
60 फीसदी लोग केवल पानी से हाथ धोते हैं, जो कीटाणुओं को नहीं हटाता। साबुन से 20 सेकंड तक हाथ धोना जरूरी है, खासकर नोरोवायरस जैसे खतरनाक वायरस से बचने के लिए।
सही समय पर साबुन से हाथ धोने से डायरिया की बीमारियां 50 फीसदी और सांस की बीमारियां 25 फीसदी तक कम हो सकती हैं।
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे हर साल 15 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2008 में हुई थी और यह दिन अब एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है।
आज भी दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा, करीब 18 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनके पास हाथ धोने के लिए साबुन उपलब्ध नहीं है।
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे का मकसद है कि लोग हर दिन हाथ धोने की अच्छी आदत अपनाएं और इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।
हर साल 15 अक्टूबर को दुनिया भर में ग्लोबल हैंडवाशिंग डे मनाया जाता है। यह दिन हमें एक बहुत ही सरल लेकिन अहम आदत की याद दिलाता है जो है साबुन और पानी से हाथ धोना। यह केवल एक दिन नहीं, बल्कि एक वैश्विक अभियान है, जिसका मकसद लोगों को हाथों की स्वच्छता के प्रति जागरूक करना और बीमारियों से बचाव करना है।
हाथ धोना क्यों है जरूरी?
हमारे हाथ दिनभर कई जगहों को छूते हैं जैसे- दरवाजे, मोबाइल, पैसे, टॉयलेट, खाना और बहुत कुछ। इन सतहों पर कई तरह के कीटाणु होते हैं। अगर हम हाथ धोए बिना खाना खाते हैं या चेहरा छूते हैं, तो ये कीटाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और हमें बीमार कर सकते हैं।
हाथ धोने से दस्त (डायरिया) की बीमारियां 50 फीसदी तक कम हो सकती हैं। सांस से जुड़ी बीमारियां (जैसे खांसी, सर्दी, निमोनिया) 25 फीसदी तक कम हो सकती हैं।
कब-कब हाथ धोना जरूरी है?
हाथ धोना तभी असरदार होता है जब हम सही समय पर इसे करें। कुछ जरूरी समय जिसमें टॉयलेट के बाद, खाना खाने से पहले और खाना बनाने से पहले, बीमार व्यक्ति की देखभाल करने के बाद, खांसने या छींकने के बाद, बाहर से घर आने के बाद शामिल हैं।
साबुन से हाथ धोना क्यों जरूरी है?
कई लोग सिर्फ पानी से हाथ धोते हैं, लेकिन यह काफी नहीं है। आंकड़ों के अनुसार, करीब 60 फीसदी लोग केवल पानी से हाथ धोते हैं। जबकि साबुन का इस्तेमाल कीटाणुओं को प्रभावी ढंग से हटाता है।
कुछ वायरस जैसे नोरोवायरस पर हैंड सैनिटाइजर काम नहीं करता, लेकिन साबुन और पानी से इन्हें हटाया जा सकता है। इसलिए हमेशा कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोना चाहिए।
भारत की स्थिति
भारत में हाथ धोने की आदतों को लेकर आंकड़े चिंताजनक हैं, यहां केवल 36 फीसदी लोग खाना खाने से पहले हाथ धोते हैं। बड़ी संख्या में लोग हाथ धोने के लिए साबुन का उपयोग नहीं करते, ग्रामीण क्षेत्रों में साबुन की उपलब्धता अब भी एक चुनौती है। इसलिए यह जरूरी है कि हम सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए हाथ धोने की आदत को अपनाएं और फैलाएं।
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे का इतिहास
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे की शुरुआत 2008 में हुई थी। इस दिन पहली बार दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में 12 करोड़ बच्चों ने हाथ धोकर हिस्सा लिया। यह दिन वैश्विक हाथ धुलाई साझेदारी (ग्लोबल हैंडवॉशिंग पार्टनरशिप) द्वारा शुरू किया गया था। तब से यह हर साल 15 अक्टूबर को मनाया जाता है।
हर साल एक खास थीम रखी जाती है, जिसके जरिए स्कूल, अस्पताल, संस्थान और आम लोग हाथ धोने के महत्व को समझते और दूसरों को समझाते हैं।
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे का मकसद साबुन और साफ पानी की सुलभता सुनिश्चित करना। स्कूलों और घरों में हाथ धोने की जगह बनाना। बच्चों को बचपन से स्वच्छता की शिक्षा देना। लोगों को यह समझाना कि स्वच्छ हाथों से हम कई बीमारियों से बच सकते हैं।
हम सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हर किसी को साबुन और पानी से हाथ धोने का अधिकार मिले। सरकार, स्कूल, सामाजिक संगठन और आम लोग मिलकर इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
स्वच्छ हाथों के लिए सुझाव
हमेशा साबुन और साफ पानी से हाथ धोएं
कम से कम 20 सेकंड तक हाथों को रगड़ें – हथेली, उंगलियों के बीच, नाखूनों के नीचे
बच्चों को छोटी उम्र से हाथ धोने की आदत डालें
ऑफिस, स्कूल और सार्वजनिक स्थानों पर हैंडवाशिंग स्टेशन बनाएं
अगर साबुन नहीं है, तो सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें (कम से कम 60 फीसदी अल्कोहल वाला)
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे हमें याद दिलाता है कि स्वास्थ्य हमारे हाथों में है सचमुच एक छोटा सा कदम, जैसे साबुन से हाथ धोना, बड़ी बीमारियों को रोक सकता है।