

गायरोमॉर्फ्स एक नई सामग्री है जो सभी दिशाओं से रोशनी को रोकने में अब तक की सबसे प्रभावी साबित हुई है।
यह सामग्री तरल जैसी अव्यवस्था और क्रिस्टल जैसी नियमितता का अनूठा संयोजन रखती है।
क्वासिक्रिस्टल्स की सीमाओं को पार करते हुए गायरोमॉर्फ्स मजबूत और बेहतर समदैशिक बैंडगैप प्रदान करते हैं।
वैज्ञानिकों ने एक विशेष एल्गोरिदम से सहसंबद्ध विकार आधारित मेटामटीरियल्स बनाकर इसे विकसित किया।
गायरोमॉर्फ्स भविष्य में तेज, ऊर्जा-कुशल और अधिक विश्वसनीय लाइट-आधारित कंप्यूटरों के विकास का मार्ग खोलते हैं।
आज की दुनिया में कंप्यूटर और डिजिटल तकनीक हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। लेकिन पारंपरिक कंप्यूटर जो इलेक्ट्रॉनिक सर्किट और विद्युत धारा पर आधारित हैं, एक सीमा तक ही तेज और ऊर्जा-कुशल हो सकते हैं।
इस वजह से वैज्ञानिक अब लाइट-आधारित कंप्यूटर यानी फोटोनिक कंप्यूटर विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसे कंप्यूटर में जानकारी और गणना प्रकाश के कणों, जिन्हें फोटॉन कहा जाता है, की मदद से की जाती है।
फोटोनिक कंप्यूटर के कई फायदे हैं। यह पारंपरिक कंप्यूटर की तुलना में तेज काम कर सकता है और बहुत कम ऊर्जा खर्च करता है। लेकिन इस तकनीक के सामने सबसे बड़ी चुनौती है चिप के अंदर लाइट सिग्नल्स को नियंत्रित करना।
छोटे और कमजोर प्रकाश सिग्नल को बिना खोए एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना मुश्किल होता है। इस समस्या का समाधान खोजने के लिए वैज्ञानिकों को ऐसी नई सामग्री विकसित करनी पड़ती है जो सभी दिशाओं से आने वाली अनचाही रोशनी को रोक सके। इसे वैज्ञानिक “आइसोट्रोपिक बैंडगैप सामग्री” कहते हैं।
हाल ही में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। उन्होंने एक नई सामग्री विकसित की है, जिसे उन्होंने गायरोमॉर्फ्स नाम दिया है। यह सामग्री अब तक की सभी ज्ञात सामग्रियों से बेहतर है और इसे विशेष रूप से सभी दिशाओं से रोशनी को अवरुद्ध करने के लिए डिजाइन किया गया है।
गायरोमॉर्फ्स की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह तरल और क्रिस्टल दोनों जैसी गुणों का मिश्रण है। इसका मतलब है कि यह सतत रूप से बदलता रहता है जैसे तरल पदार्थ, लेकिन लंबी दूरी से देखने पर इसके अंदर एक नियमित पैटर्न दिखाई देता है जैसे क्रिस्टल में होता है। यह अनूठा मिश्रण इसे सभी दिशाओं से आने वाली रोशनी को रोकने में सक्षम बनाता है।
इस खोज की तुलना में पहले प्रयोग में लाए जाने वाले क्वासिक्रिस्टल्स की सीमाएं स्पष्ट होती हैं। क्वासिक्रिस्टल्स, जिन्हें 1980 के दशक में वैज्ञानिक पॉल स्टीनहार्ड और डॉव लेवाइन ने वर्णित किया था, एक प्रकार की बिना-आवर्ती लेकिन गणितीय रूप से व्यवस्थित संरचना होती है।
हालांकि इनका उपयोग करते समय समस्या यह आती थी कि या तो यह केवल कुछ दिशाओं से रोशनी को पूरी तरह रोक पाते थे, या सभी दिशाओं से रोशनी को कमजोर करते थे लेकिन पूरी तरह रोक नहीं पाते थे। इस कमी के कारण वैज्ञानिकों को बेहतर समाधान की तलाश थी।
गायरोमॉर्फ्स को विकसित करने के लिए शोधकर्ताओं ने मेटामटीरियल्स का उपयोग किया। मेटामटीरियल्स ऐसी संरचनाएं होती हैं जिनका व्यवहार उनके रासायनिक घटकों पर नहीं बल्कि उनकी आर्किटेक्चर और पैटर्न पर निर्भर करता है। शोधकर्ताओं ने एक विशेष एल्गोरिदम तैयार किया जो डिसऑर्डर यानी अव्यवस्था के बावजूद कार्यकुशल संरचनाएं उत्पन्न करता है।
इस प्रक्रिया में उन्होंने “सहसंबद्ध विकार” का नया सिद्धांत विकसित किया। इसे सरल शब्दों में समझें तो यह संरचना पूरी तरह डायनामिक (यादृच्छिक) नहीं होती, बल्कि उसमें एक निश्चित दूरी और नियम का पालन होता है, जैसे जंगल में पेड़ एक दूसरे से बहुत नजदीक नहीं उगते।
गायरोमॉर्फ्स की सफलता का रहस्य इसका संरचनात्मक हस्ताक्षर है। यह हस्ताक्षर उन सभी सामग्रियों में पाया जाता है जो समदैशिक बैंडगैप की तरह काम करती हैं। शोधकर्ताओं ने इस हस्ताक्षर को अधिक स्पष्ट और प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया, जिससे उन्होंने गायरोमॉर्फ्स जैसी नई सामग्री का आविष्कार किया।
गायरोमॉर्फ्स के फायदे केवल इसकी अनोखी संरचना तक सीमित नहीं हैं। यह सिग्नल स्ट्रेंथ को बनाए रखने में भी बेहद प्रभावी है। पारंपरिक सामग्रियों की तुलना में गायरोमॉर्फ्स में सिग्नल लॉस बहुत कम होता है। इसका मतलब है कि भविष्य के फोटोनिक कंप्यूटर और अन्य प्रकाश-आधारित उपकरण और अधिक तेज और ऊर्जा-कुशल बन सकते हैं।
फिजिकल रिव्यु लेटर्स पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि गायरोमॉर्फ्स कोई भी ज्ञात संरचना नहीं हैं। इनकी अनूठी बनावट उन्हें वर्तमान नजरियों से बेहतर समदैशिक बैंडगैप सामग्रियों में बदल देती है। इस खोज से लाइट-आधारित कंप्यूटिंग के क्षेत्र में नई संभावनाओं का मार्ग खुलता है, जो आने वाले सालों में कंप्यूटर प्रौद्योगिकी को एक नई दिशा दे सकता है।
संक्षेप में गायरोमॉर्फ्स न केवल वैज्ञानिक खोज हैं बल्कि भविष्य के तेज, ऊर्जा-कुशल और शक्तिशाली कंप्यूटर का आधार भी बन सकते हैं। यह शोध दिखाता है कि जब विज्ञान और तकनीक मिलकर काम करती है, तो नई सामग्रियों और संरचनाओं के जरिए जटिल समस्याओं का समाधान संभव है।