7000 से अधिक जलाशयों की अंतरिक्ष से निरंतर की जा रही है निगरानी

यह अध्ययन झीलों और जलाशयों से होने वाले वाष्पीकरण के माध्यम से पानी के नुकसान को भी मापता है, जो जल संसाधनों से जुड़ी गतिशीलता की अधिक संपूर्ण तस्वीर पेश करता है
अब उपग्रह झीलों और जलाशयों के माध्यम से पानी के नुकसान को भी मापता है, जो जल संसाधनों से जुड़ी संपूर्ण तस्वीर पेश करता है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, एक्सल क्रिस्टिन्सन
अब उपग्रह झीलों और जलाशयों के माध्यम से पानी के नुकसान को भी मापता है, जो जल संसाधनों से जुड़ी संपूर्ण तस्वीर पेश करता है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, एक्सल क्रिस्टिन्सन
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अधिकांश उपग्रहों को कई कार्यों को पूरा करने के लिए पांच से 10 साल के मिशन के लिए कक्षा में स्थापित किया जाता है। मॉडरेट रेजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्टर रेडियोमीटर (एमओडीआईएस) ले जाने वाले उपग्रहों के कई कार्यों में से एक दुनिया भर के जलाशयों की निगरानी करना है। दुनिया के मीठे या ताजे पानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इन जलाशयों में है।

दुनिया भर में पानी की निगरानी के लिए रिमोट सेंसिंग महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी देश नियमित रूप से अपने जल स्तर को रिकॉर्ड नहीं करते हैं या यदि वे ऐसा करते हैं तो उन आंकड़ों को साझा करने का विकल्प नहीं चुनते हैं। पानी की निगरानी के सटीक आंकड़े न केवल जल संसाधन प्रबंधन बल्कि नीतिगत निर्णय लेने में भी सहायता करते हैं।

एमओडीआईएस ले जाने वाले उपग्रह पिछले 24 वर्षों से यह कार्य कर रहे हैं। 2011 में लॉन्च किए गए विजिबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सुइट वाले उपग्रह प्रौद्योगिकी का एक नया संस्करण ले जाते हैं।

हर एक सेंसर पर थोड़ी अलग तकनीकों के साथ, एमओडीआईएस से विजिबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सुइट तक आंकड़े निरंतरता न केवल नए आंकड़े को सत्यापित करने के लिए बल्कि ऐतिहासिक आंकड़ों को संरक्षित करने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। नासा के साथ सहयोग किया गया यह शोध नेचर सब-जर्नल, साइंटिफिक डेटा में प्रकाशित हुआ है

शोध में शोधकर्ता ने कहा, हम इस अवधि का उपयोग यह पहचानने के लिए करना चाहते हैं कि क्या हम एमओडीआईएस के बंद होने के बाद विजुअल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सुइट का उपयोग कर सकते हैं।

2000 से 2012 तक, शोधकर्ताओं ने एमओडीआईएस के अवलोकनों का उपयोग किया और 2012 से 2021 तक, विजिबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सुइट अवलोकनों का उपयोग किया गया। फिर दोनों सेंसर से हासिल किए गए आंकड़ों को मिलाकर उनकी तुलना 2000-2021 के एमओडीआईएस अवलोकनों से की, यह देखने के लिए कि क्या रुझान स्थिर हैं या नहीं।

पहले, उपग्रह झीलों और जलाशयों को केवल उनके आकार और पानी की मात्रा से मापते थे। यह अध्ययन वाष्पीकरण के माध्यम से पानी के नुकसान को भी मापता है, जो जल संसाधनों से जुड़ी गतिशीलता की अधिक संपूर्ण तस्वीर पेश करता है।

शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं की टीम ने जलाशयों का अध्ययन करने के लिए कई साल बिताए हैं, अपने पिछले अध्ययनों को आगे बढ़ाने के लिए अधिक जलाशयों और अधिक बदलावों को जोड़कर अपने शोध के दायरे को बढ़ाया है।

दुनिया भर में 164 बड़े जलाशयों तक खुली पहुंच, परिचालन डेटासेट विवरण क्षेत्र, ऊंचाई, भंडारण, वाष्पीकरण दर और वाष्पीकरण मात्रा की जानकारी देता है, जिसमें 151 मानव निर्मित जलाशय और 13 नियमित प्राकृतिक झीलें शामिल हैं। यह शोध पर्यावरण अनुसंधान और जल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े प्रदान करता है।

शोध के मुताबिक, ये उत्पाद विकास मूल रूप से 10 साल पहले अध्ययनों पर आधारित थे। शोधकर्ता ने शोध में उदाहरण देकर कहा कि, 10 साल पहले, 34 जलाशय थे, लेकिन हमने इस उत्पाद में संख्या, परिवर्तन और सटीकता बढ़ाना जारी रखा।

शोध में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर लगभग 7000 से अधिक जलाशय हैं, जिनमें छोटे से लेकर बड़े जलाशय शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने 151 मानव निर्मित जलाशयों से वैश्विक क्षमता का लगभग 45 से 46 प्रतिशत हासिल करने के लिए आंकड़े एकत्र किए हैं।

शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से कहा कि उनके अगले कदमों में इन आंकड़ों का उपयोग करके सूखा निगरानी प्रणाली विकसित करना और यह अध्ययन करना शामिल है कि मानव गतिविधियां जलाशयों में सूखे को कैसे प्रभावित करती हैं।

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