क्या जंगलों को उजाड़कर बसाई जा रही है लिकाबली टाउनशिप परियोजना?

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
फोटो: वाइल्डफील.ब्लॉगस्पॉट.कॉम
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), कोलकाता की पूर्वी पीठ ने अरुणाचल प्रदेश के लोअर सियांग जिले में प्रस्तावित सिजी जिला मुख्यालय के खिलाफ दायर अपील को स्वीकार कर लिया है। इस मामले में मिर्जुम करबा ने एनजीटी के समक्ष 20 जुलाई, 2022 को एक आवेदन दायर किया था।

इस आवेदन में उन्होंने यह दलील दी थी कि लोअर सियांग जिला क्षेत्र का प्रस्तावित सिजी जिला मुख्यालय केन वन्यजीव अभयारण्य की सीमा में आता है जो पर्यावरण के दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील है। यह क्षेत्र जैव विविधता से समृद्ध है और विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का घर है। इतना ही नहीं जानकारी मिली है कि सिजी, मागी और केन क्षेत्र के आसपास हाथियों के आने जाने का मार्ग भी है।

आरोप लगाया गया है कि सिजी जिला मुख्यालय, लिकाबली टाउनशिप विस्तार का ही एक हिस्सा है, जोकि लिकाबली तहसील में स्थित है। इसमें केन वन्यजीव अभयारण्य और आसपास के अन्य समृद्ध वन क्षेत्र से घिरा करीब 414 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है। जानकारी मिली है कि प्रस्तावित स्थान उत्तर की ओर पहाड़ी क्षेत्र से घिरा हुआ है, जबकि इसके दक्षिण में सिजी नदी, पूर्व में बोक्सो धारा और पश्चिम में सुई नदी बहती है।

इस बारे में 2 सितंबर, 2022 को अदालत ने कहा है कि इस मामले पर विचार करने की जरुरत है। साथ ही कोर्ट ने प्रतिवादियों जिसमें पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, संभागीय वन अधिकारी लिकाबली वन प्रभाग, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, अरुणाचल प्रदेश सरकार, उपायुक्त, लोअर सियांग, जिला भू-राजस्व और बंदोबस्त अधिकारी, गृह मंत्रालय, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग और अरुणाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए हैं।

इस मामले में उक्त प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करना है और मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर, 2022 को होगी।

पर्यावरण उल्लंघन के मामले में बारगढ़ नगर पालिका को भरना पड़ सकता है हर माह एक लाख रुपए का जुर्माना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक संयुक्त समिति के गठन के निर्देश दिए हैं, जो ओडिशा के बारगढ़ नगरपालिका में पैदा हो रहे कचरे की मात्रा और उसमें से कितने कचरे का प्रबंधन किया जा रहा है उसकी जांच के बाद अपनी निरीक्षण रिपोर्ट दाखिल करेगी।

साथ ही यह समिति बायो माइनिंग प्रक्रिया के माध्यम से कितने पुराने कचरे का निपटान किया जा रहा है उसकी जानकारी भी देगी। साथ ही यह समिति प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 सहित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुपालन के संबंध में भी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

समिति कचरे के तत्काल उपचार के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट/फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना के संबंध में भी अपनी रिपोर्ट कोर्ट को देगी। कोर्ट ने समिति को बारगढ़ नगर पालिका में जीरा नदी के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम के जल विश्लेषण सम्बन्धी रिपोर्ट को भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस मामले में क्या उपचारात्मक उपाय किए जाने चाहिए और कितना पर्यावरणीय मुआवजा लेना चाहिए, इसकी गणना का काम भी समिति को सौंपा गया है।

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि यदि पर्यावरण का उल्लंघन पाया जाता है, तो बारगढ़ नगर पालिका को हर महीने एक लाख रुपए के जुर्माने का भुगतान करना होगा, जो 1 अप्रैल, 2020 से प्रभावी होगी।

ग्रीन फील्ड खनन परियोजना के मामले में कोर्ट ने झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगा जवाब

एनजीटी ने 1 सितंबर 2022 को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामला जिला लतीहार में दामोदर घाटी निगम द्वारा चलाई जा रही 6 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) क्षमता की ट्यूबड कोयला खदान परियोजना से जुड़ा है।

इस बारे में अपीलकर्ता आनंद कुमार झा का कहना है कि ग्रीन फील्ड खनन, पलामू टाइगर रिजर्व के टाइगर कॉरिडोर के पास है। साथ ही कोयले के परिवहन के लिए वहां एक अतिरिक्त सड़क का निर्माण भी किया जा रहा है। वहीं पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) रिपोर्ट तैयार करते समय इन सभी की जानकारी और कंटूर मैप नहीं दिए गए थे।

ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय शामिल नहीं

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि वो ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन में शामिल नहीं है।

हालांकि, भवन और निर्माण परियोजनाओं के संबंध में एमओईएफएंडसीसी अपनी क्षेत्रीय पर्यावरण विशेषज्ञ समिति (ईएसी) के माध्यम से उनका पर्यावरण मूल्यांकन करता है। साथ ही वो भवनों और निर्माण परियोजनाओं के लिए संशोधित पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना 2006 के प्रावधानों के अनुसार पर्यावरण मंजूरी जारी करता है, जिनका दायरा  20,000 वर्ग मीटर से 1,50,000 वर्ग मीटर के बीच होता है।

यह जानकारी एनजीटी द्वारा 12 जुलाई, 2022 को दिए आदेश के जवाब में एमओईएफ और सीसी, द्वारा 5 सितंबर, 2022 को दायर उत्तर में सामने आई है। गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक राजा सिंह ने भारत के ग्रीन बिल्डिंग रेटिंग उद्योग के नियमन और रेटिंग प्रणाली को सार्वजनिक जांच के तहत लाने के लिए एनजीटी के समक्ष आवेदन दायर किया था।

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