एक यूट्यूबर ने खोजी टारेंटयुला मकड़ी की नई प्रजाति, जानिए अन्य मकड़ियों से कैसे है अलग

'टैक्सिनस बैम्बूस' उत्तर-पश्चिम थाईलैंड के जंगलों मे पाए जाने वाली टारेंटयुला मकड़ी की एक नई और विशिष्ट प्रजाति है, जो अपने आवास के लिए बांस पर निर्भर है
अपने प्राकृतिक आवास यानी बांस में टारेंटयुला मकड़ी 'टैक्सिनस बैम्बूस'; फोटो: जो चो सिप्पावात
अपने प्राकृतिक आवास यानी बांस में टारेंटयुला मकड़ी 'टैक्सिनस बैम्बूस'; फोटो: जो चो सिप्पावात
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उत्तर-पश्चिमी थाईलैंड के जंगलों में यूट्यूबर जो चो सिप्पावात ने टारेंटयुला मकड़ी की एक नई प्रजाति को खोज निकाला है। जिसे 'टैक्सिनस बैम्बूस' नाम दिया गया है। गौरतलब है कि इस मकड़ी को उसका यह नाम एक थाई राजा टैक्सिन द ग्रेट के सम्मान में मिला है, जोकि 18वीं शताब्दी में टाक प्रांत के शासक थे। इस मकड़ी से जुड़ी खोज का विवरण जर्नल जूकेज में प्रकाशित हुआ है।

यह मकड़ी उस समय पहली बार सामने आई थी जब एक यूट्यूबर स्टार और वन्य जीव प्रेमी जो चो सिप्पावात को उत्तर-पश्चिमी थाईलैंड में अपने घर के पास के जंगलों में एक असामान्य मकड़ी दिखाई दी थी, जो उन्हें अन्य मकड़ियों से कुछ अन्य लगी। उन्होंने इस मकड़ी के बारे में जानकारी खॉन केन विश्वविद्यालय के मकड़ी जीव विशेषज्ञ नरिन चोम्फुफुआंग को भेज दी, जिन्होंने इस बात की पुष्टि करने में मदद की कि मकड़ी की यह नई प्रजाति दूसरों से अलग है।

जितना ज्यादा हम अपनी प्रकृति को समझने की कोशिश करते हैं, उतने ज्यादा ही रहस्य हमारे सामने आते जाते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो धरती पर इंसानों के साथ-साथ पौधे और जीवों की करीब 87 लाख प्रजातियां अस्तित्व में हैं। हालांकि इनकी वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है। देखा जाए तो अब तक इनमें से केवल 12 लाख प्रजातियों की ही पहचान हो पाई है, जिनमें से अधिकांश कीड़े हैं। इसका मतलब है कि अभी भी ऐसी लाखों प्रजातियां हैं जिनके बारे में हम कुछ नहीं जानते हैं। यह मकड़ी उनमें से ही एक है।    

यदि टारेंटयुला मकड़ियों के परिवार की बात जाए तो इसमें मकड़ियों की 1,000 से अधिक प्रजातियां शामिल हैं, जिनकी अब तक खोज की जा चुकी है। यह विशालकाय मकड़ियां अपने विशाल शरीर के लिए जानी जाती हैं। इसका शरीर कांटेदार बालों से ढंका रहता है जो उसे शिकारियों से बचाता है। आमतौर पर इसे जहरीली खतरनाक मकड़ी के रूप में जाना जाता है, जबकि ऐसा नहीं है यह मकड़ी एक शांत स्वभाव का जीव है, जो कभी-कभार खतरा होने पर ही काटती है।

कैसे अन्य टारेंटयुला मकड़ियों से अलग है 'टैक्सिनस बैम्बूस'

इस क्षेत्र में जुलाई 2020 को वैज्ञानिकों द्वारा इस मकड़ी के नमूने एकत्र किए गए थे और सर्वेक्षण करने के बाद इसे आधिकारिक तौर पर विज्ञान के लिए नया घोषित कर दिया गया है। सिप्पावत और वैज्ञानिकों को यह जानकार आश्चर्य हुआ कि यह टारेंटयुला बांस के डंठल के अंदर अपना घोंसला बनाती है। यह एक ऐसा व्यवहार है जो पहले कभी किसी टारेंटयुला प्रजाति में दर्ज नहीं किया गया है। 

इस बारे में शोध से जुड़े शोधकर्ता नरिन चॉम्फुफुआंग ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि यह जीव वास्तव में उल्लेखनीय है। वो अब तक का पहला टारेंटयुला है जो बांस पर निर्भर है। उनके अनुसार सामान्य तौर पर, दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाने वाले टारेंटयुला या तो जमीन या फिर पेड़ों पर रहते हैं। आमतौर पर अर्बोरियल टारेंटयुला विभिन्न प्रकार के पेड़ों पर रहते हैं। लेकिन इससे पहले शोधकर्ताओं ने किसी ऐसे टारेंटयुला की पहचान नहीं की थी जो किसी एक विशिष्ट प्रकार के पेड़ पर निर्भर रहते हैं। 

सिप्पावत ने भी पहली बार इस मकड़ी को एशियाई बांस के तने में देखा था। जो अपने रेशम के पंक्तिबद्ध आश्रय में थी। मकड़ी की यह प्रजाति ट्यूब के आकार के अपने रेशम के बिल बनाती है, जो या तो बांस के ठूंठों या खोखले बांस के पुलों में स्थित होते हैं।

ऐसे में चॉम्फुफुआंग के अनुसार यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि यह मकड़ी थाईलैंड में पाई गई अब तक की टारेंटयुला की सबसे दुर्लभ प्रजाति है। वैज्ञानिकों की मानें तो टारेंटयुला की यह नई खोज थाईलैंड की जैव विविधता को बचाने के महत्व को रेखांकित करती है। जहां अभी भी ऐसी अनगिनत प्रजातियां हैं, जिनके बारे में हम कुछ नहीं जानते हैं। 

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