हवा और सौर ऊर्जा से भोजन उगाना है फसल बोने से ज्यादा फायदेमंद

विश्लेषण से पता चला कि हवा से भोजन उगाना जमीन में सोयाबीन उगाने की तुलना में 10 गुना अधिक कुशल और फायदेमंद है। उत्पादित प्रोटीन में कैलोरी मकई, गेहूं और चावल जैसी अन्य फसलों की तुलना में दोगुनी थी।
Soybean Field
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दुनिया भर में लगातार भोजन की मांग को पूरा करने के लिए भूमि का बेहताशा उपयोग किया जा रहा है। यहां तक की विश्व में लाखों वर्ग किलोमीटर जंगलों को फसल उगाने के लिए नष्ट कर दिया गया है और यह बढ़ती मांग के आधार पर जारी है। जंगलों में निवास करने वाली हजारों प्रजातिया या तो विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्ति के कगार पर हैं।

वैज्ञानिक अब भोजन की इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने सूक्ष्मजीवों (माइक्रोबियल बायोमास) की खेती का सुझाव दिया है, जिनमें प्रोटीन के साथ-साथ अन्य पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इन्हें हवा में भोजन के रूप में उगा कर, हवा में भोजन उगाने की सोच को साकार किया है। ताकि भूमि के बेहताशा उपयोग से बचा जा सके और पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचे साथ ही यह तरीका खाद्य सुरक्षा को पूरा करने में अहम भूमिका निभा सकता है।

शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि हवा से भोजन बनाना फसलों को उगाने की तुलना में कहीं अधिक फायदेमंद है। टीम ने अपने विश्लेषण में फसलों को उगाने की तुलना में हवा की तकनीक से भोजन बनाने का वर्णन किया है। इन फसलों में मुख्य रूप से सोयाबीन उगाने की तुलना की गई है। यह शोध मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर प्लांट फिजियोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ नेपल्स फेडेरिको- द्वितीय, वीजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और पोर्टर स्कूल ऑफ द एनवायरनमेंट एंड अर्थ साइंसेज ने मिलकर किया है।

कई वर्षों से, दुनिया भर के शोधकर्ता "हवा से भोजन" उगाने के बारे में विचार कर रहे हैं। इसमें अक्षय ऊर्जा को हवा में मौजूद कार्बन के साथ मिलाकर एक तरह के बैक्टीरिया के लिए भोजन तैयार किया जाता है जो खाने लायक प्रोटीन बनाते हैं।

इसी तरह की एक परियोजना फिनलैंड में सौर भोजन के नाम से प्रचलित है, जहां शोधकर्ताओं ने 2023 तक एक संयंत्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं ने हवा से  भोजन बनाने के साथ-साथ मुख्य फसल के रूप में सोयाबीन उगाने की क्षमता की तुलना करने का लक्ष्य रखा है।

इसकी तुलना करने के लिए, शोधकर्ताओं ने हवा से भोजन बनाने की एक प्रणाली का उपयोग किया है। यह बिजली बनाने के लिए सौर ऊर्जा पैनलों का उपयोग करता है। यह बायोरिएक्टर में उगाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए भोजन का उत्पादन करने के लिए हवा से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करता है।

इस प्रक्रिया में सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रोटीन का उत्पादन किया जाता है। इसके बाद उत्पादित प्रोटीन में से न्यूक्लिक एसिड को हटाने के लिए इसका उपचार किया जाता है। फिर मनुष्यों और जानवरों द्वारा खाने के रूप में इसका इस्तेमाल करने के लिए पाउडर बनाकर इसे सुखाया जाता है। यह शोध प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।

उन्होंने इस प्रणाली की क्षमता और निपुणता की तुलना 10 वर्ग किलोमीटर के सोयाबीन के खेत से की। उनके विश्लेषण से पता चला कि हवा से भोजन उगाना जमीन में सोयाबीन उगाने की तुलना में 10 गुना अधिक कुशल और फायदेमंद था। उन्होंने सुझाव दिया कि अमेज़ॅन में सोयाबीन उगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली 10 वर्ग किलोमीटर भूमि को हवा से भोजन उगाने के लिए एक वर्ग किलोमीटर भूमि में परिवर्तित किया जा सकता है।

अन्य 9 वर्ग किलोमीटर में जंगलों के विकास को फिर से लौटाया जा सकता है। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया है कि हवा से भोजन बनाने के तरीके में उत्पादित प्रोटीन में कैलोरी मकई, गेहूं और चावल जैसी अन्य फसलों की तुलना में दोगुनी थी।

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