नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 7 नवंबर, 2022 को निर्देश दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक कचरे के मामले में सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रदूषण नियंत्रण समितियां, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी रिपोर्ट का पालन करें। साथ ही कोर्ट ने सीपीसीबी को भी सभी पीसीबी और पीसीसी के सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साल में कम से कम दो बार स्थिति की निगरानी करने के लिए कहा है।
गौरतलब है कि इस मामले में सीपीसीबी रिपोर्ट ने कोर्ट को जानकारी दी है कि अधिकृत ई-वेस्ट डिस्मेंटलर और रीसायकल करने वालों से यह ई-वेस्ट अनौपचारिक क्षेत्र तक पहुंच रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन ई-वेस्ट डिस्मेंटलर और रीसायकल करने वालों के पास जितना इलेक्ट्रॉनिक कचरा पहुंच रहा है वो उनकी वास्तविक प्रोसेसिंग क्षमता से ज्यादा है, जिस वजह से यह फैल रहा है।
वन्यजीव और पारिस्थितिकी तंत्र पर रणथंभौर संगीत समारोह के प्रभाव को नहीं किया जाना चाहिए नजरअंदाज: एनजीटी
एनजीटी का कहना है कि रणथंभौर में टाइगर रिजर्व के पास प्रस्तावित रणथंभौर संगीत समारोह राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और राजस्थान मुख्य वन्यजीव वार्डन की संयुक्त समिति द्वारा निर्धारित शर्तों के अधीन आयोजित किया जा सकता है। मामला राजस्थान के रणथंभौर का है।
एनजीटी ने इस मामले में 7 नवंबर, 2022 को दिए अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि वन्यजीव और पारिस्थितिकी तंत्र पर इस संगीत समारोह के प्रभाव को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। साथ ही इस मामले में एनजीटी ने जल्द से जल्द फैसला लेने की बात कही है।
इस मामले में एनजीटी के न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ न कहा है कि देश में अन्य राष्ट्रीय उद्यानों के आसपास इस तरह की घटनाओं के सम्बन्ध में एक महीने के भीतर उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए। यह दिशा-निर्देश राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण सहित अन्य संबंधित प्राधिकरणों के साथ मिलकर राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को जारी करने हैं।
जानिए क्यों एनजीटी ने ऊना जिला मजिस्ट्रेट को दिया सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश
एनजीटी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक और हिमाचल प्रदेश वन बल प्रमुख के साथ ऊना के जिला मजिस्ट्रेट को 13 जनवरी, 2023 को होने वाली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। मामला ऊना जिले में दौलतपुर-गगरेट गुगलेहड़ रोड पर खड़े आम के 200 पेड़ों की छंटाई से जुड़ा है।
इस मामले में ऊना की घानारी तहसील में देवली गांव के निवासी अविनाश विद्रोही ने एनजीटी में अपील की थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि वन विभाग से आवश्यक अनुमति लिए बिना ही लोक निर्माण विभाग ने इन 200 फलदार आम के पेड़ों की सभी शाखाओं की छंटाई एक ठेकेदार के माध्यम से कराई है।
आवेदक का कहना है कि यह कार्य हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित सुरक्षात्मक निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए बिना किसी निविदा या कार्य आदेश के किया गया था। ऐसे में एनजीटी ने पीसीसीएफ (एचओएफएफ), हिमाचल प्रदेश और ऊना जिला मजिस्ट्रेट को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
बांदा अवैध खनन मामले में एनजीटी ने जिला मजिस्ट्रेट को किया तलब
एनजीटी ने अवैध खनन मामले में सहायता के लिए बांदा जिला मजिस्ट्रेट और उत्तर प्रदेश खनन और भूविज्ञान निदेशक द्वारा नामित अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। मामला उत्तर प्रदेश में बांदा जिले की पहाड़ियों में होते अवैध खनन का है।
गौरतलब है कि आवेदक रज्जन पाण्डेय ने इस मामले में 28 फरवरी, 2022 को एक आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने बांदा के नाहरी और खलारी गांव की पहाड़ियों में पर्यावरण नियमों को ताक पर रख हो रहे अवैध खनन, क्रशिंग एवं ब्लास्टिंग के संबंध में कोर्ट में आवेदन दाखिल किया था। इस मामले में एनजीटी द्वारा 13 जुलाई, 2022 को गठित संयुक्त समिति को मामले पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय दिया गया था।
कोर्ट ने संयुक्त समिति को विचाराधीन खनन स्थलों का दौरा करने के साथ आवेदक की शिकायतों को देखने, परियोजना प्रस्तावक द्वारा पर्यावरणीय नियमों और ईसी शर्तों के अनुपालन के बारे में तथ्यों की पुष्टि करने और इसपर आवश्यकतानुसार उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।