नासा और भारत का नया उपग्रह 'निसार' करेगा आसमान से पृथ्वी की निगरानी

'निसार' भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं, ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों की गति पर नजर रखेगा तथा जंगलों की वृद्धि और पेड़ों के काटे जाने सहित पारिस्थितिकी तंत्र में होने वाले बदलावों पर नजर रखेगा।
चिली में कैल्बुको ज्वालामुखी के 2015 में विस्फोट से पहले और बाद में ईएसए के सेंटिनल-1ए उपग्रह द्वारा लिए गए रडार के आंकड़ों का उपयोग करके भूमि विरूपण को दर्शाने वाला इंटरफेरोग्राम। ज्वालामुखी के पश्चिम में रंगीन पट्टियां भूमि के सिकुड़ने की ओर इशारा है। निसार से भी ऐसी ही तस्वीरें सामने आएंगी।
चिली में कैल्बुको ज्वालामुखी के 2015 में विस्फोट से पहले और बाद में ईएसए के सेंटिनल-1ए उपग्रह द्वारा लिए गए रडार के आंकड़ों का उपयोग करके भूमि विरूपण को दर्शाने वाला इंटरफेरोग्राम। ज्वालामुखी के पश्चिम में रंगीन पट्टियां भूमि के सिकुड़ने की ओर इशारा है। निसार से भी ऐसी ही तस्वीरें सामने आएंगी।फोटो साभार: नासा
Published on

नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नया पृथ्वी उपग्रह नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) आगामी महीनों में प्रक्षेपित होगा, तो यह पृथ्वी की सतह के इतने विस्तृत चित्र लेगा कि उनमें दिखाया जाएगा कि जमीन और बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े किस तरह और कितनी मात्रा में हिल रहे हैं।

यह पृथ्वी की लगभग सभी ठोस सतहों का प्रत्येक 12 दिन में दो बार फोटो खींचेगा, तथा भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से पहले और बाद में पृथ्वी की सतह के लचीलेपन को देखेगा। यह ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों की गति पर नजर रखेगा तथा जंगलों की वृद्धि और पेड़ों के काटे जाने सहित पारिस्थितिकी तंत्र में होने वाले बदलावों पर नजर रखेगा।

मिशन की असाधारण क्षमताएं इसके नाम में उल्लिखित तकनीक से आती हैं: सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर), अंतरिक्ष में उपयोग के लिए नासा द्वारा अग्रणी, एसएआर एक रडार के ऊपर से उड़ते समय लिए गए कई मापों को जोड़ता है, ताकि नीचे के दृश्य को स्पष्ट किया जा सके।

यह भी पढ़ें
इसरो का पृथ्वी अवलोकन उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित, आपदाओं की सटीक जानकारी देने का दावा
चिली में कैल्बुको ज्वालामुखी के 2015 में विस्फोट से पहले और बाद में ईएसए के सेंटिनल-1ए उपग्रह द्वारा लिए गए रडार के आंकड़ों का उपयोग करके भूमि विरूपण को दर्शाने वाला इंटरफेरोग्राम। ज्वालामुखी के पश्चिम में रंगीन पट्टियां भूमि के सिकुड़ने की ओर इशारा है। निसार से भी ऐसी ही तस्वीरें सामने आएंगी।

यह पारंपरिक रडार की तरह काम करता है, जो दूर की सतहों और वस्तुओं का पता लगाने के लिए माइक्रोवेव का उपयोग करता है, लेकिन उच्च रिज़ॉल्यूशन पर गुणों और विशेषताओं को प्रकट करने के लिए डेटा प्रोसेसिंग को बढ़ाता है।

एसएआर के बिना इस तरह के विवरण हासिल करने के लिए, रडार उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए बहुत बड़े एंटेना की जरूरत पड़ेगी, संचालन की तो बात ही छोड़िए। तैनात होने पर 12 मीटर चौड़ा, निसार का रडार एंटीना रिफ्लेक्टर एक शहर की बस की लंबाई जितना चौड़ा है। फिर भी, पारंपरिक रडार तकनीकों का उपयोग करते हुए, मिशन के एल-बैंड उपकरण के लिए इसे 19 किलोमीटर व्यास का होना चाहिए, ताकि पृथ्वी के 10 मीटर तक के पिक्सल की छवि बनाई जा सके।

रिपोर्ट के मुताबिक, सिंथेटिक एपर्चर रडार चीजों को बहुत सटीकता से परिष्कृत करने में मदद करती है। निसार मिशन एक गतिशील प्रणाली के रूप में हमारे ग्रह के बारे में जानने के लिए एक नया क्षेत्र खोलेगा।

यह भी पढ़ें
उपग्रह बता सकते हैं कि कब होगा हिमस्खलन:अध्ययन
चिली में कैल्बुको ज्वालामुखी के 2015 में विस्फोट से पहले और बाद में ईएसए के सेंटिनल-1ए उपग्रह द्वारा लिए गए रडार के आंकड़ों का उपयोग करके भूमि विरूपण को दर्शाने वाला इंटरफेरोग्राम। ज्वालामुखी के पश्चिम में रंगीन पट्टियां भूमि के सिकुड़ने की ओर इशारा है। निसार से भी ऐसी ही तस्वीरें सामने आएंगी।

सिंथेटिक अपर्चर रडार (एसएआर) कैसे काम करता है?

1971 में जैसा था आज भी लगभग वैसा ही है, तब रडार का आकर्षण सरल था, यह दिन-रात माप एकत्र कर सकता था और बादलों के पार देख सकता था। टीम के काम ने 1989 में शुक्र के लिए मैगेलन मिशन और कई नासा अंतरिक्ष शटल रडार मिशनों को जन्म दिया।

परिक्रमा करने वाला रडार उसी सिद्धांत पर काम करता है जिस तरह हवाई अड्डे पर विमानों को ट्रैक करने वाला रडार काम करता है। अंतरिक्ष में स्थित एंटीना पृथ्वी की ओर माइक्रोवेव पल्स उत्सर्जित करता है। जब पल्स किसी चीज से टकराते हैं - उदाहरण के लिए ज्वालामुखीय शंकु - तो वे बिखर जाते हैं।

एंटीना उन संकेतों को हासिल करता है जो उपकरण में वापस प्रतिध्वनित होते हैं, जो उनकी ताकत, आवृत्ति में परिवर्तन, उन्हें वापस आने में कितना समय लगा और क्या वे इमारतों जैसी कई सतहों से टकराए हैं, आदि को मापता है।

यह भी पढ़ें
पिछले चार साल से धंस रहा है जोशीमठ, उपग्रह की छवियों से चला पता
चिली में कैल्बुको ज्वालामुखी के 2015 में विस्फोट से पहले और बाद में ईएसए के सेंटिनल-1ए उपग्रह द्वारा लिए गए रडार के आंकड़ों का उपयोग करके भूमि विरूपण को दर्शाने वाला इंटरफेरोग्राम। ज्वालामुखी के पश्चिम में रंगीन पट्टियां भूमि के सिकुड़ने की ओर इशारा है। निसार से भी ऐसी ही तस्वीरें सामने आएंगी।

यह जानकारी किसी वस्तु या सतह की उपस्थिति, उसकी दूरी और उसकी गति का पता लगाने में मदद कर सकती है, लेकिन स्पष्ट चित्र बनाने के लिए रिज़ॉल्यूशन बहुत कम है। 1952 में गुडइयर एयरक्राफ्ट कॉर्प में पहली बार कल्पना की गई, एसएआर उस मुद्दे को हल करता है।

रिपोर्ट में जेपीएल में निसार के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट के हवाले से कहा गया है कि यह कम-रिज़ॉल्यूशन प्रणाली से उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें बनाने की एक तकनीक है।

जैसे-जैसे रडार आगे बढ़ता है, इसका एंटीना लगातार माइक्रोवेव प्रसारित करता है और सतह से प्रतिध्वनि हासिल करता है। क्योंकि उपकरण पृथ्वी के सापेक्ष गति कर रहा है, इसलिए वापसी संकेतों में आवृत्ति में थोड़ा बदलाव होता है। इसे डॉपलर शिफ्ट कहा जाता है, यह वही प्रभाव है जो फायर इंजन के पास आने पर सायरन की आवाज को बढ़ाता है और उसके जाने पर कम करता है।

यह भी पढ़ें
7000 से अधिक जलाशयों की अंतरिक्ष से निरंतर की जा रही है निगरानी
चिली में कैल्बुको ज्वालामुखी के 2015 में विस्फोट से पहले और बाद में ईएसए के सेंटिनल-1ए उपग्रह द्वारा लिए गए रडार के आंकड़ों का उपयोग करके भूमि विरूपण को दर्शाने वाला इंटरफेरोग्राम। ज्वालामुखी के पश्चिम में रंगीन पट्टियां भूमि के सिकुड़ने की ओर इशारा है। निसार से भी ऐसी ही तस्वीरें सामने आएंगी।

उन संकेतों की कंप्यूटर प्रोसेसिंग एक कैमरे से जुड़े होना जैसा है जो एक तेज तस्वीर बनाने के लिए प्रकाश को पुनर्निर्देशित और केंद्रित करता है। एसएआर के साथ, अंतरिक्ष यान का पथ "लेंस" बनाता है और प्रसंस्करण डॉपलर शिफ्ट के लिए समायोजित होता है, जिससे प्रतिध्वनि को एक सिंगल, केंद्रित छवि में एकत्रित किया जा सकता है।

एसएआर का उपयोग

एसएआर-आधारित विज़ुअलाइजेशन का एक प्रकार इंटरफेरोग्राम है, जो अलग-अलग समय पर ली गई दो छवियों का एक साथ जुड़ाव है जो प्रतिध्वनि की देरी में बदलाव को मापकर कमियों को सामने लाता है।

हालांकि वे अप्रशिक्षित आंखों को आधुनिक कला की तरह लग सकते हैं, इंटरफेरोग्राम के बहुरंगी संकेंद्रित बैंड दिखाते हैं कि भूमि की सतह कितनी दूर चली गई है, बैंड जितने करीब होंगे, गति उतनी ही अधिक होगी। भूकंपविज्ञानी भूकंप से भूमि विरूपण को मापने के लिए इन विज़ुअलाइजेशन का उपयोग करते हैं।

यह भी पढ़ें
लैंडफिल से निकल रही है लाखों कारों के बराबर मीथेन, उपग्रह से चला पता
चिली में कैल्बुको ज्वालामुखी के 2015 में विस्फोट से पहले और बाद में ईएसए के सेंटिनल-1ए उपग्रह द्वारा लिए गए रडार के आंकड़ों का उपयोग करके भूमि विरूपण को दर्शाने वाला इंटरफेरोग्राम। ज्वालामुखी के पश्चिम में रंगीन पट्टियां भूमि के सिकुड़ने की ओर इशारा है। निसार से भी ऐसी ही तस्वीरें सामने आएंगी।

एसएआर विश्लेषण का एक अन्य प्रकार, जिसे पोलरिमेट्री कहा जाता है, प्रेषित संकेतों के सापेक्ष वापसी तरंगों के ऊर्ध्वाधर या क्षैतिज अभिविन्यास को मापता है। इमारतों जैसी रैखिक संरचनाओं से टकराने वाली तरंगें समान अभिविन्यास में लौटती हैं, जबकि पेड़ों जैसी अनियमित विशेषताओं से टकराने वाली तरंगें दूसरे अभिविन्यास में लौटती हैं।

वापसी संकेतों के अंतर और ताकत का मानचित्रण करके, शोधकर्ता किसी क्षेत्र के भूमि आवरण की पहचान कर सकते हैं, जो पेड़ो के काटे जाने और बाढ़ का अध्ययन करने के लिए उपयोगी है।

यह भी पढ़ें
जोशीमठ सिर्फ 12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर धंसा, इसरो की सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ खुलासा
चिली में कैल्बुको ज्वालामुखी के 2015 में विस्फोट से पहले और बाद में ईएसए के सेंटिनल-1ए उपग्रह द्वारा लिए गए रडार के आंकड़ों का उपयोग करके भूमि विरूपण को दर्शाने वाला इंटरफेरोग्राम। ज्वालामुखी के पश्चिम में रंगीन पट्टियां भूमि के सिकुड़ने की ओर इशारा है। निसार से भी ऐसी ही तस्वीरें सामने आएंगी।

इस तरह के विश्लेषण उन तरीकों के उदाहरण हैं जिनसे निसार के शोधकर्ताओं को अरबों लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाली प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा।

रिपोर्ट में भारत के अहमदाबाद में अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में इसरो विज्ञान टीम के हवाले से कहा गया है कि यह मिशन हमारे बदलते ग्रह और प्राकृतिक खतरों के प्रभावों का अध्ययन करने के एक सामान्य लक्ष्य की ओर विज्ञान की एक विस्तृत श्रृंखला को समेटे हुए है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in