सेवन वंडर पार्क: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, क्या आनासागर झील के बदलेंगे दिन

सुप्रीम कोर्ट ने झील के पास सेवन वंडर्स पार्क से संरचनाओं को हटाने के लिए राजस्थान सरकार को छह महीने का समय दिया है
आनासागर झील; फोटो: विकीमीडिया कॉमन्स
आनासागर झील; फोटो: विकीमीडिया कॉमन्स
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अजमेर की ऐतिहासिक आनासागर झील के संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने झील के पास सेवन वंडर्स पार्क से संरचनाओं को स्थानांतरित करने के राजस्थान सरकार के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने इन संरचनाओं को हटाने के लिए राज्य सरकार को छह महीने का समय दिया है। अदालत का यह फैसला ऐतिहासिक झीलों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की बेंच ने 17 मार्च, 2025 को कहा, "शपथ पत्र पर दिए बयान से पता चलता है कि राज्य को भी पता है कि इन संरचनाओं का निर्माण झील पर किया गया है। यहां तक कि उसने झील की पारिस्थितिकी या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना संरचनाओं को उसी स्थान पर रहने देने का अनुरोध किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे में दर्ज उस आश्वासन को भी स्वीकार कर लिया है, जिसमें राज्य ने कहा है कि पूरे फूड कोर्ट को हटा दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि राज्य वेटलैंड या झील पर किए कार्य को बनाए रखना चाहता है, तो उसे उसी शहर में समान आकार के एक नए वेटलैंड को बनाने का प्रस्ताव पेश करना चाहिए।

अदालत 7 अप्रैल, 2025 को इस प्रस्ताव की समीक्षा करेगी।

अदालत ने राजस्थान सरकार से पूछा है कि क्या अजमेर में अतिरिक्त वेटलैंड बनाए जा सकते हैं।

फरीदनगर में प्रदूषण और अतिक्रमण से जूझते तालाबों को बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उठाया कदम

सुप्रीम कोर्ट ने फरीदनगर नगर पंचायत परिषद के कार्यकारी अधिकारी को झीलों और तालाबों के जीर्णोद्धार, पुनरुद्धार और रखरखाव के संबंध में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) से सलाह लेने का निर्देश दिया है। मामला उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद जिले के फरीदनगर का है।

17 मार्च, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर फरीदनगर पंचायत, को नीरी को भुगतान करने के लिए धन की आवश्यकता है, तो उसे राज्य से सहायता मांगनी चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नगर पंचायत पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा लगाए पर्यावरणीय मुआवजे पर भी रोक लगा दी है।

पर्यावरण मित्र द्वारा एनजीटी के समक्ष दायर आवेदन में कहा गया है कि कस्बा फरीदनगर में कई तालाब और जोहड़ हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 11.135 हेक्टेयर है।

तालाबों पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर ईंट और कंक्रीट की स्थाई इमारतें बना दी गई हैं, जिनमें घर, पशुशालाएं और अन्य संरचनाएं शामिल हैं। यह आवासीय और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बनाए गए हैं। इनसे तालाबों और जोहड़ों का आकार बहुत सिकुड़ गया है।

इसके अलावा तालाबों में कचरा, प्लास्टिक, कार्डबोर्ड, थर्मोकोल, मानव अपशिष्ट, पशुओं का गोबर, अम्लीय जल जैसे जहरीले अपशिष्ट डाले जा रहे हैं।

इससे वहां के जीवों और वनस्पति के साथ-साथ पारिस्थितिकी को भी नुकसान हो रहा है। जहरीला कचरा हवा और पानी को भी दूषित कर रहा है। इसकी वजह से आसपास के लोगों और जानवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

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