आमी नदी को दूषित कर रहा है उद्योग से निकला केमिकल युक्त पानी, एनजीटी ने उत्तर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगी रिपोर्ट

आरोप है कि आईजीएल इंडिया ग्लाइको लिमिटेड नामक कंपनी केमिकल युक्त पानी छोड़ आमी, राप्ती और घाघरा नदियों को दूषित कर रही है
आमी नदी को दूषित कर रहा है उद्योग से निकला केमिकल युक्त पानी, एनजीटी ने उत्तर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगी रिपोर्ट
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) से आमी नदी प्रदूषण मामले में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। यह आदेश 13 अगस्त, 2024 को जारी किया गया है। ट्रिब्यूनल ने इस आदेश में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को आमी नदी में मिलने से पहले सरयू नाले और राप्ती नदी में पानी की खराब गुणवत्ता के कारणों की जानकारी देने को कहा है।

इस मामले में संयुक्त समिति ने अपनी नौ अगस्त 2024 को दाखिल रिपोर्ट में आमी और राप्ती नदी के संगम से पहले और बाद में सरयू नाले के पानी की गुणवत्ता की जानकारी दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक नाले की जल गुणवत्ता डी और ई श्रेणी की है।

गौरतलब है कि यह मामला 22 अगस्त, 2023 को मोहम्मद जमशेद जिद्दी की एक पत्र याचिका के आधार पर दर्ज किया गया था। इस याचिका में उन्होंने आरोप लगाया गया है कि आईजीएल इंडिया ग्लाइको लिमिटेड कंपनी केमिकल युक्त पानी छोड़ आमी, राप्ती और घाघरा नदियों को दूषित कर रही है। इसकी वजह से कृषि भूमि को नुकसान हो रहा है और जल प्रदूषित हो रहा है।

शिकायत में जानकारी दी गई है कि आईजीएल का ईएनए प्लांट हर दिन 110,000 लीटर स्पिरिट का उत्पादन करता है। इसके लिए वो करीब 12 लाख लीटर फर्मेन्टेड वॉश का उपयोग करता है। हालांकि वो केवल एक तिहाई हिस्से का ही उपयोग दिखाता है, जबकि शेष वॉश, फर्मेन्टेड वॉश और कंडेनसर वॉश को सरयू नाले के माध्यम से आमी नदी में बहा देता है जो प्रदूषण का कारण बन रहा है और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

मध्य प्रदेश में नियमों को न मानने वाली 15 दवा कम्पनियों को जारी किए गए हैं कारण बताओ नोटिस: रिपोर्ट

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को जानकारी दी है कि राज्य में 33 दवा कंपनियां हैं। इनमें से 18 कंपनियां पूरी तरह से सीपीसीबी द्वारा जारी नियमों का पालन कर रहीं हैं, जबकि नियमों को न मानने वाली 15 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह रिपोर्ट 14 अगस्त 2024 को ट्रिब्यूनल के समक्ष दायर की गई है।

गौरतलब है कि छह मई 2024 को एनजीटी ने दवा कंपनियों द्वारा नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं उसपर एक रिपोर्ट सौपने को कहा था। इस रिपोर्ट में राज्य में मौजूद दवा कंपनियों की संख्या के साथ उन कंपनियों के बारे में जानकारी मांगी गई थी, जो नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं।

साथ ही इसमें नियमों को न मानने वाली कंपनियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है, उसकी भी जानकारी सीपीसीबी से मांगी गई थी। अदालत ने इन दवा कंपनियों की वजह से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए क्या योजनाएं बनाई गई हैं, उनके विषय में भी जानकारी मांगी थी।

लुधियाना सब्जी मंडी से निकलने वाले कचरे के मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मांगा जवाब

लुधियाना सब्जी मंडी से निकलने वाले ठोस कचरे के प्रबंधन के मामले में एनजीटी ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर, लुधियाना नगर निगम और पंजाब मंडी बोर्ड को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है।

इन सभी को अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना जवाब दाखिल करना होगा। इस मामले में अगली सुनवाई 25 नवंबर, 2024 को होगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 13 अगस्त, 2024 को दिया यह आदेश 14 फरवरी, 2024 को संयुक्त समिति द्वारा दायर रिपोर्ट पर आधारित था।

संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिला मंडी को लुधियाना नगर निगम के परामर्श से या स्वतंत्र रूप से एक विस्तृत कचरा प्रबंधन योजना तैयार करने और उससे जुड़ी रिपोर्ट समिति को सौंपने की सलाह दी है। साथ ही मंडी बोर्ड को कूड़ा जलाने वाले लोगों के खिलाफ पांच दिनों के अंदर कार्रवाई कर कमेटी को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

वहीं 25 अप्रैल, 2023 को, लुधियाना के जिला मंडी अधिकारी ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सूचित किया कि मंडी बोर्ड को पुराने कचरे के निपटान के लिए नगर निगम की मदद चाहिए, क्योंकि निगम के पास आवश्यक मशीनरी है।

मंडी बोर्ड ने खाद संयंत्र के लिए भूमि की भी पहचान की है। बोर्ड सीएसआईआर-सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहयोग से सब्जी मंडी फगवाड़ा में पहले से ही एक संयंत्र चला है, जहां ईंट बनाने के लिए सब्जी और फलों के कचरे का उपयोग किया जाता है।

गौरतलब है कि 16 जनवरी, 2024 को पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लुधियाना के जिला मंडी अधिकारी को कार्रवाई के संबंध में निर्देश जारी किए थे।

इन निर्देशों के मुताबिक पंजाब मंडी बोर्ड को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार पुराने और ताजा कचरे को प्रोसेस करना शामिल है। बोर्ड से ठोस कचरे का उचित प्रबंधन करने के लिए कहा गया है। साथ उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस कचरे को अलग किया जाए और पर्यावरण अनुकूल तरीके से निपटाया जाए। इसके अतिरिक्त, बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मंडी में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न किया जाए।

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