उत्तर प्रदेश में भूजल की सुरक्षा, संरक्षण और प्रबंधन के लिए, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पानी की भारी कमी है, राज्य ने भूजल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम, 2019 लागू किया है।
यह अधिनियम भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने और जल स्रोतों को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से यह प्रतिक्रिया 11 सितंबर, 2024 को दी गई है। गौरतलब है कि यह प्रतिक्रिया भारत में भूजल के स्तर में आती कमी के संबंध में एनजीटी के 26 जुलाई, 2024 को दिए आदेश के बाद सामने आई है।
इतना ही नहीं, सेवाओं के कुशल प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश ने विकेन्द्रीकृत प्रणाली बनाई है, जिसके तहत हर जिले में 'जिला भूजल प्रबंधन परिषद' की स्थापना की गई है।
यह परिषद जिला मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में काम करती है और जिले में भूजल के प्रबंधन और उसके नियमन की देखरेख करती है। इसका मुख्य उद्देश्य भूजल के उचित और संतुलित उपयोग को सुनिश्चित करना है, ताकि भविष्य में जल संकट से बचा जा सके।
सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में बताया है कि भूजल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम 2019 की धारा 12(1) के तहत उन अधिसूचित क्षेत्रों में नए कुओं के निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, जहां भूजल का बेहद अधिक दोहन हो चुका है या जहां की स्थिति गंभीर है। इन क्षेत्रों में, भूजल के दोहन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र केवल तभी दिया जाएगा जब स्थानीय सरकारी जल आपूर्ति एजेंसियां पर्याप्त मात्रा में पानी की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं होंगी।
अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया है कि जो उद्योग बहुत अधिक भूजल का उपयोग कर रहे हैं। मतबल की जो हर दिन 100 घन मीटर से अधिक जल का दोहन कर रहे हैं, उन्हें हर वर्ष केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) द्वारा अनुमोदित विशेषज्ञों से अपने जल उपयोग की जांच करानी होगी।
भूजल के बढ़ते दोहन को रोकने के लिए उठाए गए हैं कदम
यह कदम जल के अत्यधिक दोहन को रोकने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।
इसी तरह, जो उद्योग हर दिन 10 घन मीटर से अधिक भूजल का दोहन कर रहे हैं या ऐसा करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें अपने परिसर में अनिवार्य तौर पर निरीक्षण कुएं बनाने होंगे और भूजल के स्तर की निगरानी के लिए आवश्यक प्रणालियां स्थापित करनी होंगी। इसका उद्देश्य उद्योगों द्वारा भूजल के उपयोग पर निगरानी रखना और जल स्तर के गिरने को रोकने के लिए समय रहते कदम उठाना है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेश रिपोर्ट के अनुसार, परियोजना मालिकों को जल स्तर की नियमित निगरानी करनी होगी। उन्हें परियोजना परिसर या क्षेत्र में बारिश के पानी को संजोने के साथ भूजल को रिचार्ज करने के लिए प्रणाली स्थापित करनी होगी।
यह काम जिला भूजल प्रबंधन परिषद द्वारा तय दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा, ताकि भूजल स्रोतों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके और भविष्य में जल संकट से निपटने में मदद मिले।
इस प्रकार, राज्य सरकार ने भूजल प्रबंधन के लिए एक ठोस ढांचा तैयार किया है, जिसका उद्देश्य जल संसाधनों का दीर्घकालिक संरक्षण और उनके विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना है।