंदा पानी बहाया जा रहा है। समिति ने पाया कि रेलवे से अधिग्रहीत भूमि में डंप के तल के साथ मलवा रखने के लिए एक गैबियन दीवार प्रदान की गई है। हालांकि सुरंग के उत्तरी हिस्से के पास परियोजना प्रस्तावक द्वारा प्रदान की गई गैबियन दीवार के ठीक नीचे मिट्टी का मिट्टी एक छोटा सा हिस्सा खिसकना शुरू हो गया है।
ऐसे में समिति ने सिफारिश की कि इस स्थान को छोड़ने से पहले परियोजना प्रस्तावक द्वारा ढलान की स्थिरता सुनिश्चित की जानी चाहिए। 17 अप्रैल 2023 को सबमिट इस रिपोर्ट में कोर्ट को बताया गया कि खनन, उद्यान, कृषि अधिकारी के साथ आसपास के गांवों के मकानों में आई दरार से जुड़े मुद्दों को इस रिपोर्ट में कवर किया गया है। साथ ही फसलों को हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग को रामबन के जिलाधिकारी द्वारा अलग से दायर किया जा रहा है।