लुधियाना नई सब्जी मंडी में कचरा प्रबंधन पर सख्त हुआ एनजीटी

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सब्जी मंडी परिसर के अंदर डंपसाइट पर करीब 15,000 मीट्रिक टन पुराना और नया कचरा जमा है
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 21 अगस्त 2025 को लुधियाना नगर निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे 17 नवंबर 2025 को अगली सुनवाई में वर्चुअली पेश हों और लुधियाना में नई सब्जी मंडी में कचरा प्रबंधन की समस्या पर अदालत की मदद करें।

पंजाब मंडी बोर्ड ने 19 अगस्त 2025 को दाखिल हलफनामे में बताया कि अब तक करीब 1,700 टन पुराना कचरा हटाया जा चुका है, जबकि दो जगहों पर लगभग 900 टन कचरा साफ किया जाना अभी बाकी है।

वहीं पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने 18 अगस्त 2025 को हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें 17 जुलाई 2025 को की गई साइट जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश की गई है। इस दौरान बोर्ड के अधिकारियों ने लुधियाना के बहादुरके रोड, जालंधर बाईपास स्थित सब्जी मंडी का निरीक्षण किया था।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सब्जी मंडी परिसर के अंदर डंपसाइट पर करीब 15,000 मीट्रिक टन पुराना और नया कचरा जमा है। लुधियाना नगर निगम ने मंडी परिसर को आसपास के इलाकों का कचरा इकट्ठा करने के लिए सेकेंडरी कलेक्शन प्वॉइंट बना दिया है। वहां मौजूद नगर निगम कर्मचारियों के अनुसार, रोजाना 40 से 45 कचरा गाड़ियां यहां कचरा डाल रही हैं।

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मंडी परिसर में डंपसाइट जमा है 15,000 मीट्रिक टन कचरा

नगर निगम ने मंडी परिसर में ठोस कचरे को दबाने के लिए 8 स्टैटिक कम्पैक्टर लगाए हैं, जो चालू अवस्था में पाए गए। इस कचरे को दबाकर पैक्ड कंटेनरों के जरिए आगे ताजपुर रोड स्थित डंपसाइट पर भेजा जा रहा है।

मंडी बोर्ड ने कुछ पुराने कचरे को हटाया तो है, लेकिन उसे मंडी परिसर के ही दूसरे हिस्से में डाल दिया है। कम्पैक्टर चालू होने के बावजूद मंडी परिसर में अब भी बड़ी मात्रा में नया कचरा डाला जा रहा है। इस तरह मंडी बोर्ड ने मौके पर कचरे के इन-सिटू प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं की है।

रिपोर्ट ने यह भी साफ किया कि मंडी बोर्ड ने अब तक जैविक कचरे (सब्जी-फलों का कचरा) के इन-सिटू प्रबंधन या कंपोस्टिंग की कोई व्यवस्था नहीं की है। मंडी के अंदर कई जगहों पर फलों-सब्जियों का कचरा सड़कों के किनारे पड़ा मिला।

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पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा कि मंडी में अब भी पुराना कचरा जमा है और रोजाना निकलने वाले कचरे के वैज्ञानिक निपटान की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

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