दिल्ली में 1,046 हुई जल निकायों की संख्या, इनमें से 256 का किया गया है पुनरुद्धार: वेटलैंड अथॉरिटी

दिल्ली वेटलैंड प्राधिकरण ने पहले चरण में 631 जल निकायों को पुनर्जीवित करने का निर्देश दिया है। इनमें से अब तक 256 जलाशयों के कायाकल्प का काम पूरा हो चुका है
दिल्ली स्थित यमुना बायोडायवरसिटी पार्क  पुनर्स्थापित वेटलैंड। फोटो: फैयाज खुदसर
दिल्ली स्थित यमुना बायोडायवरसिटी पार्क पुनर्स्थापित वेटलैंड। फोटो: फैयाज खुदसर
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मौजूदा समय में दिल्ली में कुल 1,046 जल निकाय हैं। यह आंकड़ा उन 16 एजेंसियों की मदद से प्राप्त विवरण के सत्यापन के बाद तय किया गया है, जिनकी जमीन पर ये जल निकाय मौजूद हैं।

यह जानकारी दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी द्वारा 7 अप्रैल, 2025 को सबमिट रिपोर्ट में सामने आई है। यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 11 दिसंबर, 2024 को दिए आदेश के बाद कोर्ट के सामने रखी गई है। यह मामला दिल्ली के शहरी इलाकों में बढ़ती बाढ़ की घटनाओं से जुड़ा है, जिसके तार दिल्ली में गायब होते जल निकायों से जुड़े हैं।

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम के परिसर में एक नए जल निकाय की पहचान हुई है। इसे भी अब वेटलैंड अथॉरिटी की लिस्ट में शामिल कर लिया गया है। इसके साथ ही दिल्ली में इन जल निकायों की कुल संख्या बढ़कर 1046 हो गई है।

कितने जलाशयों की हालत खराब?

राजस्व विभाग द्वारा जलाशयों की जमीनी पड़ताल के बाद, दिल्ली वेटलैंड प्राधिकरण ने पहले चरण में 1,045 जल निकायों में से 631 को पुनर्जीवित करने का निर्देश दिया है। हालांकि अब तक इनमें से एजेंसियों द्वारा 256 जलाशयों के कायाकल्प का काम पूरा कर लिया गया है।

गौरतलब है कि जीएसडीएल ने ऐसे 322 स्थानों की पहचान की थी, जहां जलाशय है। मगर राजस्व विभाग की जमीनी पड़ताल में इनमें से सिर्फ 43 की ही पहचान हो पाई थी। वेटलैंड अथॉरिटी ने राजस्व विभाग से इन 43 जल निकायों का मानचित्रण करने और उन्हें राजस्व रिकॉर्ड में जोड़ने को कहा है।

साथ ही यह जमीनें जिन एजेंसियों के आधीन हैं उन्हें जल निकायों को बचाने और उनके जीर्णोद्धार के लिए योजना बनाने का निर्देश दिया गया है।

वसंत कुंज में बिना अनुमति के चल रहा एसटीपी, एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड से मांगा ब्यौरा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से वसंत कुंज में चल रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) को लेकर पूरी जानकारी मांगी है।

एनजीटी ने तीन अप्रैल, 2025 को दिए आदेश में डीजेबी से पूछा है कि वसंत कुंज के इस एसटीपी की क्षमता कितनी है, उस पर मौजूदा समय में कितना लोड है और क्या यह प्लांट मौजूदा मानकों को पूरा कर रहा है या नहीं। अदालत ने बोर्ड से इस बारे में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

यह मामला वसंत कुंज के स्मृति वन इलाके में 'मछली तालाब' की सफाई और रखरखाव से जुड़ा है।

ट्रिब्यूनल ने डीजेबी से यह भी कहा है कि एसटीपी से निकलने वाले पानी की जांच रिपोर्ट भी रिकॉर्ड पर रखी जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि एसटीपी से निकलने वाला पानी कितना प्रदूषित है। इसके साथ ही इस प्लांट की क्षमता, क्षमता उपयोग और प्राप्त होने वाले सीवर लोड की जानकारी भी अदालत के सामने रखने का निर्देश दिया है।

दिल्ली जल बोर्ड ने एनजीटी में पांच मार्च, 2025 को दाखिल हलफनामे में कबूल किया है कि वसंत कुंज के डीएसटीपी को बिना अनुमति (कंसेंट टू एस्टैब्लिश- सीटीई और कंसेंट टू ऑपरेट- सीटीओ) के ही स्थापित और संचालित किया जा रहा था।

वहीं दिल्ली जल बोर्ड की ओर से पेश वकील ने बताया है कि एसटीपी के लिए सीटीई से जुड़ी मंजूरी दो अप्रैल, 2025 को मिल गई है। इसका मतलब है कि प्लांट को संचालन की सहमति (सीटीओ) अब तक नहीं मिली है।

ऐसे में ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को नियमों का उल्लंघन करने के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूलने के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।

सुनवाई के दौरान डीजेबी के वकील ने यह भी जानकारी दी है कि फिलहाल एक सीवर लाइन प्रस्तावित है। इसके जरिए मौजूदा नाले से आने वाले अतिरिक्त गंदे पानी को वसंत कुंज एसटीपी से जुड़ी दूसरी सीवर लाइन में छोड़ा जाएगा।

अदालत ने कहा है कि यह खुलासा नहीं किया गया है कि क्या वसंत कुंज एसटीपी के पास इतनी क्षमता है कि वह इस अतिरिक्त गंदे पानी का बोझ उठा सके?

कर्नाटक द्वारा थेनपेनई नदी में छोड़ा जा रहा है सीवेज और गन्दा पानी: तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

कर्नाटक से सीवेज और गंदे पानी को थेनपेनई नदी में छोड़ा जा रहा है। इसकी वजह से नदी में झाग बन रहा है। यह झाग ज्यादातर मानसून के दौरान या भारी बारिश के बाद बनता है। ऐसा नदी में प्रवेश करने वाले दूषित सीवेज और उसमें मौजूद कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड के उच्च स्तर के कारण होता है।

इस बात का जिक्र तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) ने पांच अप्रैल, 2025 को दायर अपनी एक रिपोर्ट में किया है।

यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर प्रस्तुत की गई है। इस मामले को अदालत ने एनडीटीवी.कॉम में छपी एक खबर के आधार पर स्वतः संज्ञान में लिया है। इस खबर के मुताबिक तमिलनाडु के होसुर में बांध से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने से जहरीला झाग पैदा हो रहा है।

होसुर के जिला पर्यावरण अभियंता (डीईई) ने 19 फरवरी, 2025 को सिफारिश की थी कि तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से कर्नाटक में संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी करने के लिए कहे। इसका उद्देश्य बेंगलुरू में बेलंदूर और वरथुर झील प्रणाली के माध्यम से छोड़े जा रहे सीवेज और गंदे पानी को नियंत्रित करना है, ताकि थेनपेनई नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके।

थेनपेनई नदी कर्नाटक से निकलती है और बेंगलुरु के उत्तरी हिस्से से तमिलनाडु में प्रवेश करती है। केलावरपल्ली जलाशय से छोड़े गए दूषित रासायनिक जल और सीवेज के कारण थेनपेनई नदी में बड़े पैमाने पर झाग बन रहा है।

इसके अलावा, आस-पास के आवासीय क्षेत्रों से निकलने वाला सीवेज भी नदी के पानी में मिल रहा है, जिससे यह और अधिक दूषित हो रहा है। इसकी वजह से नदी जल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

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