कचरा प्रबंधन पर सिक्किम की रिपोर्ट में पाई गई खामियां, एनजीटी ने तलब की नई रिपोर्ट

अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि प्रत्येक शहरी क्षेत्र में हर दिन कितgaना कचरा पैदा हो रहा है, इसका प्रसंस्करण कैसे किया जाता है
फोटो: आईस्टॉक
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सिक्किम से एक नई रिपोर्ट पेश करने को कहा है, जिसमें यह बताया गया हो कि वह राज्य में ठोस और तरल कचरे का प्रबंधन कैसे कर रहा है। न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की बेंच ने सिक्किम द्वारा दाखिल रिपोर्ट में कई खामियां पाई थी, इसलिए नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 14 अक्टूबर, 2025 को करेगी।

गौरतलब है कि न्यायाधिकरण सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुरूप ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन की देखरेख कर रहा है। सिक्किम द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद एनजीटी ने कई मुद्दों पर ध्यान दिया और कहा कि रिपोर्ट में वास्तविक स्थिति को स्पष्ट रूप से नहीं दिखाया गया है।

अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि प्रत्येक शहरी क्षेत्र में प्रतिदिन कितना ठोस कचरा पैदा हो रहा है, इसका प्रसंस्करण कैसे किया जाता है। इसके साथ ही अपशिष्ट प्रबंधन में मौजूद अंतराल और उसको दूर करने के लिए किसी स्पष्ट समयबद्ध योजना का खुलासा नहीं किया गया है।

गंगटोक की मार्टम साइट पर अभी भी लम्बे समय से जमा एक लाख मीट्रिक टन कचरे का उपचार किया जाना है, जिसके दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। हालांकि, रिपोर्ट में साफ की गई मिट्टी की गुणवत्ता या 1.29 लाख मीट्रिक टन कचरे को हटाने के बाद कितनी जमीन दोबारा हासिल हुई है, इस बारे में खुलासा नहीं किया गया है।

ऐसे में अदालत ने आदेश दिया है कि अगली रिपोर्ट में अपशिष्ट प्रसंस्करण में मौजूद अंतराल और शहरी क्षेत्रों में पुराने कचरे का आकलन के बारे में विवरण शामिल होने चाहिए।

16 जनवरी, 2025 का यह आदेश 24 जनवरी, 2025 को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।

किस क्षेत्र में कितना सीवेज पैदा हो रहा है इसकी नहीं दी गई जानकारी

रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया है कि प्रत्येक शहरी क्षेत्र में कचरे का प्रसंस्करण कैसे किया जा रहा है या संसाधित सामग्री और बचे हुए कचरे को कहां भेजा जाता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रत्येक शहरी क्षेत्र की स्थिति को स्पष्ट प्रारूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

सीवेज प्रबंधन के बारे में न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार 40 एमएलडी सीवेज उत्पन्न करने की रिपोर्ट करती है, लेकिन प्रत्येक शहरी क्षेत्र में कितना सीवेज पैदा हो रहा है, इसका कोई विवरण नहीं है। इसी तरह रिपोर्ट में गंगटोक के ट्रीटमेंट प्लांट का उल्लेख है, लेकिन यह नहीं बताया गया है कि कितने घर इससे जुड़े हैं या कितने घर सेप्टिक टैंक पर निर्भर हैं।

इसके अलावा रिपोर्ट में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) या मोबाइल ट्रीटमेंट यूनिट (एमटीयू) के प्रदर्शन और परिणाम शामिल नहीं हैं। इसमें एमटीयू की विशेषताओं, प्रभावशीलता और उपयोगिता के बारे में भी विवरण नहीं दिया गया है। इसके अलावा, जिन क्षेत्रों में आबादी कम है, वहां विकेंद्रीकृत (मॉड्यूलर) एसटीपी का उपयोग करने के प्रयासों का भी कोई उल्लेख रिपोर्ट में नहीं किया गया है।

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