
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली के कोंडली स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से उठ रही बदबू और गंदगी की समस्या को गंभीरता से लिया है। इस मामले में 3 सितंबर 2025 को एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, दिल्ली नगर निगम, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी और डीडीए को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं।
मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर 2025 को होगी, और सभी संबंधित पक्षों को उससे कम से कम एक सप्ताह पहले अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं।
यह याचिका मयूर कुंज रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि कोंडली फेज एक से 4 तक बने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) रिहायशी इलाकों के बीच में हैं और ये पर्यावरण मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। यह भी आरोप है कि इन प्लांट्स से बिना साफ किया गन्दा पानी सड़कों की ओर छोड़ा जा रहा है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा हो रहे हैं।
ऐसे में एसोसिएशन ने मांग की है कि अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि एसटीपी से रिहायशी इलाकों की ओर गंदा पानी न छोड़ा जाए। साथ ही बदबू फैलाने वाले खुले नालों को ढंका जाए और स्लज (गाद) को रिहायशी इलाकों से दूर रखा जाए।
किशनगढ़ में मार्बल स्लरी कचरे पर एनजीटी सख्त, दो हफ्ते में रिपोर्ट तलब
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने 2 सितंबर 2025 को राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि वे अजमेर के किशनगढ़ में मार्बल स्लरी कचरे की समस्या को हल करने के लिए दो हफ्तों में सुधार के उपायों की रिपोर्ट दें।
यह रिपोर्ट मौजूदा या मसौदा दिशानिर्देशों के आधार पर तैयार की जाए।
यह मामला किशनगढ़ में मार्बल स्लरी के अवैज्ञानिक और खतरनाक तरीके से हो रही डंपिंग से जुड़ा है, जिससे पर्यावरण और लोगों की सेहत पर असर पड़ रहा है।