दुनिया भर में पानी की कमी, जो मात्रा और गुणवत्ता दोनों में बदलाव के चलते, सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में एक चुनौती बने हुए हैं। शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अब जल प्रबंधन के किफायती तरीकों की पहचान करने के लिए एक नया तरीका विकसित किया है, जो भविष्य में पानी की कमी को कम करने का वादा करता है।
दुनिया की आधी से अधिक आबादी ऐसे इलाकों में रहती है जहां पानी सीमित या बहुत ज्यादा प्रदूषित है। यह पानी की आपूर्ति और मांग के बीच संतुलन के लिए एक चुनौती है और ऊर्जा, खेती, घरों और उद्योग जैसे पानी का उपयोग करने वाले क्षेत्रों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बनता है। इसके अलावा, जल प्रदूषण, जैसे कि भारी नाइट्रोजन के स्तर का होना, स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है।
पानी वाले इलाकों का डिजिटलीकरण इसके प्रबंधन और स्थिरता के लिए बहुत जरूरी है। रिमोट सेंसर, स्मार्ट सिंचाई और डिजिटल ट्विन जैसी कुशल तकनीकें वास्तविक समय की निगरानी और पानी का कुशलता से उपयोग को सक्षम बनाती हैं। हालांकि विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, जल क्षेत्र को जलवायु-तकनीक निवेश का एक फीसदी से भी कम हासिल होने के साथ, वित्तपोषण की कमी बनी हुई है।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम्स एनालिसिस (आईआईएसए) जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधन कार्यक्रम में जल सुरक्षा के शोधकर्ता ने शोध में कहा, हमारी चुनौती पानी की कमी को प्रभावी ढंग से कम करने, लोगों, पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक मांगों को पूरा करने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाला पर्याप्त पानी सुनिश्चित करने और सतत विकास के समर्थन पर आधारित है।
शोधकर्ता के मुताबिक, अध्ययन एक नई मॉडलिंग पद्धति को सामने लाता है जो पोषक तत्व मॉडल को लागत-बचत प्रक्रिया के साथ जोड़ती है, जिसमें भूमि पर जैव-रसायन विज्ञान, जलवायु परिवर्तन और मानवजनित गतिविधियों के प्रभावों पर विस्तृत और विशिष्ट तरीके से विचार किया जाता है।
नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पानी की कमी पर वर्तमान शोध अक्सर पानी की मात्रा पर गौर करता है, जबकि पानी की गुणवत्ता को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
शोध के हवाले से अध्ययनकर्ता बताते हैं कि जल प्रदूषण को कम करने में निवेश करना भविष्य में पानी की कमी को दूर करने के लिए एक किफायती रणनीति हो सकती है। हमने इस मुद्दे को चीन में पर्ल रिवर बेसिन के संदर्भ में देखा, जो पानी की कमी और प्रदूषण से अत्यधिक प्रभावित इलाका है तथा हमने विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों पर विचार किया।
शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा, हमने जल गुणवत्ता प्रबंधन विकल्पों पर विचार किया, जैसे रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना और अपशिष्ट जल का उपचार करना, साथ ही पानी की मात्रा संबंधी विकल्पों जैसे जल भंडारण और पानी की बचत करने के तकनीकों पर भी विचार किया।
परिणामों से पता चलता हैं कि उच्च आर्थिक विकास और वैश्विक तापमान वृद्धि के परिदृश्य में 2050 में पर्ल रिवर बेसिन के अधिकांश इलाकों में भविष्य में पानी की कमी चार गुना तक बढ़ने के आसार हैं। शोधकर्ताओं ने दिखाया कि पानी की गुणवत्ता प्रबंधन उपायों को लागू करने से पर्ल रिवर बेसिन में भविष्य में पानी की कमी आधी हो सकती है।
शोधकर्ता ने शोध के हवाले से अपने निष्कर्ष में कहा, पानी की कमी दुनिया की प्रमुख पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है। हमारा विश्लेषण अन्य जल संकटग्रस्त और प्रदूषित नदी घाटियों में पानी की कमी का आकलन करने के लिए एक खाका के रूप में काम कर सकता है, जो सतत विकास लक्ष्यों के साथ संरेखित पानी की कमी को कम करने के लिए किफायती रणनीतियों के विकास का मार्गदर्शन कर सकता है।