नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को बताया गया है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण शहर में भूजल के स्तर को स्थिर रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
विकास प्राधिकरण के भवन संबंधी नियमों के अनुसार, 300 वर्ग मीटर या उससे बड़े किसी भी भूखंड में बारिश के पानी को एकत्र करने के लिए प्रणाली होनी चाहिए, हालांकि जिन क्षेत्रों में जलभराव होता है, उन्हें इससे रियायत दी गई है।
यह रिपोर्ट 25 अक्टूबर 2024 को जारी की गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पांच अगस्त 2023 को लखनऊ विकास प्राधिकरण बोर्ड की 178वीं बैठक में यह सुनिश्चित करने के लिए नए नियम निर्धारित किए गए हैं कि लोग 2008 के भवन प्रावधानों का पालन करें।
रिपोर्ट के मुताबिक कुकरैल नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने चार सितंबर 2024 को लखनऊ के नगर आयुक्त को प्रस्ताव भेजा था। इसके साथ ही भीकमपुर और अकबर नगर I और II जैसे इलाकों में अवैध अतिक्रमण को भी हटा दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ विकास प्राधिकरण ने 534,247 वर्ग मीटर क्षेत्र में बारिश के पानी को एकत्र करने के लिए प्रणाली स्थापित की है। इसमें सरकारी इमारतें, कार्यालय, निजी और व्यावसायिक प्रतिष्ठान, आवासीय परियोजनाएं, पार्क और 141,359 वर्ग मीटर में फैले जल निकायों का पुनर्विकास शामिल है।
गाजियाबाद में अवैध कचरा डंपिंग: एनजीटी ने दिए जांच और तत्काल कार्रवाई के आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गाजियाबाद नगर निगम को ठोस कचरे की अवैध डंपिंग पर तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। 11 नवंबर, 2024 को दिए इस आदेश के मुताबिक निगम को की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी। इस मामले में अगली सुनवाई चार मार्च, 2025 को होगी।
गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक लक्ष्मी नारायण ने शिकायत की थी कि गाजियाबाद में अप्सरा बॉर्डर के पास जीटी रोड पर एक अवैध कचरा संग्रह केंद्र बनाया गया है। उनका आरोप है कि इस सेकेंडरी कलेक्शन प्वाइंट पर कचरे का उचित तरीके से प्रबंधन नहीं हो रहा और अवैध तरीके से कचरा फेंका जा रहा है।
आवेदक ने शिकायत की है कि मानसून की शुरूआत के साथ ही कचरा सड़क पर फैल जाता है। इतना ही नहीं मरे हुए जानवरों को सीधे कचरे के ढेर में फेंका जा रहा है। आरोप है कि गाजियाबाद के साथ-साथ दिल्ली और हरियाणा के कुछ हिस्सों से भी कचरा लाकर इस कलेक्शन पॉइंट पर डाला जा रहा है।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के अधिकारी ने इस साइट का दौरा किया और पाया कि 1,600 वर्ग मीटर से ज्यादा क्षेत्र में अनधिकृत रूप से ठोस कचरा डाला जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि यूपीपीसीबी ने इस सेकेंडरी कलेक्शन पॉइंट को मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गाजियाबाद नगर निगम को इस मुद्दे पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।