
आप जब किसी पेड़ के नीचे छांव में खड़े होते हैं, तो शायद ही सोचते हों कि उस शांत, स्थिर तने के भीतर एक पूरा संसार पनप रहा है, एक ऐसा सूक्ष्म ब्रह्मांड, जो एक लाख करोड़ से भी अधिक सूक्ष्मजीवों को आसरा देता है। भले ही यह आंकड़ा सुनने में हैरान करने वाला लगे, लेकिन सही है।
अमेरिका के येल विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों ने एक हैरान कर देने वाली खोज की है। उनके अध्ययन से पता चला है कि एक जीवित पेड़ की लकड़ी में करीब एक लाख करोड़ सूक्ष्मजीव यानी माइक्रोब्स रहते हैं। हैरानी की बात है कि यह सूक्ष्मजीव न केवल पेड़ की बाहरी सतह पर, बल्कि उसके अंदरूनी हिस्सों में भी बसे होते हैं।
भले ही यह सूक्ष्मजीव हमारी आंखों से दिखाई न दें, लेकिन ये प्रकृति की समस्त गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। देखा जाए तो यह एक ऐसा जीवनतंत्र है जो पृथ्वी पर कार्बन संतुलन से लेकर जलवायु परिवर्तन तक में अहम भूमिका निभा सकता है।
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 16 प्रजातियों के 150 पेड़ों के नमूने लिए थे, जिनमें अमेरिका के पूर्वोत्तर हिस्से के जंगलों में मौजूद पेड़ शामिल थे। अध्ययन के नतीजे अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर में प्रकाशित हुए हैं।
पेड़ के अंदर दो अलग दुनिया
अध्ययन में सामने आया है कि पेड़ के भीतर के दो होसों, हार्टवुड (भीतरी भाग) और सैपवुड (बाहरी भाग) में सूक्ष्मजीवों के अलग-अलग प्रकार के समुदाय पाए जाते हैं। जहां हार्टवुड में ऑक्सीजन-रहित वातावरण में पनपने वाले माइक्रोब्स रहते हैं, वहीं सैपवुड में ऑक्सीजन उपयोग करने वाले सूक्ष्मजीवों की प्रचुरता होती है।
दिलचस्प बात यह है कि सूक्ष्मजीवों के ये समुदाय केवल पेड़ के हिस्सों के अनुसार ही नहीं, बल्कि पेड़ों की प्रजातियों के अनुसार भी अलग-अलग होते हैं। जैसे, शुगर मेपल के अंदर मिलने वाले माइक्रोब्स पाइन के पेड़ से बिल्कुल अलग पाए गए।
यह अंतर हर पेड़ में स्थाई रूप से देखा गया, जिससे पता चलता है कि पेड़ों और सूक्ष्मजीवों के बीच गहरा सहसंबंध हो सकता है।
पेड़ों के अदृश्य साथी
वैज्ञानिकों का मानना है कि इन सूक्ष्मजीवों को पेड़ का 'सह-जीवी' मानना चाहिए, यानी पेड़ और उसके अंदर रहने वाले सूक्ष्मजीव मिलकर एक जैविक इकाई बनाते हैं।
यह हमें सिखाता है कि कोई भी जीव अकेला नहीं होता, वह अपने सूक्ष्मजीव साथियों के साथ मिलकर एक सामूहिक जीवन जीता है, और उनका अस्तित्व एक-दूसरे से जुड़ा होता है। इसी तरह पेड़ों के लिए भी यह सूक्ष्मजीव बेहद मायने रखते हैं। ये सूक्ष्मजीव पोषक चक्र, गैस उत्पादन और अन्य रासायनिक प्रक्रियाओं में शामिल होते हैं।
कार्बन चक्र में अहम भूमिका
पेड़ों में होने वाली ये अंदरूनी प्रक्रियाएं इसीलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जंगल हर साल वातावरण से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को सोखते हैं। बता दें कि पेड़-पौधे धरती पर सबसे बड़ा जैविक भंडार हैं, जो अपने अंदर 300 गीगाटन से अधिक कार्बन संजोए हुए हैं।
ऐसे में अगर सूक्ष्मजीव इस प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं, तो हमें जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग में जंगलों की भूमिका को नए नजरिए से देखने की जरूरत है।
इतना ही नहीं ये सूक्ष्मजीव पेड़ों में उनकी वृद्धि, रोग-प्रतिरोधक क्षमता, सड़न से बचाने और बाढ़-सूखा जैसी स्थितियों में होने वाली प्रतिक्रिया को भी प्रभावित कर सकते हैं। मतलब की अगर वैज्ञानिक यह समझ पाएं कि कौन-से सूक्ष्मजीव पेड़ को मजबूत बनाते हैं, तो भविष्य में यह जानकारी जंगल के प्रबंधन और रख-रखाव को नई दिशा दे सकती है।
येल विश्वविद्यालय और अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता जोनाथन गेविर्ट्जमैन का इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति में कहना है, "दुनिया भर के पेड़ों के भीतर एक अदृश्य और रहस्यमयी जैवविविधता छिपी है, अनगिनत सूक्ष्मजीव प्रजातियां जो अब तक हमारी नजरों से ओझल रही हैं।"
उनका आगे कहना है, "इससे पहले कि जलवायु परिवर्तन इन्हें बदल डाले, हमें इस अद्भुत सूक्ष्म ब्रह्मांड को समझने और दर्ज करने की जरूरत है। इन छोटे-छोटे जीवों में पेड़ों की वृद्धि को बढ़ाने, बीमारियों से रक्षा करने या ऐसे अनमोल रसायन बनाने की शक्ति हो सकती है, जिनकी कल्पना भी हमने अब तक नहीं की है।"