
वैज्ञानिक वर्षों से इस बात की खोज में लगे हुए हैं कि सबसे पहले पानी का निर्माण कैसे हुआ? सुपरनोवा ब्रह्मांड के अहम चालक थे, उन्होंने ग्रहों और जीवन के बाद के निर्माण के लिए आवश्यक भारी तत्वों को गढ़ा।
पानी, विशेष रूप से, जीवन की ब्रह्मांडीय उत्पत्ति के लिए अहम माना जाता है। हाल के मॉडलों ने दिखाया है कि पानी धातुओं के मिश्रण से बनी गैसों से बना हो सकता है।
वहीं अब, एक शोध में कहा गया है कि महा विस्फोट के 10 से 20 करोड़ साल बाद पानी का निर्माण हुआ होगा। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि ब्रह्मांड में पानी का निर्माण पहले से सोचे गए समय से पहले हुआ होगा और यह पहली आकाशगंगाओं का एक प्रमुख हिस्सा हो सकता है।
जैसा कि सर्वविदित है, पानी जीवन के लिए बहुत जरूरी है और इससे जुड़ी चीजें - हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अलग-अलग तरीकों से बने हैं।
हाइड्रोजन, हीलियम और लिथियम जैसे हल्के रासायनिक तत्व महा विस्फोट में बने थे, लेकिन ऑक्सीजन जैसे भारी तत्व तारों के अंदर परमाणु प्रतिक्रियाओं या सुपरनोवा विस्फोटों का परिणाम हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट नहीं है कि ब्रह्मांड में पानी कब बनना शुरू हुआ।
नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि शोधकर्ता ने दो सुपरनोवा के कंप्यूटर मॉडल का उपयोग किया, पहला सूर्य के द्रव्यमान से 13 गुना बड़े तारे के लिए और दूसरा सूर्य के द्रव्यमान से 200 गुना बड़े तारे के लिए किया। शोधकर्ताओं ने इन विस्फोटों के उत्पादों का विश्लेषण किया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि पहले और दूसरे सिमुलेशन में क्रमशः 0.051 और 55 सौर द्रव्यमान (जहां एक सौर द्रव्यमान हमारे सूर्य का द्रव्यमान है) ऑक्सीजन का निर्माण हुआ, जो बहुत अधिक तापमान और घनत्व तक पहुंचने के कारण हुआ।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जब यह गैसीय ऑक्सीजन ठंडी हुई और सुपरनोवा द्वारा छोड़े गए आस-पास के हाइड्रोजन के साथ मिली, तो पदार्थ के बचे हुए घने गुच्छों में पानी का निर्माण हुआ। ये गुच्छे हो सकता है दूसरी पीढ़ी के तारों और ग्रहों के निर्माण के स्थल थे।
शोध के अनुसार, पहले सिमुलेशन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि सुपरनोवा के बाद तीन से नौ करोड़ सालों में पानी का द्रव्यमान सौर द्रव्यमान के लगभग एक सौ मिलियनवें से दस लाखवें हिस्से के बराबर मात्रा में पहुंच गया। दूसरे सिमुलेशन में 30 लाख सालों के बाद पानी की मात्रा लगभग 0.001 सौर द्रव्यमान तक पहुंच गई।
शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से सुझाव दिया गया है कि यदि पानी प्रथम आकाशगंगाओं के निर्माण के दौरान बच गया, जो कि एक संभावित विनाशकारी प्रक्रिया है, तो यह अरबों साल पहले ग्रहों के निर्माण में भी शामिल हो सकता था।