शोधकर्ताओं ने हवा से पानी निकालने का खोजा तेज तरीका: स्टडी

शोध में कहा गया है कि नमी का स्तर 30 फीसदी होने पर एक दिन में हवा से दो लीटर तक पानी निकला जा सकता है।
एक अन्य परीक्षण में  शोधकर्ताओं ने इस उपकरण के उपयोग से 50 फीसदी तक नमी की स्थिति में 1.7 लीटर प्रति प्रति वर्ग मीटर और प्रति दिन मेगाजूल पानी देने में सक्षम होने की बात कही।
एक अन्य परीक्षण में शोधकर्ताओं ने इस उपकरण के उपयोग से 50 फीसदी तक नमी की स्थिति में 1.7 लीटर प्रति प्रति वर्ग मीटर और प्रति दिन मेगाजूल पानी देने में सक्षम होने की बात कही।फोटो साभार: डिवाइस पत्रिका
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दुनिया भर में पानी की आपूर्ति के वर्तमान आकलन से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जनसंख्या और आर्थिक वृद्धि के चलते साल 2050 तक अतिरिक्त 1.8 अरब लोग मध्यम से गंभीर जल अभाव वाले क्षेत्रों में रह रहे होंगे, जिनमें से 80 फीसदी लोग विकासशील देशों में निवास करेंगे।

पीने योग्य पानी तक सीमित पहुंच से न केवल सामुदायिक स्वास्थ्य में गिरावट आती है और जलजनित बीमारियां फैलती हैं बल्कि इससे क्षेत्र की आर्थिक अनिश्चितता पर भी गहरा असर पड़ता है, जिससे स्थानीय निवासियों के जीवन की गुणवत्ता और भी कम हो जाती है।

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एक अन्य परीक्षण में  शोधकर्ताओं ने इस उपकरण के उपयोग से 50 फीसदी तक नमी की स्थिति में 1.7 लीटर प्रति प्रति वर्ग मीटर और प्रति दिन मेगाजूल पानी देने में सक्षम होने की बात कही।

इस समस्या से निपटे के लिए दुनिया भर में वैज्ञानिक नए-नए तरीकों से पानी उपलब्ध करवाने संबंधी शोध कर रहे हैं, इन्हीं में से एक लोकप्रिय क्षेत्र हवा से पानी निकालना है।

अब इंजीनियरों की एक टीम ने हवा से ज्यादा से ज्यादा पानी निकालने का एक तरीका खोज निकाला है, जिससे अटाकामा रेगिस्तान जैसे शुष्क स्थानों में पानी का उत्पादन संभव हो सकेगा। अमेरिका, चिली और आयरलैंड के इंजीनियरों का यह शोध डिवाइस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है

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एक अन्य परीक्षण में  शोधकर्ताओं ने इस उपकरण के उपयोग से 50 फीसदी तक नमी की स्थिति में 1.7 लीटर प्रति प्रति वर्ग मीटर और प्रति दिन मेगाजूल पानी देने में सक्षम होने की बात कही।

शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजेल-आधारित पानी जमा करने की प्रणालियों के काम करने के तरीके को अपनाने की कोशिश की। वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले सालों में दुनिया भर में पानी के संकट के बढ़ने के आसार हैं। जैसे-जैसे ताजे पानी की मांग बढ़ती है और मौजूदा स्रोत खत्म होते जाते हैं, नए स्रोतों की जरूरत पड़ती है। शोध का एक लोकप्रिय क्षेत्र हवा से पानी निकालना है।

वर्तमान तकनीकों में हाइड्रोजेल और धातु-कार्बनिक ढांचे शामिल हैं। इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं ने उन प्रणालियों पर गौर किया जो रात के समय हवा में पानी को अवशोषित करने के लिए हाइड्रोजेल का उपयोग करते हैं। जब हवा में सबसे अधिक पानी होता है और फिर दिन के दौरान सौर ऊर्जा का उपयोग करके हाइड्रोजेल से पानी को एक होल्डिंग कंटेनर में निचोड़ा जाता है।

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एक अन्य परीक्षण में  शोधकर्ताओं ने इस उपकरण के उपयोग से 50 फीसदी तक नमी की स्थिति में 1.7 लीटर प्रति प्रति वर्ग मीटर और प्रति दिन मेगाजूल पानी देने में सक्षम होने की बात कही।

शोध के मुताबिक, वर्तमान में उपयोग में आने वाली हाइड्रोजेल प्रक्रियाओं का अध्ययन करने पर, शोधकर्ताओं ने पाया कि ऐसी प्रणालियों का सबसे अक्षम हिस्सा वह गति थी जिस पर हाइड्रोजेल हवा से पानी सोखते हैं और उन्होंने इस प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश की।

शोधकर्ताओं ने अन्य मेटल आर्गेनिक फ्रेमवर्क (एमओएफ) आधारित उपकरणों की तुलना में 10 गुना तेज तरीका खोज निकाला, जिसमें क्रॉस-लिंक्ड पॉलीएक्रिलामाइड पॉलीमर के साथ हाइड्रोजेल बनाना शामिल है, जिसमें लिथियम क्लोराइड मिलाया जाता है। आगे के बदलावों में हाइड्रोजेल की मोटाई और हाइड्रोजेल से पानी इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एयर गैप को अनुकूलित करना शामिल था।

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एक अन्य परीक्षण में  शोधकर्ताओं ने इस उपकरण के उपयोग से 50 फीसदी तक नमी की स्थिति में 1.7 लीटर प्रति प्रति वर्ग मीटर और प्रति दिन मेगाजूल पानी देने में सक्षम होने की बात कही।

शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने गर्मी के मौसम में अटाकामा रेगिस्तान में अपने उपकरण का परीक्षण किया और पाया कि यह 11 फीसदी से कम नमी के स्तर पर भी पानी उपलब्ध करा सकता है।

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जब नमी का स्तर 30 फीसदी होने पर एक दिन में हवा से दो लीटर तक पानी निकला जा सकता है। एक अन्य परीक्षण में शोधकर्ताओं ने इस उपकरण के उपयोग से 50 फीसदी तक नमी की स्थिति में 1.7 लीटर प्रति प्रति वर्ग मीटर और प्रति दिन मेगाजूल पानी देने में सक्षम होने की बात कही।

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