मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए क्या उठाए गए हैं कदम, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से मांगा जवाब

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए क्या उठाए गए हैं कदम, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से मांगा जवाब
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सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। इस हलफनामे में 'हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन के प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013' के लिए उठाए गए कदमों का रिकॉर्ड मांगा गया है।

साथ ही कोर्ट ने सरकार से 'मैला ढोने वालों' की परिभाषा के अंतर्गत आने वाले ऐसे व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए क्या कदम उठाए हैं इसपर भी जानकारी मांगी है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने 22 फरवरी, 2023 को दिए आदेश में केंद्र सरकार से निम्न बातों पर जानकारी मांगी है :

  1. सूखे शौचालयों को हटाने/उठाने की दिशा में राज्यवार उठाए गए कदम।
  2. छावनी बोर्डों और रेलवे में सूखे शौचालयों और सफाई कर्मचारियों की स्थिति।
  3. रेलवे और छावनी बोर्डों में सफाई कर्मचारियों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार यानी ठेकेदारों के माध्यम से है या अन्यथा इस बारे में जानकारी।
  4. राज्यों में नगर निगम की स्थापना और उपकरणों की प्रकृति (साथ ही तकनीकी उपकरणों का विवरण), ऐसे निकायों द्वारा सीवेज सफाई को मशीनीकृत करने के लिए उठाए कदम।
  5. सीवेज से होने वाली मौतों की रियल टाइम नजर रखने के लिए इंटरनेट आधारित समाधान विकसित करने की व्यवहार्यता। साथ ही परिवारों को दिए मुआवजे और पुनर्वास के लिए सरकार सहित संबंधित अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई।

जानिए क्यों एनजीटी ने 2,100 करोड़ रूपए जमा करने का दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक महीने के अंदर 2,100 करोड़ रूपए जमा करने का निर्देश दिया है। इस राशि को गुजरात के मुख्य सचिव की देखरेख में एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए बनाए खाते में जमा करना है। यह आदेश 23 फरवरी, 2023 को जारी किया गया है।

साथ ही कोर्ट ने गुजरात को एक महीने के भीतर उचित चैनलाइजेशन के लिए पुराने कचरे की बायोमाइनिंग से उत्पन्न रिजेक्ट्स (इनर्ट्स, आरडीएफ) का उपयोग करने की रणनीति तैयार करने के लिए भी कहा गया है।

कोर्ट ने 15,725 सामुदायिक कम्पोस्ट पिट्स का भी उचित रखरखाव करने की बात कही है जिससे उत्पादित खाद का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। इस सन्दर्भ में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को एक महीने के भीतर उनके उपयोग के लिए पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित तरीकों का पता लगाने का कार्य सौंपा गया है।

वहीं गुजरात के मुख्य सचिव ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि राज्य में पैदा हो रहे सीवेज और उसके उपचार में करीब 1,005 एमएलडी का अंतर है।

वैकल्पिक जलाशय के निर्माण में कितनी हो चुकी है प्रगति, सुप्रीम कोर्ट ने एचएमडब्ल्यूएसएसबी से मांगी रिपोर्ट

हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड (एचएमडब्लूएसएसबी) को सुप्रीम कोर्ट ने एक वैकल्पिक जल निकाय के विकास के लिए किए गए निर्माण कार्य की स्थिति पर प्रगति रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया है। यह आदेश 21 फरवरी 2023 को जारी किया गया है। गौरतलब है कि हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड ने लिंगम कुंटा टैंक क्षेत्र में एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाया था। लिंगम कुंटा टैंक रंगारेड्डी जिले में एक ताजे पानी की टंकी है।

गौरतलब है कि इस मामले में 13 अगस्त, 2021 को एनजीटी ने निर्देश दिया था। इस आदेश में उस क्षेत्र के नदी बेसिन में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा कब्जा की गई सीमा से दोगुनी सीमा तक एक वैकल्पिक जल निकाय बनाने की बात कही गई थी। जानकारी दी गई थी कि 13 अगस्त, 2021 को एनजीटी के निर्देशानुसार एक वैकल्पिक जल निकाय के विकास का काम कार्य प्रगति पर है और एनजीटी द्वारा नियुक्त समिति द्वारा उसकी निगरानी की जा रही है।

हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायलय को सूचित किया है कि पूरी परियोजना 31 अक्टूबर, 2023 तक पूरी होने की संभावना है। एनजीटी द्वारा नामित समिति को सर्वोच्च न्यायालय ने नवंबर, 2023 के पहले सप्ताह तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।

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