क्या है पृथ्वी के अंदर की गति का रहस्य, भूकंपीय तरंगें क्यों और कैसे चलती हैं?

शोध के मुताबिक, इस खोज से पता चलता है कि पृथ्वी न केवल सतह पर सक्रिय है, बल्कि अंदर भी गतिशील है।
पृथ्वी की सतह से लगभग 3000 किलोमीटर नीचे, ठोस चट्टान बह रही है जो न तो लावा की तरह तरल है और न ही ठोस चट्टान की तरह है।
पृथ्वी की सतह से लगभग 3000 किलोमीटर नीचे, ठोस चट्टान बह रही है जो न तो लावा की तरह तरल है और न ही ठोस चट्टान की तरह है।फोटो साभार :आई-स्टॉक
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भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, टेक्टोनिक प्लेटों का खिसकना ये सभी हमारे ग्रह यानी पृथ्वी के जीवित होने का संकेत हैं। लेकिन पृथ्वी के अंदर जो कुछ पता चलता है, वह आम लोगों और वैज्ञानिक दोनों को हैरान कर देता है। पृथ्वी की सतह से लगभग 3000 किलोमीटर नीचे, ठोस चट्टान बह रही है जो न तो लावा की तरह तरल है और न ही ठोस चट्टान की तरह है।

ईटीएच ज्यूरिख में प्रायोगिक खनिज भौतिकी के भू-वैज्ञानिकों के द्वारा एक शोध किया गया है। 50 से अधिक सालों से शोधकर्ता पृथ्वी के अंदर एक अजीब क्षेत्र के बारे में जांच-पड़ताल कर रहे हैं जिसे डी" परत कहा जाता है, जो हमारे पैरों के नीचे लगभग 2,700 किलोमीटर की दूरी पर है।

भूकंप की लहरें अचानक वहां अलग तरह से व्यवहार करती हैं, उनकी गति इस तरह से बढ़ जाती है जैसे कि वे किसी अलग सामग्री से गुजर रही हों। आवरण या मेंटल की उस परत पर वास्तव में क्या होता है, यह लंबे समय से अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।

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पृथ्वी की सतह से लगभग 3000 किलोमीटर नीचे, ठोस चट्टान बह रही है जो न तो लावा की तरह तरल है और न ही ठोस चट्टान की तरह है।

साल 2004 में ज्यूरिख के शोधकर्ताओं ने पाया कि पृथ्वी के निचले आवरण का मुख्य खनिज पेरोवस्काइट, अत्यधिक दबाव और बहुत अधिक तापमान पर डी" परत के पास एक नए खनिज में बदल जाता है जिसे "पोस्ट-पेरोवस्काइट" कहा जाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस बदलाव ने भूकंपीय तरंगों के अजीब गति को समझाया। लेकिन यह पूरी कहानी नहीं थी। 2007 में शोधकर्ताओं को नए सबूत मिले, जो अकेले पेरोवस्काइट का चरण में बदलाव कर भूकंपीय तरंगों को तेज करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने एक कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करते हुए, कुछ अहम खोज की, पोस्ट-पेरोव्स्काइट क्रिस्टल जिस दिशा की ओर इशारा करते हैं, उसके आधार पर खनिज की कठोरता बदल जाती है। मॉडल में खनिज के सभी क्रिस्टल एक ही दिशा की ओर इशारा करते हैं, तभी भूकंपीय तरंगें तेज होती हैं, जैसा कि 2,700 किलोमीटर की गहराई पर डी" परत में देखा जा सकता है।

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पृथ्वी की सतह से लगभग 3000 किलोमीटर नीचे, ठोस चट्टान बह रही है जो न तो लावा की तरह तरल है और न ही ठोस चट्टान की तरह है।

शोधकर्ताओं ने अब साबित कर दिया है कि पोस्ट-पेरोव्स्काइट क्रिस्टल भारी दबाव और अत्यधिक तापमान के तहत खुद को समान दिशा में समेट देते हैं।

जर्नल कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने अपने प्रयोग में भूकंपीय तरंगों की गति को मापा और प्रयोगशाला में डी" परत पर होने वाली हलचल को भी दोबारा दर्शाने में सफल रहे।

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पृथ्वी की सतह से लगभग 3000 किलोमीटर नीचे, ठोस चट्टान बह रही है जो न तो लावा की तरह तरल है और न ही ठोस चट्टान की तरह है।

बड़ा सवाल यह है कि इन क्रिस्टल को एक पंक्ति में कैसे रखा जाता है? इसका उत्तर यह है कि ठोस आवरण चट्टान पृथ्वी के आवरण के निचले किनारे पर क्षैतिज रूप से बहती है। शोधकर्ताओं को लंबे समय से संदेह है कि यह गति उबलते पानी की तरह एक तरह गर्मी से ठंडे की ओर बढ़नी चाहिए, लेकिन वे इसे सीधे तौर पर साबित नहीं कर पाए हैं।

पृथ्वी के शोध में एक नए अध्याय की हुई शुरुआत

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि अब प्रयोगात्मक रूप से यह भी प्रदर्शित किया है कि ठोस चट्टान का आवरण गर्मी से ठंडे की ओर और पृथ्वी के आवरण के बीच की सीमा पर मौजूद है, यानी ठोस तरल नहीं, चट्टान इस गहराई पर धीरे-धीरे लेकिन स्थिर रूप से बहती है। यह खोज न केवल डी" परत के रहस्य को सुलझाती है, बल्कि पृथ्वी की गहराई में गतिशीलता की जानकारी को भी सामने लाती है।

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यह न केवल एक मील का पत्थर है, बल्कि एक अहम मोड़ भी है। यह धारणा कि ठोस चट्टान बहती है, एक सिद्धांत से एक निश्चितता में बदल गई है। शोधकर्ता कहते हैं, इस खोज से पता चलता है कि पृथ्वी न केवल सतह पर सक्रिय है, बल्कि अंदर भी गतिशील है।

इस जानकारी के साथ, शोधकर्ता अब पृथ्वी के सबसे गहरे आंतरिक भाग में धाराओं का मानचित्रण करना शुरू कर सकते हैं और इस प्रकार उस अदृश्य मोटर की कल्पना कर सकते हैं जो ज्वालामुखियों, टेक्टोनिक प्लेटों और शायद पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को भी चलाती है।

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