बरेली, मुरादाबाद और शाहजहांपुर में सीवेज उपचार क्षमता विकसित करने के लिए बनाई गई है परियोजनाएं

नमामि गंगे प्रोग्राम के तहत 2,345.56 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता विकसित करने के लिए परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है
प्रतीकात्मक तस्वीर: विकास चौधरी/ सीएसई
प्रतीकात्मक तस्वीर: विकास चौधरी/ सीएसई
Published on

उत्तर प्रदेश में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 2345.56 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता बहाल और विकसित करने के लिए परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसके लिए कुल 69 सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की अनुमति दी गई है। इसके तहत करीब 1,894.62 किलोमीटर में सीवेज नेटवर्क बिछाना है। इनकी कुल लागत 14,110.34 करोड़ रुपए है। इनमें से 42 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।

इन परियोजनाओं की मदद से 1,006.76 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता विकसित की गई है और करीब 1,795.22 किलोमीटर में सीवेज नेटवर्क बिछाया है। वहीं 931.80 एमएलडी क्षमता की अठारह परियोजनाएं अभी निर्माणाधीन हैं और उनके अगस्त 2024 से जुलाई 2026 के बीच पूरा होने की उम्मीद है।

यह जानकारी 26 जुलाई, 2024 को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने अपनी रिपोर्ट में दी है। गौरतलब है कि एनजीटी ने 16 अप्रैल, 2024 को इस बारे में एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें एनएमसीजी से रिपोर्ट सबमिट करने को कहा गया था।

रिपोर्ट के अनुसार एनएमसीजी ने उत्तर प्रदेश के बरेली, मुरादाबाद और शाहजहांपुर के लिए योजनाएं बनाई हैं। राज्य के 29 अन्य जिलों में योजनाएं विकसित करने के लिए एनएमसीजी, जीआईजेड के साथ मिलकर जिला गंगा समितियों की क्षमता का निर्माण भी कर रहा है।

वाराणसी, प्रयागराज, मथुरा-वृंदावन, कानपुर और गढ़मुक्तेश्वर में मैकेनिकल ट्रैश स्कीमर का उपयोग करके नदी की सतह को साफ करने के लिए एक पायलट परियोजना को मंजरी दी गई थी। इस परियोजना की लागत 12.42 करोड़ रुपए है। यह तीन वर्षों के लिए एक पायलट परियोजना थी, जो अब पूरी हो चुकी है।

क्या सोनभद्र में ओबरा थर्मल पावर परियोजना के लिए अवैध रूप से काटे गए पेड़, अब समिति करेगी जांच

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पेड़ों के काटे जाने के आरोपों की जांच के लिए 24 जुलाई 2024 को एक संयुक्त समिति के गठन के निर्देश दिए हैं। ओबरा पावर प्लांट (ओबरा ‘सी’ थर्मल पावर स्टेशन) के लिए कॉलोनियों के निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से जुड़ा है।

बता दें कि इस संयुक्त समिति में सोनभद्र के जिला मजिस्ट्रेट, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सोनभद्र के प्रभागीय वन अधिकारी और लखनऊ में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे।

इस बारे में दायर शिकायत में कहा गया है कि अधिकारियों की मिलीभगत से करीब 50,000 पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया है। एक नई परियोजना, ओबरा ‘डी’ थर्मल पावर प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। इस परियोजना के लिए करीब एक लाख पेड़ों को काटा जाना है। हालांकि इनकी भरपाई के लिए परियोजना प्रस्तावक द्वारा कोई वृक्षारोपण गतिविधि नहीं की गई है।

कोर्ट के निर्देशानुसार समिति साइट का दौरा करेगी। इसके साथ ही वो परियोजना प्रस्तावक और शिकायतकर्ता से बात करेगी और जानकारी एकत्र करेगी। समिति को एक महीने के भीतर अदालत के समक्ष तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई दो सितंबर, 2024 को होनी है।

पलवल नगर निगम द्वारा नालियों में डाला जा रहा कचरा, जांच के लिए समिति गठित

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पलवल नगर निगम द्वारा नालियों में कचरा डालने की शिकायतों की जांच के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। इस समिति में पलवल के उपायुक्त और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य शामिल होंगे।

24 जुलाई 2024 को दिए निर्देश में अदालत ने समिति को साइट का दौरा कर जानकारी एकत्र करने के लिए कहा है। साथ ही यदि वहां पर्यावरण सम्बन्धी नियमों का उल्लंघन पाया जाता है तो समिति को नियमों को तोड़ने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही समिति को अगले दो महीनों के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

आवेदन में कहा गया है कि पलवल नगर निगम गुरुग्राम, दिल्ली और फरीदाबाद को जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के पास नालियों में कचरा डाल रहा है, जिससे पानी रुक रहा है और जलभराव हो रहा है। इसकी वजह से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in