पौधों को गर्मी व बीमारी से बचाने में मदद करेगी भारतीय वैज्ञानिकों की यह तकनीक

यह तकनीक न केवल टमाटर और आलू बल्कि बैंगन, मिर्च और अन्य खाद्य फसलों को भी फायदा पहुंचा सकती है, जिससे बेहतर खेती की ओर बढ़ना आसान होगा।
शोधकर्ताओं ने इस कुशल प्रणाली का परीक्षण टमाटर, आलू और तम्बाकू के पौधों पर किया और पाया कि यह बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है, खासकर उन टमाटरों में जो बैक्टीरिया रोगजनक स्यूडोमोनास सिरिंगे के हमले से जूझ रहे थे
शोधकर्ताओं ने इस कुशल प्रणाली का परीक्षण टमाटर, आलू और तम्बाकू के पौधों पर किया और पाया कि यह बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है, खासकर उन टमाटरों में जो बैक्टीरिया रोगजनक स्यूडोमोनास सिरिंगे के हमले से जूझ रहे थेफोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, अजित कुमार
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भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक कुशल आणविक उपकरण बढ़ते तापमान और संक्रमण से जूझ रहे पौधों के लिए मददगार साबित हो सकता है। खराब मौसम पौधों के लिए घातक साबित होता है। या तो पौधे खराब हो जाते हैं या इन पर सूक्ष्मजीवों का हमला होता है। जब वे तनाव में होते हैं, तो पौधों की उत्पादकता कम हो जाती है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का एक स्वायत्त संस्थान बोस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स (सीआरआईएसपीआर) में पौधों को खुद की रक्षा करने में मदद करने वाला समाधान खोज निकला है।

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शोधकर्ताओं ने इस कुशल प्रणाली का परीक्षण टमाटर, आलू और तम्बाकू के पौधों पर किया और पाया कि यह बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है, खासकर उन टमाटरों में जो बैक्टीरिया रोगजनक स्यूडोमोनास सिरिंगे के हमले से जूझ रहे थे

सीआरआईएसपीआर है क्या?

सीआरआईएसपीआर यानी क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स, बैक्टीरिया और आर्किया के जीनोम में पाए जाने वाले डीएनए अनुक्रमों का एक परिवार है। ये अनुक्रम एक प्रोकैरियोटिक प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं जो हमलावर वायरस और प्लास्मिड से बचाव करने में मदद करता है।

सीआरआईएसपीआर पिछले संक्रमणों के "आणविक रिकॉर्ड" के रूप में कार्य करता है, जिससे कोशिका को उसी स्रोत से भविष्य के हमलों को पहचानने और बेअसर करने में मदद मिलती है। सीआरआईएसपीआर प्रणाली, सीआरआईएसपीआर से जुड़े (केस) प्रोटीन के साथ मिलकर, सीआरआईएसपीआर-केस 9 जीनोम संपादन तकनीक का आधार बनती है, जिसका व्यापक रूप से अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी में उपयोग किया जाता है।

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सीआरआईएसपीआर नामक उपकरण आमतौर पर कैंची की तरह काम करते हैं जो स्थायी बदलाव के लिए डीएनए को काटते हैं। हालांकि शोधकर्ताओं ने डीकेस9 नामक एक संशोधित संस्करण का उपयोग किया। यह संस्करण डीएनए को नहीं काटता है। इसके बजाय यह एक बटन की तरह काम करता है जो जीन को चालू या बंद कर सकता है। बटन तब तक बंद रहता है जब तक कि पौधे को तनाव नहीं होता है।

इस उपकरण को विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने टमाटर की अपनी जीव विज्ञान से एक हिस्से का उपयोग किया। जो नाकमटीएफ3 नामक एक प्राकृतिक प्रोटीन का एक छोटा सा हिस्सा है। टीएम डोमेन नामक यह हिस्सा एक टेदर की तरह काम करता है और डीकेस9 नामक बटन को नियंत्रण कक्ष के बाहर बंद करके रखता है।

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लेकिन जब तनाव में होता है, उदाहरण के लिए, गर्मी के कारण, टीएम डोमेन टेदरिंग के काम को बंद कर देता है। एक पल में बटन काम करना शुरू कर देता है और नियंत्रण कक्ष में चला जाता है, जिससे पौधे को खुद की रक्षा करने में मदद करने वाले जीन चालू हो जाते हैं।

यह शोध इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल मैक्रोमोलेक्यूल्स में प्रकाशित किया गया है। शोध सोलेनेसी पौधों को विभिन्न तनावों से निपटने में मदद कर सकता है, जैसे कि रोगाणुओं से लड़ना और गर्मी को मात देना आदि।

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शोधकर्ताओं ने इस कुशल प्रणाली का परीक्षण टमाटर, आलू और तम्बाकू के पौधों पर किया और पाया कि यह बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है, खासकर उन टमाटरों में जो बैक्टीरिया रोगजनक स्यूडोमोनास सिरिंगे के हमले से जूझ रहे थे, जो हीटवेव या लू के दौरान और भी खतरनाक हो जाता है।

आम तौर पर गर्मी पौधे की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है, जिससे इनमें संक्रमण फैलने के आसार बढ़ जाते हैं। इससे निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने दो प्रमुख रक्षा जीन, सीबीपी60जी और सार्ड1 को ठीक उसी समय चालू किया, जब पौधे को उनकी जरूरत थी। इससे टमाटर के पौधे को बीमारी से मुकाबला करने में मदद मिली।

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शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने ऊंचे तापमान के दौरान इस उपकरण का उपयोग करते हुए दो "गर्मी के दौरान मदद करने वाला" जीन- एनएसी2 और एचएसएफए6बी को भी चालू किया। इन जीनों ने टमाटर के पौधों को हरा रहने, अधिक पानी बनाए रखने और गर्मी के बावजूद स्वस्थ रहने में मदद की।

बढ़ते तापमान और अप्रत्याशित मौसम की वजह से दुनिया भर के किसान स्वस्थ फसल उगाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह 'जीन स्विच' नामक यह तकनीक पौधों के विकास में मदद करता है। यह केवल खतरे के समय ही काम करके ऊर्जा बचाता है और समय रहते पौधे के प्राकृतिक रक्षा तंत्र को बढ़ावा देता है।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि भविष्य में यह तकनीक न केवल टमाटर और आलू बल्कि बैंगन, मिर्च और अन्य खाद्य फसलों को भी फायदा पहुंचा सकती है, जिन पर हम निर्भर हैं, जिससे बेहतर खेती की ओर बढ़ना आसान होगा।

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