इसरो का पृथ्वी अवलोकन उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित, आपदाओं की सटीक जानकारी देने का दावा

यह छोटा वाहन, जो अंतरिक्ष में केवल 500 किलोग्राम तक का भार ले जाने में सक्षम है, इसका विकास इसरो द्वारा इसका व्यवसायीकरण करने के उद्देश्य से किया गया है
एसएसएलवी-डी3-ईओएस-08 मिशन 16 अगस्त, 2024 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से अपने सफल प्रक्षेपण के दौरान।
एसएसएलवी-डी3-ईओएस-08 मिशन 16 अगस्त, 2024 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से अपने सफल प्रक्षेपण के दौरान। फोटो: इसरो यूट्यूब
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार सुबह छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) की तीसरी उड़ान सफलतापूर्वक लॉन्च की, यह आखिरी उड़ान है। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, यान 175 किलोग्राम वजनी पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ईओएस-08 को अपने साथ ले जा रहा है।

प्रक्षेपण के बाद, इसरो ने कहा "एसएसएलवी की तीसरी विकास उड़ान सफल रही। एसएसएलवी-डी3 ने ईओएस-08 को कक्षा में सटीक रूप से स्थापित किया गया है।

एसएसएलवी-डी-ईओएस-8 मिशन फरवरी 2023 में छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी -डी2-ईओएस-07) की दूसरी परीक्षण उड़ान के दूसरे सफल प्रक्षेपण के बाद आया है।

जनवरी में पीएसएलवी-सी58-एक्सपीओ एसएटी और फरवरी में जीएसएलवी-एफ14/आईएनएसटी-3डीएस मिशनों के सफल प्रक्षेपण के बाद आज का मिशन बेंगलुरु मुख्यालय वाली अंतरिक्ष एजेंसी के लिए 2024 में तीसरा मिशन है।

अपने ताजा अपडेट में, इसरो ने कहा, "एसएसएलवी-डी3-ईओएस-08 मिशन - प्रक्षेपण से पहले साढ़े छह घंटे की उल्टी गिनती भारतीय समयानुसार 02.47 बजे शुरू हुई।

इसरो ने कहा कि एसएसएलवी-डी3-ईओएस-08 मिशन के उद्देश्यों में एक माइक्रोसैटेलाइट का डिजाइन और विकास करना, माइक्रोसैटेलाइट बस के साथ संगत पेलोड उपकरणों का निर्माण करना और भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को शामिल करना है।

आज, यानी 16 अगस्त के मिशन के साथ, इसरो ने सबसे छोटे रॉकेट की उड़ान पूरी कर ली है, जो 500 किलोग्राम तक के वजन वाले उपग्रहों को ले जा सकता है और उन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा (पृथ्वी से 500 किमी ऊपर) में स्थापित कर सकता है।

यह मिशन इसरो की व्यावसायिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड को उद्योग के साथ ऐसे छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहनों का उपयोग करके व्यावसायिक प्रक्षेपण करने के लिए भी बढ़ावा देगा।

माइक्रोसैट, आईएमएस-1 बस पर निर्मित, पृथ्वी अवलोकन उपग्रह तीन पेलोड ले जाता है, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस-आर) और एसआईसी यूवी डोसिमीटर कह लाता है।

अंतरिक्ष यान का मिशन का जीवन एक साल का है। इसका द्रव्यमान लगभग 175.5 किलोग्राम है और यह लगभग 420 वाट की शक्ति उत्पन्न करता है। इसरो ने कहा कि उपग्रह एसएसएलवी-डी3/आईबीएल -358 प्रक्षेपण यान से जुड़ता है।

पहला पेलोड ईओआईआर उपग्रह-आधारित निगरानी, आपदा निगरानी, पर्यावरण निगरानी, आग का पता लगाने, ज्वालामुखी गतिविधि के अवलोकन और औद्योगिक और बिजली संयंत्र आपदा निगरानी जैसे प्रयोगों के लिए दिन और रात दोनों समय मिड-वेव आईआर (एमआईआर) और लॉन्ग-वेव आईआर (एलडब्ल्यूआईआर) बैंड में छवियों को कैप्चर करने के लिए डिजाइन किया गया है।

दूसरा जीएनएसएस-आर पेलोड समुद्री सतह की हवाओं के विश्लेषण, मिट्टी की नमी का आकलन, हिमालयी क्षेत्र में क्रायोस्फीयर अध्ययन, बाढ़ का पता लगाने और जल निकायों का पता लगाने जैसे प्रयोगों के लिए जीएनएसएस-आर-आधारित रिमोट सेंसिंग का उपयोग करने की क्षमता रखता है।

तीसरा पेलोड - एसआईसी यूवी डोसिमीटर गगनयान मिशन में क्रू मॉड्यूल के व्यूपोर्ट पर यूवी विकिरण की निगरानी करता है और गामा विकिरण के लिए अलार्म सेंसर के रूप में कार्य करता है।

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