खुद जाकर प्लास्टिक कचरे की स्थिति का जायजा लेंगें उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार
खुद जाकर प्लास्टिक कचरे की स्थिति का जायजा लेंगें उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश
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क्या प्लास्टिक कचरे के संग्रह और निपटान के मामले में अदालती आदेश का पालन हो रहा है, यह जानने के लिए उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नैनीताल जिले के धानाचूली गांव का दौरा करेंगें। साथ ही वो यह जानने का प्रयास करेंगे कि इस आदेश के पालन में क्या बाधा आ रही है।

जानकारी मिली है कि यह विजिट संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के साथ आयोजित की जाएगी। साथ ही इस विजिट में उत्तराखंड राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य सचिव, जिला पंचायत के कार्यकारी अधिकारी, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी और हल्द्वानी, ग्राम विकास अधिकारी भी शामिल होंगें। यह यात्रा 8 सितंबर 2022 को दोपहर 02:00 बजे आयोजित की जाएगी।

गौरतलब है कि कोर्ट द्वारा धानाचूली गांव का यह दौरा उस जानकारी के बाद लिया गया है जिसमें बताया गया है कि नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कचरे के संग्रह और निपटान के लिए धरातल पर काम नहीं किया गया है।

इस बारे में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की पीठ का कहना है कि राज्य में घूमते हुए उन्हें सड़कों पर बहुत सारा प्लास्टिक कचरा पड़ा हुआ दिखा था। कोर्ट के अनुसार निरीक्षण के बाद ही अग्रिम आदेश पारित किए जाएंगे। मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को की जाएगी।

शिकारीपाल्या झील के कायाकल्प का मामला, समिति ने कोर्ट में सबमिट की रिपोर्ट

संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में एनजीटी को जानकारी दी है कि शिकारीपाल्या झील से गाद निकालने का काम पूरा कर लिया गया है। साथ ही उसमें डंप कचरे को हटा दिया गया है और अपशिष्ट जल के उपचार के लिए सात फ्लोटिंग वेटलैंड/ लैगून का निर्माण किया गया है।

गौरतलब है कि इन तैरती हुई आद्रभूमियों/लैगून से गुजरने के बाद, अपशिष्ट से पोषक तत्व को हटा दिया जाता है और अंत में साफ किए पानी को नाले में छोड़ दिया जाता है। फिर प्राकृतिक तौर पर साफ होने के बाद यह नाला नीचे झील में मिल जाता है। जानकारी मिली है कि झील के चारों ओर बांस और बोगनवेलिया के पौधे लगाए गए हैं जो बायो फेंसिंग का काम करेंगें।

जानकारी मिली है कि करीब 90 फीसदी झील का कायाकल्प किया जा चुका है और केवल 10 फीसदी कार्य जैसे कि पौधे लगाना, जैव बाड़ लगाना आदि ही बाकी बचा है। यह झील  बैंगलोर की अनेकल में मारगोंडानाहल्ली गांव में है। शिकारीपाल्या झील में बढ़ते अतिक्रमण और प्रदूषण को लेकर मन्नी रंजन और अन्य द्वारा एनजीटी  में एक आवेदन दायर किया गया था, जिसपर कार्रवाई करते हुए कोर्ट ने संयुक्त समिति गठित की थी।

मराडू नगरपालिका में फ्लैटों को गिराने के बाद हटाया गया 69,600 टन मलबा: रिपोर्ट

केरल के एर्नाकुलम की मराडू नगरपालिका में फ्लैटों को गिराने के बाद मलबा हटाने का काम पूरा हो गया है। यह जानकारी स्थानीय स्वशासन विभाग द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सबमिट रिपोर्ट में सामने आई है। पता चला है कि इन फ्लैटों के टूटने से पैदा हुए कचरे को हटाने का काम बैक वाटर से भी पूरा हो गया है। अनुमान है कि विभिन्न स्थानों से कुल 69,600 टन कचरा हटाया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मराडू नगर पालिका ने निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के सभी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए अपने कर्तव्यों का पालन किया है। साथ ही 30 अगस्त, 2022 को सबमिट इस रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि पानी की गुणवत्ता मणि किसी तरह की गिरावट की पहचान नहीं की गई है।

गौरतलब है कि जनवरी 2020 में, तटीय क्षेत्र सम्बन्धी नियमों का उल्लंघन करने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मराडू में चार अपार्टमेंट परिसरों को ध्वस्त कर दिया गया था।

तांबरम में कचरे से बनाई जा रही प्राकृतिक खाद

तांबरम नगर निगम में कुल 27 सूक्ष्म खाद केंद्र हैं और उनसे एकत्र किए गए गीले कचरे को थिरु वी का नगर माइक्रो कंपोस्टिंग सेंटर को भेज दिया जाता है, जहां इसे खाद बनाने के लिए प्रोसेस किया जाता है। साथ ही इससे उत्पन्न होने वाले रीसायकल करने योग्य कचरे को अलग कर दिया जाता है और अनकापुथुर रीसाइक्लिंग प्लांट में भेज दिया जाता है, जहां इसे विक्रेताओं को बेचा जाता है। 

पिछले कुछ महीनों में तांबरम नगर निगम ने करीब 970 मीट्रिक टन प्राकृतिक खाद का उत्पादन किया है और उसमें से 133 मीट्रिक टन खाद स्थानीय निवासियों को मुफ्त में दी गई, जबकि 598 मीट्रिक टन खाद को बेच दिया गया है।

यह जानकारी 1 सितंबर, 2022 को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड की गई रिपोर्ट में सामने आई है। जिसे तांबरम नगर निगम द्वारा एनजीटी के समक्ष दायर किया गया है।

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