उत्तराखंड: भारी बर्फबारी से थमी हेमकुंड यात्रा, मॉनसून में देरी के आसार

विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ के हिमालय के टकराने से बर्फबारी हुई है
उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब में भारी बर्फबारी के कारण यात्रा को रोकना पड़ा। फोटो: मनमीत रावत
उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब में भारी बर्फबारी के कारण यात्रा को रोकना पड़ा। फोटो: मनमीत रावत
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उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब और आसपास की पहाड़ियों में 19-20 जून 2022 की रात से सुबह तक हिमपात हुआ। भारी हिमपात और तूफान की आशंका के चलते प्रशासन को यात्रा रोकनी पड़ी।

मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान तीन इंच तक बर्फ गिरी। कुछ समय पहले तक भीषण गर्मी से जूझ रहे उत्तराखंड के पहाड़ों में अगले कुछ दिन और हिमपात हो सकता है। हालांकि मॉनसून आते ही ये हिमपात बंद हो जाएगा। लेकिन, इस बार मॉनसून की आमद भी उत्तराखंड में पांच दिन देरी से होने की संभावना है।

वरिष्ठ ग्लेशियर वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल बताते हैं कि उत्तराखंड में 2013 में भी 3,500 मीटर से ऊंचाई वाली पहाड़ियों में हिमपात हुआ था। उसके बाद 2017 में और फिर 2020 में भी हिमपात हुआ था। वो बताते हैं हिमालय को दो स्थितियों में नमी मिलती है। एक मॉनसून से और दूसरा पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) के कारण।

इस वक्त उत्तराखंड में पश्चिमी विभोभ के कारण ऊंचाई वाले इलाकों में अच्छी नमी है। इसलिए बारिश भी अच्छी हो रही है।

डोभाल बताते हैं कि 4,000 मीटर से ऊंचाई वाले इलाकों में अमूमन बारिश न होकर सीधे हिमपात होता है। हिमपात ज्यादा होने से जब यहां का तापमान पहले से और कम होता है तो 3,500 मीटर तक भी हिमपात हो जाता है। ऐसा ही इस बार हेमकुंड और उसकी आसपास की पहाड़ियों में भी हुआ है।

डोभाल गर्मियों में हिमालय में होने वाले हिमपात पर एक रोचक तथ्य बताते हैं कि अप्रैल, मई और जून में जब भूमध्य सागर से पश्चिमी विक्षोभ आता है और हिमालय से टकराता है तो उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर की ऊंचाई वाली पहाड़ियों में हिमपात होता है। इसमें भी सबसे ज्यादा कश्मीर में हिमपात होता है। लेकिन, पूर्वी  हिमालय जिसमें सबसे प्रमुख अरुणाचल है, वहां हिमपात नहीं होता। क्योंकि वहां तक पहुंचते पहुंचते विक्षोभ काफी असर खो देता है।

लेकिन, मॉनसून में इसके उलट होता है। मॉनसून आने पर अरुणाचल में ही हिमपात होता है। जबकि मध्य और पश्चिमी हिमालय में हिमपात नहीं होता। ये हिमपात का भी अमूमन चार साल का साईकल होता है।

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह बताते हैं कि पश्चिमी विक्षोभ ने उत्तराखंड की पहाड़ियों में हीट वेव के असर को लगभग खत्म कर दिया है। अभी कुछ दिन और हिमपात हो सकता है। मॉनसून आते ही इसका प्रभाव कम हो जाएगा।

लेकिन, इस बार मौसम वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में मॉनसून देरी से पहुंचने की संभावना जताई है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह बताते हैं कि आमतौर पर उत्तराखंड में मॉनसून 20 या 21 जून तक पहुंचता है। लेकिन, इस बार 25 या 26 जून को पहुंचने की संभावना दिख रही है। और ऐसा हुआ तो पिछले 13 वर्षों में 10वीं बार मॉनसून देरी से आएगा।

जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के मौसम विज्ञानी आरके सिंह का कहना है कि अगले दो दिनों में मॉनसून के मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश व ओडिशा, झारखंड, बिहार व उत्तर-पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ने की संभावना है। उत्तराखंड में 23 जून के बाद मॉनसून आने की स्थिति स्पष्ट होगी। जबकि पहले ये 18 जून को ही स्पष्ट हो जाता था।

मॉनसून की एंट्री के लिए लगातार तीन दिन तक अधिकांश हिस्सों में बारिश होना जरूरी है। इसके साथ ही हवा दक्षिण पूर्वी व दक्षिण पश्चिमी होनी चाहिए। इसके अलावा कुछ अन्य कारण मॉनसून की एंट्री के लिए जरूरी होते हैं।

उत्तराखंड में अभी ऊंचाई वाले जिलों में कहीं कहीं ही हल्की से मध्यम वर्षा हो रही है। 20 जून को अनेक स्थानों व 21 जून को कहीं कहीं पर हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। फिर वर्षा कम होने लगेगी। निजी वेदर कंपनी स्काइमेट ने 25 व 26 जून से उत्तराखंड में झमाझम वर्षा बताई है।

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