
24 मार्च, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तीन सदस्यीय समिति के गठन का निर्देश दिया है। यह समिति बिहार के समस्तीपुर में जल निकायों पर अतिक्रमण के मामले की जांच करेगी। ट्रिब्यूनल ने इस समिति से तथ्यों की जांच के बाद एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
अदालत ने इस मामले में बिहार पर्यावरण एवं वन विभाग, समस्तीपुर के जिला मजिस्ट्रेट, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और समस्तीपुर नगर निगम को भी नोटिस भेजने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि यह मामला 10 दिसंबर, 2024 को दैनिक भास्कर में छपी एक खबर के बाद प्रकाश में आया था। इस खबर के आधार पर एनजीटी के समक्ष एक शिकायत दर्ज की गई थी।
बता दें कि इस खबर में जल निकाय (पोखर) पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण को लेकर चिंता जताई गई है। खबर में यह बात भी कही गई है कि इस साइट का उपयोग कचरे के निपटान के लिए किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
आवेदक ने यह भी सुझाव दिया है कि इस क्षेत्र को जल जीवन हरियाली योजना के तहत विकसित किया जाना चाहिए।
शिलांग में चुनौती बन रहा बढ़ता कचरा, भरने की कगार पर मार्टन लैंडफिल साइट
24 मार्च 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने शिलांग नगर निगम बोर्ड और शहरी मामलों के विभाग से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। मामला शिलांग में कचरे के प्रबंधन से जुड़ा है।
गौरतलब है कि ईस्ट खासी हिल्स, शिलांग के उपायुक्त ने 21 मार्च, 2025 को एक जवाबी हलफनामा दायर किया था। इस हलफनामे में कहा गया है कि शिलांग में ठोस कचरे के प्रबंधन की दिशा में हो रही प्रगति की समीक्षा के लिए 6 नवंबर, 2024 और 18 मार्च, 2025 को दो जिला स्तरीय राजस्व बैठकें आयोजित की गई थी।
शहरी मामलों के विभाग को जल्द से जल्द एक नई लैंडफिल साइट की पहचान कर और उसका उपयोग शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि मार्टन साइट लगभग भर चुकी है। इसके साथ ही शिलांग नगर निगम बोर्ड से भी स्रोत पर कचरे को अधिक कुशल तरीके से अलग करने की प्रक्रिया में सुधार लाने का अनुरोध किया गया है।
इस मामले में अगली सुनवाई 27 मई, 2025 को होगी।