एमपीपीसीबी के बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के आंकड़ों में मिली खामियां, एनजीटी ने तलब की विस्तृत रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
एमपीपीसीबी के बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के आंकड़ों में मिली खामियां, एनजीटी ने तलब की विस्तृत रिपोर्ट
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर गठित संयुक्त समिति की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वेबसाइट पर डाले गए बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े आंकड़ों में खामियां पाई गई हैं जिसके बाद कोर्ट ने बोर्ड से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

गौरतलब है कि समिति को बायो-मेडिकल वेस्ट के उत्पादन, संग्रह और निपटान की मात्रा के बीच बड़ा अंतर देखने को मिला था। इतना ही नहीं समिति ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि इससे जुड़ी मौजूदा सुविधाएं अपनी औसत क्षमता का करीब 30 फीसदी ही काम कर रही हैं। 

12 जुलाई, 2022 को मध्य प्रदेश राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण ने एनजीटी से जो जानकारी साझा की है उसके अनुसार मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) और सामान्य जैव चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा (सीबीडब्ल्यूटीएफ) के साथ पंजीकृत बिस्तरों की संख्या के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर देखने को मिला है। इसके विश्लेषण की सिफारिश भी समिति ने अपनी रिपोर्ट में की है, जिससे एसईआईएए द्वारा इसपर आवश्यक कार्रवाई की जा सके।    

इस मामले में एनजीटी की भोपाल स्थित सेंट्रल जोन बेंच ने एमपीपीसीबी को 25 जुलाई, 2022 से पहले एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।  

प्रयागराज में बिना सुरक्षा उपकरणों के नालों की सफाई कर रहे कर्मचारी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी व नगर आयुक्त भेजा सम्मन

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जे.जे. मुनीर की बेंच ने प्रयागराज के जिलाधिकारी और नगर आयुक्त को सम्मन भेजा है और उन्हें मामले की अगली सुनवाई जोकि 25 जुलाई, 2022 को होने है उसमें व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है। मामला प्रयागराज में बिना सुरक्षा उपकरणों के कर्मचारियों द्वारा नालों की सफाई से जुड़ा है।

गौरतलब है कि उत्तप्रदेश के प्रयागराज में बिना किसी सुरक्षात्मक गियर के सफाई कर्मचारियों द्वारा नालों की सफाई के संबंध में 24 मई, 2022 को एक खबर समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थी, जिसपर संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका कोर्ट में दायर की गई थी। 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय का कहना है कि रिकॉर्ड में रखी गई तस्वीरें यह स्पष्ट करती हैं कि श्रमिकों को कोई सुरक्षात्मक गियर प्रदान नहीं किए गए थे और वो कमर से ज्यादा पानी से भरी गहराई वाले नालों में उतर का सफाई कर रहे थे। इनमें से कई नाले तो खुले क्षेत्रों में हैं इसके बावजूद अभी भी इन नालों की सफाई के लिए मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि यह दावा किया जाता है कि नगर निगम के पास कई मशीनें उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग नालियों की सफाई के लिए किया जा रहा है।

पन्ना के जलस्रोतों में गन्दा पानी छोड़ने पर एनजीटी सख्त, सख्ती से निपटने का दिया आदेश 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पन्ना के कलेक्टर और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वहां जल स्रोतों में गन्दा पानी न छोड़ा जाए। साथ ही इन जल निकायों या सार्वजनिक भूमि पर कोई अवैध अतिक्रमण न होने पाए।

न्यायमूर्ति श्यो कुमार सिंह की पीठ ने मध्य प्रदेश राज्य को इस मामले में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट दाखिल करने और आदेश के पालन में क्या कदम उठाएं हैं उसके लिए दो सप्ताह का समय और दिया है। एनजीटी का आदेश आवेदक सर्वम रीतम खरे द्वारा 31 जुलाई, 2021 को कोर्ट में दी याचिका के मामले में आया है जिसमें उन्होंने पन्ना शहर से गंदे पानी को सीधे नालों के जरिए नदियों में छोड़े जाने की बात कही थी।

प्लास्टिक कचरे के मामले में केरल ने एनजीटी में दाखिल की रिपोर्ट

केरल के स्थानीय स्वशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए राज्य सरकार द्वारा जो कदम उठाए हैं उससे जुड़ी एक रिपोर्ट एनजीटी में सबमिट की है। रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि कुन्नमथानम, पठानमथिट्टा में एक एकीकृत प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा की स्थापना के लिए राशि को मंजूरी दी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक इसके लिए केरल पुनर्निर्माण पहल योजना के तहत 456 लाख रुपए की राशि मंजूर की गई है। इसके साथ ही केरल में सुचितवा मिशन ने शहरी स्थानीय निकायों के लिए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन और रिसोर्स रिकवरी फैसिलिटी (आरपीएफ) के लिए आवेदन मंगाएं हैं। 

गौरतलब है कि सुचितवा मिशन, विश्व बैंक की वित्तीय सहायता से केरल की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना है। इस परियोजना का उद्देश्य क्षेत्रीय स्तर और केरल में चुनिंदा शहरी क्षेत्रों (शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी)) में अपशिष्ट प्रबंधन सेवाओं के लिए संस्थागत और सेवा वितरण प्रणाली को मजबूत करना है।

इस मामले में एनजीटी में 14 जुलाई, 2022 को सबमिट रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचीबद्ध एजेंसियां ​​केरल में शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के साथ मिलकर काम करेंगी। इनका उद्देश्य गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक का 100 फीसदी प्रसंस्करण सुनिश्चित करना है, जिसे यूएलबी द्वारा अलग और एकत्र किया गया है।

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