जांच के दायरे में बलियापांडा डंपिंग यार्ड, एनजीटी ने कुप्रबंधन पर अधिकारियों से मांगा जवाब

बलियापांडा डंपिंग यार्ड समुद्र तट से महज 50 से 100 मीटर दूर है, जबकि जगन्नाथ मंदिर से इसकी दूरी कुछ किलोमीटर है
देश में कचरे के पहाड़ तेजी से बढ़ रहे हैं और डंपिंग ग्राउंड पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे ही एक मामले में उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित भाउपुर कचरा डंपिंग ग्राउंड में लगी आग; फोटो: पुनीत तिवारी
देश में कचरे के पहाड़ तेजी से बढ़ रहे हैं और डंपिंग ग्राउंड पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे ही एक मामले में उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित भाउपुर कचरा डंपिंग ग्राउंड में लगी आग; फोटो: पुनीत तिवारी
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने 24 मार्च, 2025 को ओडिशा के पर्यावरण एवं वन विभाग के साथ अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। इन सभी से अपना आधिकारिक बयान दाखिल करने के लिए कहा गया है।

मामला ओडिशा में पुरी के बलियापांडा डंपिंग यार्ड में कचरे के उचित प्रबंधन से जुड़ा है। इस मामले में पुरी के जिला मजिस्ट्रेट, ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ओएसपीसीबी) तथा पुरी नगर पालिका को भी अपने जवाब प्रस्तुत करने होंगे। सभी प्रतिवादियों से अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने को कहा गया है।

मामला बलियापांडा डंपिंग यार्ड से जुड़ा है, जो पुरी समुद्र तट से 50-100 मीटर और जगन्नाथ मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर स्थित है।

रीसाइक्लिंग और खाद बनाने के साथ कचरे का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने के लिए जैव-खनन प्रक्रिया शुरू हो गई है, हालांकि इन प्रयासों के बावजूद कचरे में आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं। इसकी वजह से जहरीला धुआं निकलता है, जो स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर रहा है।

आवेदन में कहा गया है कि बालीपांडा में पांच एकड़ का क्षेत्र मूल रूप से कचरा की डंपिंग के लिए था। लेकिन समय के साथ, यह 10 एकड़ में फैल गया। हालांकि जब आस-पास घर बन गए, तो अधिकारियों ने वहां डंपिंग बंद कर दी और कचरे को प्रोसेस करने के आधुनिक तरीकों का उपयोग करना शुरू कर दिया।

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कचरे के पहाड़ के पास रह रहे हैं 2,000 परिवार

आवेदन में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कचरे के पहाड़ के पास करीब 2,000 परिवार रहते हैं। इसके बावजूद नगर पालिका शहर और श्मशान घाटों से निकला कचरा वहां फेंक रही है।

बरसात के मौसम में बारिश का पानी कचरे के साथ मिल जाता है, जिससे बदबू आने लगती है और कीड़े-मकोड़े पनपने लगते हैं।

बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 27 सितंबर, 2024 को कहा था कि बलियापांडा में डंपिंग यार्ड के आसपास से हटाए गए लोगों का पुनर्वास किया जाना चाहिए। उस दौरान एनजीटी ने कहा था कि अगर डंपिंग यार्ड में कोई बड़ी आग लगती है तो उससे गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। इससे लोगों की जान को भी खतरा है।

ऐसे में यह राज्य की जिम्मेवारी है कि वो उन लोगों के लिए नया आसरा ढूंढें जो इस साइट से हटाए जाने के बाद बेघर हो जाएंगे।

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वहीं पुरी नगर पालिका द्वारा आठ मई, 2024 को दायर हलफनामे में कहा गया था कि बलियापांडा डंपिंग यार्ड के चारों ओर चारदीवारी बनाने की विस्तृत योजना तैयार की गई है। इस परियोजना पर करीब 99 लाख रुपए खर्च होंगे। इसके लिए कार्य आदेश जारी कर दिए गए हैं। इस दीवार के काम को छह महीने में पूरी होना था।

हालांकि, ओडिशा में चुनाव के चलते इस काम में देरी हुई। इसपर अदालत का कहना है कि चुनाव चार जून, 2024 को समाप्त हो गए, इसलिए चारदीवारी के निर्माण में और अधिक देरी नहीं होनी चाहिए।

इसी तरह ओडिशा के मुख्य सचिव ने 26 सितंबर, 2024 को अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी थी कि डंपिंग यार्ड के आसपास सरकारी जमीन पर करीब 3,000 परिवार रह रहे हैं।

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