कार्बन नैनोट्यूब संबंधी नई तकनीक रिचार्जेबल बैटरी और बायोमेडिकल के लिए हो सकती है अहम

कार्बन नैनोट्यूब्स (सीएनटीएस) का उपयोग ऊर्जा अनुसंधान, जैव-चिकित्सा और प्रकाश इलेक्ट्रॉनिकी या ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक में मदद कर सकता है।
काल्पनिक छवि, फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, ओक रिज राष्ट्रीय प्रयोगशाला
काल्पनिक छवि, फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, ओक रिज राष्ट्रीय प्रयोगशाला
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भारतीय शोधकर्ताओं ने कार्बन नैनोट्यूब्स (सीएनटीएस) संबंधी एक नई तकनीक विकसित की है। इस प्रक्रिया में 750 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर ग्लास सब्सट्रेट पर कार्बन नैनोट्यूब्स (सीएनटीएस) को सीधे बनाया जा सकता है। यह तकनीक ऊर्जा अनुसंधान, जैव चिकित्सा या बायोमेडिकल और प्रकाश इलेक्ट्रॉनिकी या ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक में मदद कर सकती है।

कार्बन नैनोट्यूब्स (सीएनटीएस) के असाधारण गुणों के चलते यह आधुनिक तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए अहम है। उन्हें रिचार्ज की जा सकने योग्य बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस, पारदर्शी इलेक्ट्रोड, टच स्क्रीन, सुपरकैपेसिटर और चिकित्सा सहित विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग में लाया जा सकता है।

हालांकि, पारंपरिक सीएनटी बनाने की विधियों के लिए उच्च तापमान और धातु उत्प्रेरक, लोहा-एफई, कोबाल्ट- सीओ एवं निकेल-एनआई की आवश्यकता होती है। ये उत्प्रेरक  जैव चिकित्सा प्रयोगों के लिए जैव अनुकूलता संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।

सीएनटी से इन उत्प्रेरकों को हटाने की लागत को बहुत बढ़ा देती है, जिसके चलते स्वच्छ, अधिक टिकाऊ सीएनटी संश्लेषण विधियों की जरूरत पड़ने लगी है। ऐसा करना नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक नई चुनौती बन जाती है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) के शोधकर्ताओं ने 750 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर ग्लास सब्सट्रेट्स पर सीएनटी को सीधे संश्लेषित करने के लिए एक अनूठी विधि विकसित की है।

यह प्रयोग प्लाज्मा से जुड़ा रासायनिक वाष्प जमाव तकनीक (पीईसीवीडी) का उपयोग करके किया जाता है, जहां विशेष रूप से डिजाइन किए गए स्पाइरल-आकार के संगलित खोखले कैथोड स्रोत का उपयोग करके प्लाज्मा उत्पन्न किया जाता है।

इस प्रक्रिया के लिए होने वाले ऊंचे तापमान की जरूरत को यह समाप्त कर देती है और एक धातु उत्प्रेरक (ट्रांजीशन मेटल कैटेलिस्ट) की जरूरत को भी या खत्म कर देती है। इसके अलावा इस संश्लेषण को वायुमंडलीय दबाव के अंतर्गत क्रियान्वित किया जाता है, जिससे इस क्षेत्र में मौजूदा तकनीकों की तुलना में यह किफायती है।

प्लाज्मा की विशेषताएं, सब्सट्रेट की संरचना, सब्सट्रेट का तापमान और सब्सट्रेट के पूर्व प्लाज्मा उपचार सहित कई चीजें, सीएनटी के विकास को भारी तौर पर प्रभावित करते हैं। जरूरी ऊंचे तापमान पर ग्लास सब्सट्रेट का पूर्व प्लाज्मा उपचार सतह क्षेत्र को बढ़ाता है, जिससे इसके तत्वों की अधिक महत्वपूर्ण मात्रा सीधे सतह पर दिखने लगती है।

शीशे के भीतर सभी तत्वों में से सोडियम (एनए) सीएनटी वृद्धि शुरू करने के लिए शुरुआती उत्प्रेरक के रूप में सामने आता है और विश्लेषण भी यही प्रमाणित करता है। यह भी देखा गया है कि सोडियम (एनए) युक्त सीएनटीएस को विआयनीकृत जल (डी-आयनाइज्ड  वाटर) से धोकर विकसित सीएनटीएस में विद्यमान सोडियम (एनए) को आसानी से हटाया जा सकता है।

यह अध्ययन सीएनटी को संश्लेषित करने के लिए एक ऐसी नई वायुमंडलीय दबाव पीईसीवीडी प्रक्रिया का खुलासा करता है, जो ऊर्जा अनुसंधान, जैव-चिकित्सकीय क्षेत्रों और प्रकाश इलेक्ट्रॉनिकी में प्रयोगों के लिए उपयुक्त स्वच्छ सीएनटी के उत्पादन को सक्षम बनाती है। यह खोज सीएनटी संश्लेषण में चुनौतियों का समाधान करने और विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में उनके प्रयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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