जैव विविधता संरक्षण के लिए तमिलनाडु में विधेयक

राज्य सरकार ने हाल ही में दो गांवों को जैव विविधता विरासत क्षेत्र घोषित किया है
जैव विविधता संरक्षण के लिए तमिलनाडु में विधेयक
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तमिलनाडु सरकार जैव विविधता के संरक्षण के लिए आगामी विधानसभा में विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार का कहना है कि विधेयक के पारित होने से राज्य में जैव विविधता की विरासत बचाने का रास्ता और आसान हो जाएगा। राज्य सरकार ने पिछले दिनों राज्य के मदुरै जिले में स्थित दो गांवों अरिट्टापट्टी और मीनाक्षीपुरम को जैव विविधता विरासत का प्रतीक करार दिया है। बताया गया है कि यहां कई ऐसी इमारतें हैं जो सदियों पुरानी हैं। साथ ही यहां कई ऐसी प्रजातियां हैं जो अब विलुप्त के कगार पर हैं, उनका संरक्षण जरूरी है।

तमिलनाडु सरकार ने इसके लिए एक अध्यादेश भी जारी किया है। राज्य सरकार की ओर से मदुरै जिले के अरीतापट्टी, मीनाक्षीपुरम सहित 193.215 हेक्टेयर क्षेत्र को जैव विविधता विरासत क्षेत्र घोषित किया गया। जैव विविधता महत्व वाले इस इलाके में हजारों साल पुरानी ऐतिहासिक विरासत और पक्षियों, कीड़ों और जीवों की दुर्लभ प्रजातियां अभी बची हुई हैं। ध्यान रहे कि साथ ही यहां की प्राचीन चट्टानें, कुदैवरा शिव मंदिर, दो हजार वर्ष पुराने जैन घाटियां आदि का संरक्षण पुरातत्व विभाग द्वारा किया जा रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार अरीट्टापट्टी गांव में सात बंजर ग्रेनाइट पहाड़ियों की एक श्रृंखला है। पहाड़ियों की विशेषता यह है कि यह प्राकृतिक रूप से वाटर शेड के रूप में यह काम करती है। यहां 72 झीलें,  200 प्राकृतिक झरने और तीन चेक डेम स्थित हैं। बताया गया है कि जल निकायों में से एक एनाइकोंडन झील 16वीं शताब्दी में पांड्यों के शासनकाल में निर्मित की गई थी। ध्यान रहे इस गांव में स्थित पहाड़ियों में 250 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। इस गांव में कई तमिल शिलालेख स्थित हैं, 2200 सौ साल पुराना रॉक कट मंदिर भी स्थित है।

तमिलनाडु के इस गांव को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित करने की प्रक्रिया में सबसे अच्छी बात यह रही है कि इसके लिए राज्य सरकार ने बकायदा केवल अधिसूचना जारी कर अपने काम से इतिश्री नहीं किया बल्कि गांव में आकर ग्राम सभा में इस पर चर्चा की गई। कहने का आशय कि सरकारी प्रक्रिया प्रजातांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रख कर पूरी की गई।

इसके लिए राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अतिरिक्त् मुख्य सचिव सुप्रिया साहु ने अपने एक ट्वीट में कहा कि अरीट्टपट्टी गांव को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित करने का निर्णय स्थानीय समुदायों, पुरातत्व विभाग, तमिलनाडु मिनरल्स लिमिटेड और गांव के अन्य हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद ही किया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदायों की भागीदारी से जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। इस प्रक्रिया के अपनाए जाने से क्षेत्र के समृद्ध जैविक और ऐतिहासिक भंडार को संरक्षित करने में मदद मिलेगी।

इस संबंध में तमिलनाडु जैव विविधता बोर्ड का कहना है कि संरक्षण का भविष्य अरिट्टापट्टी गांव जैसी छोटी विरासतों को बचाने में निहित है। बोर्ड के अनुसार अब तक राज्य में इस प्रकार से 36 जैव विविधता समृद्ध स्थलों को चिन्हत किया जा चुका है। अच्छी बात यह है कि इन स्थलों में से कम से कम चार से पांच स्थानों पर डाटा संग्रह का काम भी चल रहा है।

बोर्ड का कहना है कि हम इस प्रकार के स्थलों के संरक्षण के पूर्व प्रजातांत्रिक तरीकों से स्थानीय लोगों की रजामंदी से ही संरक्षित क्षेत्र घोषित करते हैं। बोर्ड का कहना है कि इस दिशा में हम एक और महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहे हैं, जिसमें ऐसे स्थलों के संरक्षण के लिए एक वैज्ञानिक प्रबंधन योजना के माध्यम से एक स्थायी माडल तैयार किया जाएगा ताकि इससे स्थानीय लोगों की आजीविका और जैव विविधता दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

ध्यान रहे कि जैव विविधता विरासत स्थल का महत्व और उद्देश्य 2002 के जैविक विविधता अधिनियम की धारा 37 में उल्लेख किया गया है। इसमें बताया गया है कि स्थानीय समुदायों की प्रचलित प्रथाओं और उनके उपयोग पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। इसका उद्देश्य संरक्षण उपायों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है।  

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