नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वर्ली, मुंबई में स्थित हाजी अली दरगाह और उसके आसपास फेंकें जा रहे कचरे की जांच का निर्देश दिया है। इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 18 जुलाई, 2022 को एक आदेश जारी करते हुए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी), महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) और ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) के अधिकारियों को मौके का निरीक्षण करने के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि यह निरिक्षण हाजी अली दरगाह ट्रस्ट की उपस्थिति में किया जाएगा। साथ ही इस जगह को साफ रखने के लिए समिति भविष्य के लिए कार्य योजना भी प्रस्तावित करेगी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि समिति को इस मामले में चार सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि हाजी अली दरगाह ट्रस्ट और एमपीसीबी द्वारा दायर हलफनामे से पता चलता है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ट्रस्ट द्वारा कुछ कदम उठाए गए हैं।
इस मामले में छह छात्रों - आमिर शेख, दीपक चटप और अन्य ने एनजीटी में आवेदन किया था जिसमें कहा गया था कि कि ठोस कचरे का सही तरीके से प्रबंधन न होने के कारण, जिसमें धार्मिक समारोहों से संबंधित सामग्री जैसे फूल, प्लास्टिक और कपड़ा उत्पाद आदि शामिल है, उन्हें धर्मस्थल के चारों ओर अरब सागर में डंप किया जा रहा है।
गोवा में रेत के टीलों पर होता निर्माण, एनजीटी ने केंद्र से मांगा जवाब
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गोवा में रेत के टीलों पर होते निर्माण के मामले में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), सहित गोवा तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (जीसीजेडएमए) से जवाब मांगा है। मामला नोवा रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है जिसने गोवा में रेतीले टीलों पर निर्माण किया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने नोवा रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और जल संसाधन विभाग को भी चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब हलफनामा के रूप में दाखिल करने के लिए कहा है। गौरतलब है कि इस मामले में गोवा तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (जीसीजेडएमए) के आदेश के खिलाफ अपील करते हुए पॉल लोबो सहित तीन अन्य लोगों ने आवेदन दायर किया था। इस मामले में अपीलकर्ताओं ने जीसीजेडएमए में भी अपील की थी लेकिन उनकी नोवा रिसॉर्ट्स के पक्ष में फैसला देते हुए जीसीजेडएमए का कहना था कि उल्लंघनों के लिए अनुमति को रद्द करने की जरुरत नहीं है।
आवेदक ने जो सबूत पेश किए हैं उनके अनुसार 30 अप्रैल, 2015 को इस स्थल के निरीक्षण में यह पाया गया था कि इस परियोजना का निर्माण रेत के टीलों पर किया गया था। यह परियोजना जिस तटीय पट्टी पर चल रही थी, वो रेत के टीले में पाई गई थी। इस मामले में जीसीजेडएमए द्वारा जो आदेश पारित क्या गया था उसमें भी उसने स्वीकार किया है कि मौके पर रेत के टीले मौजूद थे, लेकिन फिर भी परियोजना की अनुमति रद्द नहीं की गई थी।
दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी द्वारा जेट्टी निर्माण को लेकर एनजीटी में मामला दर्ज
सूरत स्थित ब्रैकिश वाटर रिसर्च सेंटर नामक एक एनजीओ ने दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी द्वारा किए जा रहे जेट्टी निर्माण को लेकर एनजीटी में मामला दर्ज करने की अपील की है। गौरतलब है कि दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी पर्यावरण मंजूरी के बिना ही अपने अपने ठेकेदारों की मदद से इस जेट्टी का निर्माण करवा रही थी। जानकारी मिली है कि इस मामले में संबंधित अधिकारियों से भी संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
इस मामले में एनजीटी की पश्चिमी क्षेत्र खंडपीठ, पुणे के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने आवेदन स्वीकार कर लिया है और कहा है कि यह मामला पर्यावरण से जुड़ा है। ऐसे में कोर्ट ने प्रतिवादियों को अपना जवाब हलफनामे के रूप में जमा करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त, 2022 को होगी।