
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि वो दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में सड़कों, नालियों और सीवर लाइनों का निर्माण और रखरखाव कर रहा है। यह रिपोर्ट छह फरवरी, 2025 को अदालत में सौंपी गई है।
इन कॉलोनियों में, दिल्ली जल बोर्ड सीवर लाइनों का निर्माण और रखरखाव करता है, जबकि सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण (आई एंड एफसी) या दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) सड़कों का निर्माण करता है।
धर्म तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए राजस्थान सरकार ने उठाए हैं कदम
अतिक्रमण का शिकार धर्म तालाब और उसके आसपास के कुल 0.8638 हेक्टेयर क्षेत्र में से 0.4438 हेक्टेयर को मुक्त करा लिया गया है। शेष 0.42 हेक्टेयर क्षेत्र, जिसमें 0.3162 हेक्टेयर व्यावसायिक भूमि और 0.1038 हेक्टेयर में नौ आवासीय मकान शामिल हैं, पर उच्च न्यायालय की जोधपुर बेंच के स्टे आर्डर हैं।
यह तालाब राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रैला में स्थित है।
इसका जिक्र राजस्थान सरकार द्वारा 5 फरवरी, 2025 को अदालत में सौंपी गई कार्रवाई रिपोर्ट में किया गया है। यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 13 जनवरी, 2025 को दिए आदेश पर अदालत में सबमिट की गई है।
अदालत को बताया गया है कि राज्य अधिकारियों, पुलिस और पंचायती राज विभाग ने अक्टूबर 2023 से जनवरी 2025 के बीच धर्म तालाब और आसपास के इलाकों से अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए कई अभियान चलाए थे।
अतिक्रमण हटाने का यह काम कई चरणों में किया गया था। उदाहरण के लिए, तीन अक्टूबर 2023 को राज्य सरकार की टीम ने पुलिस और पंचायती राज विभाग की मदद से धर्म तालाब को अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराया था।
चार जनवरी 2025 को अतिक्रमण हटाने के लिए कंक्रीट की बनी 13 संरचनाओं जैसे कि बहुमंजिला मकान, एक मदरसा, एक पेट्रोल पंप, एक स्कूल और दुकानों को चिन्हित किया गया था। इसी तरह, निर्मला देवी जीनगर के आबादी पट्टा स्थल पर एक निजी स्कूल, मदरसा और ई-मित्र की दुकानों सहित व्यावसायिक उपयोग के लिए बनाए गए शौचालयों सहित अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया।
पर्यावरण मंत्रालय ने किया स्पष्ट, बराक भुबन वन्यजीव अभ्यारण्य में निर्माण के लिए नहीं दी अनुमति
पर्यावरण मंत्रालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को बताया है कि उसे बराक भुबन वन्यजीव क्षेत्र में भुबन हिल तक सड़क बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।
इस बारे में 30 जनवरी, 2025 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने एक जवाबी हलफनामा अदालत में दाखिल किया है। इसके मुताबिक मंत्रालय को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 या वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के तहत केंद्र सरकार से मंजूरी के लिए कोई प्रस्ताव आज तक नहीं मिला है।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार को अनधिकृत निर्माण या अवैध अतिक्रमण में शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने और कार्यवाही शुरू करने का पूरा अधिकार है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 जुलाई 2022 को असम सरकार ने आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना जारी कर कछार जिले में 320 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को बराक भुबन वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया था।
गौरतलब है कि अदालत में दायर आवेदन में बराक भुबन वन्यजीव अभयारण्य के भीतर भुबन पहाड़ी तक एक अनधिकृत सड़क सहित अवैध निर्माण को लेकर चिंता जताई गई थी। यह निर्माण वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के अनुसार केंद्र सरकार से अनुमति लिए बिना किए गए थे। मामला असम के कछार जिले का है।