सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कचरा प्रबंधन के लिए आरक्षित जमीन पर व्यावसायिक उपयोग की अनुमति दी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कचरा प्रबंधन के लिए आरक्षित जमीन पर व्यावसायिक उपयोग की अनुमति दी
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दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डीएसआईआईडीसी) को भूमि उपयोग के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने डीएसआईआईडीसी को रानीखेड़ा-मुंडका में जमीन के व्यवसायिक उपयोग की मंजूरी दे दी है। इस जमीन को पहले ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आरक्षित रखा गया था।

गौरतलब है कि डीएसआईआईडीसी ने सुप्रीम कोर्ट में एनजीटी द्वारा 14 दिसंबर, 2017 के आदेश द्वारा लगाई रोक को हटाने की मांग करते हुए अपील दायर की थी। मामले में एनजीटी ने निर्देश दिया था कि जब तक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए भूमि का मुद्दा हल नहीं हो जाता, तब तक अपीलकर्ता दिल्ली के रानीखेड़ा-मुंडका में 147 एकड़ भूमि पर व्यावसायिक भवन बनाने के लिए काम नहीं करेगा या करने देगा।

डीएसआईआईडीसी ने 21 दिसंबर, 2021 की बैठक का एक नोट रिकॉर्ड में रखा है, जिसमें मुख्य सचिव और उपराज्यपाल ने निर्णय लिया था कि विचाराधीन जमीन अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आवश्यक नहीं है और इस प्रकार इसका उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

वहीं डीएसआईआईडीसी ने अपील की थी कि यह जमीन अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि यह 200 मीटर के दायरे में छह से सात लाख की आबादी से घिरी हुई है। अपीलकर्ता का यह भी कहना था कि वो ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जिम्मेवार नहीं हैं।

दिल्ली नगर निगम ने एनजीटी के समक्ष इस संबंध में हुई प्रगति के बारे में बताया है। कहा गया कि अपीलकर्ता ने साइट पर लाइट मैन्युफैक्चरिंग हब में 91.55 करोड़ रुपये का निवेश किया है जो 15 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करेगा। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) दोनों ने ही  जमीन पर अपनी अनापत्ति दे दी है।

वहीं एमसीडी के हलफनामे से पता चला है कि रानीखेड़ा-मुंडका में कुछ वैकल्पिक जमीन मौजूद है क्योंकि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए पूर्वी डीएमसी को इसकी आवश्यकता नहीं है।

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट: क्यों सर्वोच्च न्यायायल ने नीरी को किया नियुक्त

सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई, 2023 को नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) को यह सत्यापित करने का निर्देश दिया है कि क्या अमरावती नगर निगम ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 और जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का "पालन" किया है।

अदालत इस मामले पर 22 सितंबर, 2023 को अगली सुनवाई करेगा।

लखनऊ में एक आवासीय कॉलोनी के पास कूड़ा डंपिंग यार्ड की जांच करेगी समिति

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक अगस्त, 2023 को एक संयुक्त समिति से लखनऊ में साउथ सिटी कॉलोनी के पास कचरा डंपिंग यार्ड के मामले की जांच का निर्देश दिया है। इसके लिए एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी), जिला मजिस्ट्रेट (डीएम), लखनऊ के साथ आयुक्त, नगर निगम, लखनऊ को लेकर एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में समिति से साइट का दौरा करने के साथ शिकायतों पर गौर करने, और स्थिति की पुष्टि करने के साथ कानून का पालन करते हुए उचित उपचारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश है।

अपनी याचिका में आवेदक चंद्र प्रकाश जोकि साउथ सिटी जन कल्याण समिति के महासचिव हैं, उन्होंने शिकायत की थी कि नगर निगम, लखनऊ ने करीब 2,300 वर्ग मीटर में फैला कूड़ा डंपिंग यार्ड बनाया है। यह लखनऊ के रायबरेली रोड पर स्थित साउथ सिटी कॉलोनी के करीब है जो अन्य आवासीय कॉलोनियों से घिरा हुआ है।

शिकायत है कि मृत और सड़े हुए जानवरों समेत टनों कचरा और गंदगी कॉलोनियों से एकत्र की जाती है और साउथ सिटी कॉलोनी के कचरा डंपिंग यार्ड में फेंक दी जाती है। शिकायतकर्ता का कहना है कि आवेदन में उन्होंने कूड़े के ढेर को नगर निगम, लखनऊ के शिवरी कूड़ा क्रशिंग प्लांट या किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने की प्रार्थना की है।

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