आज पृथ्वी के करीब से गुजरेगा 180 फुट का एक विशाल एस्टेरॉयड

एस्टेरॉयड जिन्हें कभी-कभी छोटा ग्रह भी कहा जाता है, लगभग 4.6 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल के शुरुआती निर्माण के दौरान बचे हुए चट्टानी, वायुहीन अवशेष हैं।
आज हवाई जहाज के आकार का एक एस्टेरॉयड या क्षुद्रग्रह धरती के करीब से गुजर रहा है।
आज हवाई जहाज के आकार का एक एस्टेरॉयड या क्षुद्रग्रह धरती के करीब से गुजर रहा है। प्रतीकात्मक छवि, फोटो साभार: आईस्टॉक
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आज हवाई जहाज के आकार का एक एस्टेरॉयड या क्षुद्रग्रह धरती के करीब से गुजर रहा है। हालांकि चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों की नजरें इस पर ही टिकी हैं।

नासा ने इस बात की पुष्टि की है कि एस्टेरॉयड '2025 ओजेड' पृथ्वी के सबसे निकट से गुजरेगा। यह 24 जुलाई को पृथ्वी के सबसे निकट पहुंचेगा। इस अंतरिक्षीय चट्टान का व्यास लगभग 180 फीट है। यह लगभग एक हवाई जहाज के आकार का है। अपने निकटतम बिंदु पर, यह 33.4 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा। हालांकि यह दूरी बहुत दूर लगती है, लेकिन खगोलविद इसे काफी निकट मानते हैं। यह लगभग 31,000 मील प्रति घंटे की गति से यात्रा कर रहा है

एस्टेरॉयड '2025 ओजेड' के गिरने की गणना
एस्टेरॉयड '2025 ओजेड' के गिरने की गणनास्रोत: नासा
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खगोलविदों का कहना है कि इस एस्टेरॉयड से कोई खतरा नहीं है। नासा का कहना है कि यह खतरनाक वस्तु की श्रेणी में नहीं आता। इस श्रेणी में आने के लिए, इसे 74 लाख किलोमीटर से ज़्यादा नजदीक से गुजरना होगा। साथ ही, इसकी चौड़ाई कम से कम 85 मीटर होनी चाहिए। यह किसी भी सीमा को पार नहीं करता।

फिर भी वैज्ञानिक इसके मार्ग पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। कक्षा में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों को भी गंभीरता से लिया जा रहा है। जरा सा भी बदलाव सुरक्षित उड़ान को खतरे में बदल सकता है।

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नासा के अनुसार, एस्टेरॉयड जिन्हें कभी-कभी छोटा ग्रह भी कहा जाता है, लगभग 4.6 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल के शुरुआती निर्माण के दौरान बचे हुए चट्टानी, वायुहीन अवशेष हैं।

अधिकांश एस्टेरॉयड मुख्य क्षुद्रग्रह पट्टी में मंगल और बृहस्पति के बीच सूर्य की परिक्रमा करते पाए जा सकते हैं। एस्टेरॉयड का आकार वेस्टा (लगभग 329 मील (530 किलोमीटर) व्यास वाला सबसे बड़ा) से लेकर 33 फीट (10 मीटर) से कम व्यास वाले पिंडों तक होता है। सभी एस्टेरॉयड का कुल द्रव्यमान पृथ्वी के चंद्रमा के द्रव्यमान से भी कम है।

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भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो इस पर कड़ी नजर रख रही है। इसरो का कहना है कि किसी भी एस्टेरॉयड के हमले से भारी नुकसान हो सकता है। इसरो 2029 में एस्टेरॉयड अपोफिस पर नजर रखने की तैयारी कर रहा है। एजेंसी एस्टेरॉयड पर उतरने के मिशन की भी योजना बना रही है। ये मिशन पृथ्वी की सुरक्षा के तरीकों का परीक्षण करने में मदद कर सकते हैं। नासा, ईएसए और जाक्सा के साथ सहयोग इस योजना का हिस्सा है।

फिलहाल, 2025 ओजेड बिना किसी समस्या के बीत जाएगा। लेकिन ऊपर का आकाश सक्रिय और गतिशील बना रहेगा। दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए, निगरानी कभी खत्म नहीं होती।

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