वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 66 फीसदी की वृद्धि

कोविड-19 और लॉकडाउन के दौरान आदिवासियों को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने वनोपज की एमएसपी में वृदि्ध की है
कोंडागांव में वन उपज संग्रहित करता परिवार। फोटो: मनीष मिश्र
कोंडागांव में वन उपज संग्रहित करता परिवार। फोटो: मनीष मिश्र
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केंद्र सरकार ने 49 लघु वन उपज (एमएफपी) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) में बढ़ोतरी की है। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने कोविड-19 लॉकडाउन के बीच आदिवासियों और वनवासियों के सामने पैदा अलग-अलग तरह के संकट को देखते हुए यह फैसला लिया। इन 49 वनोपज में जंगलों में मिलने वाली दुर्लभ औषधियां भी शामिल हैं।

मंत्रालय ने एक मई को आदेश जारी करते हुए कहा कि भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत गठित मूल्य निर्धारण सेल द्वारा हर तीन साल में एमएसपी की घोषणा की जाती है। लेकिन इस बार कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की वजह से उपजी विषम परिस्थितियों को देखते हुए एमएसपी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

वनोपज के मूल्य में 16 प्रतिशत से 66 प्रतिशत के बीच बढ़ोतरी की गई है। इस फैसले से जंगल पर निर्भर आदिवासियों को सीधा लाभ मिलेगा। वन अधिकार कानून (एफआरपी) पर बनी राष्ट्रीय कमेटी की रिपोर्ट कहती है कि देश के 10 करोड़ लोग लघु वन उपज पर निर्भर हैं और वह अपनी आमदनी का 20 से 40 प्रतिशत वनोपज संग्रहन से कमाते हैं।

आदेश में कहा गया है कि राज्य न्यूनतम कीमत का दस प्रतिशत नीचे या ऊपर रख तय कर सकते हैं। अगर राज्य की कीमत केंद्र के दर से अधिक हुई तो बढ़ी हुई कीमत का अंतर राज्यसरकार को वहन करना होगा। वनोपज खरीदी में राज्यों के बीच समन्वय का काम केंद्र सरकार की संस्था ट्राइफेड करेगी।

लंबे इंतजार के बाद बढ़ी महुआ फूल की कीमत

इस आदेश का असर सबसे प्रचलित वनोपज महुआ की कीमत पर हुआ है। अब सूखे हुए महुआ के फूलों की कीमत 17 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 30 रुपए प्रति किलो किया गया है। इस बात की मांग लंबे समय से उठ रही थी। खुले बाजार में पिछले कई वर्षों से महुआ को 30 से ऊपर ही बिक रहा था। छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में महुआ की कीमत 18 रुपए से 30 रुपए की थी।

इसके अलावा गुग्गुल की कीमत 700 से बढ़ाकर 812 रुपए किलो हो गई है। जंगली शहद की कीमत को 195 रुपए किलो से बढ़ाकर 225 किया गया है। आदेश के साथ नए दरों की सूची भी जारी की गई है। नए दरों का लाभ वन संपदा से भरपूर देश के कम से कम 20 राज्यों को होगा। अभी छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों में वनोपज खरीदी में तेजी नहीं आई है।

द ट्राइबल को ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (ट्राईफेड) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में अब तक 18 करोड़ 63 लाख रूपए सेअधिक मूल्य की लघु वनोपजों की वनवासियों और ग्रामीणों से खरीदी की गई है, जोदेश के सभी राज्यों में सर्वाधिक है। यहां इस साल अब तक 1 करोड़ 13 लाख रुपए से 3,752 क्विंटल महुआ फूल (सूखा) खरीदा गया है।

छत्तीसगढ़ के अलावा केवल दो राज्यों झारखंड और ओडिसा में लघु वनोपज की खरीदी का काम चल रहा है। ट्राईफेड के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में अब तक 18 करोड़ 67 लाख 26 हजार रूपए मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है, इसमें से अकेले छत्तीसगढ़ में 18 करोड़ 63 लाख 82 हजार रुपए मूल्य की लघु वनोपजों की खरीदी की गईहै। झारखंड में 3 लाख 39 हजार रुपए और ओडिशा में 5 हजार रुपए की लघु वनोपजों की खरीदी की गई है।

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