कोंडली सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट मामला: एनजीटी ने पिछली रिपोर्ट पर उठाए सवाल, नई रिपोर्ट के निर्देश

मामला न्यू कोंडली, मयूर विहार, फेज-3 में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से संबंधित है, जो ठीक से काम नहीं कर रहा था। इसकी वजह से इसमें से जहरीली गैसें निकल रही थीं
कोंडली सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट मामला: एनजीटी ने पिछली रिपोर्ट पर उठाए सवाल, नई रिपोर्ट के निर्देश
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 30 अक्टूबर, 2023 को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को सभी चार चरणों में कोंडली सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के इनलेट और आउटलेट से नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया है। इसके बाद रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कोर्ट ने चार सप्ताह का समय दिया है। ट्रिब्यूनल इस मामले में 15 जनवरी, 2024 को फिर से समीक्षा करेगा।

एनजीटी के समक्ष दायर शिकायत के अनुसार यह मामला न्यू कोंडली, मयूर विहार, फेज-3 में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से संबंधित है, जो ठीक से काम नहीं कर रहा था। इसकी वजह से इसमें से जहरीली गैसें निकल रही थीं, जिससे वायु प्रदूषण हो रहा था। इसकी वजह से स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

वहीं डीपीसीसी की ओर से की गई कार्रवाई के सम्बन्ध में दायर रिपोर्ट में कहा गया है कि कोंडली चरण I और कोंडली चरण III में संयंत्र डीपीसीसी के मानकों को पूरा कर रहा है। वहीं कोंडली चरण II स्थिरीकरण प्रक्रिया में है, और कोंडली चरण IV मानकों को पूरा नहीं कर रहा है।

रिपोर्ट की समीक्षा से पता चला है कि कोंडली चरण I के एसटीपी के संबंध में दो स्लज डाइजेस्टर और दो गैस होल्डर संयंत्रों का चालू होना अभी बाकी है। वहीं आउटलेट पर ऑन-लाइन मॉनिटरिंग सिस्टम (ओएलएमएस) लगाया गया है, लेकिन वो चालू हालत में नहीं है।

कोंडली फेज II और III के संबंध में देखा गया कि चार क्लोरीनीकरण टैंक अभी भी निर्माणाधीन हैं। इसके अतिरिक्त, पांच स्लज डाइजेस्टर और दो गैस होल्डर संयंत्रों का काम पूरा हो चुका है, लेकिन वो अभी चालू नहीं हैं। कीचड़ को गाढ़ा करने के लिए स्थापित इकाई से कीचड़ को सीधे कीचड़ सुखाने वाले बेड्स में भेजा जा रहा था क्योंकि अपकेंद्रित्र इकाई और गैस उत्पादन इकाइयां अभी भी निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा, चरण II के लिए ऑनलाइन निगरानी प्रणाली (ओएलएमएस) भी स्थापित नहीं की गई है।

कोंडली फेज IV प्लांट के संबंध में, जानकारी दी गई है कि इस संयंत्र की कुल क्षमता 45 एमजीडी है, लेकिन वर्तमान में इस क्षमता का केवल आधा ही उपयोग में है। बाकी को नजरअंदाज कर दिया गया है क्योंकि संयंत्र को दोबारा स्थापित किया जा रहा है। पुनर्वास के दौर से गुजर रहा है, साथ ही उसके आउटलेट पर ऑनलाइन निगरानी प्रणाली (ओएलएमएस) स्थापित नहीं की गई है।

इसके अलावा, स्थिति रिपोर्ट के पैराग्राफ दस में, उल्लेख किया गया है कि नमूने कोंडली फेज I, II और IV में एसटीपी से एकत्र किए गए थे। हालांकि, इसमें आगे कहा गया है कि कोंडली चरण I और III निर्धारित मानकों को पूरा कर रहे थे। लेकिन एनजीटी ने कहा है कि आश्चर्य की बात है कि जब तीसरे फेज से कोई नमूना ही नहीं लिया गया तो वो मानकों पर खरा कैसे पाया गया।

जल जीवन मिशन के तहत अहमदनगर में बिछाई जा रही पाइपलाइन पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा हलफनामा

सुप्रीम कोर्ट ने 30 अक्टूबर 2023 को महाराष्ट्र सरकार से एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। यह हलफनामा अहमदनगर जिले के अकोलनेर गांव में जल जीवन मिशन के तहत बिछाई जा रही पाइपलाइनों की स्थिति के विषय में है। महाराष्ट्र को यह हलफनामा 19 नवंबर तक दाखिल करना होगा। अदालत ने कहा है कि सरकार ने अपने पिछले हलफनामे में यह जानकारी नहीं दी थी कि परियोजना कब तक पूरी होगी।

मामला इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन द्वारा स्थापित पेट्रोलियम स्टोरेज टैंकों और पाइपलाइनों से होते रिसाव के कारण भूजल के प्रदूषण से जुड़ा है।

फरीदाबाद में कचरे का किया जा रहा अनुचित निपटान, कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

31 अक्टूबर 2023 को, एनजीटी ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) से फरीदाबाद में कचरा संग्रहण, भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करते हुए तीन महीने के भीतर एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है

। समाचार पत्र द ट्रिब्यून में तीन अक्टूबर, 2023 को छपे एक लेख में सड़कों के किनारे, ग्रीन बेल्ट और एक्सप्रेसवे में तब्दील हो रही बाईपास रोड जैसे विभिन्न स्थानों पर कचरे के अनुचित निपटान की सूचना दी गई थी। वहीं एचएसपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि वाहन खराब होने और मेसर्स इकोग्रीन द्वारा अपर्याप्त स्टाफ की वजह से बीपीटीपी ट्रांसफर स्टेशन कचरे से भर गया है। इसकी वजह से स्टेशन के बाहर भी कचरे का ढेर लग गया है।

एनजीटी ने इस बात पर ध्यान दिया है कि बहाली और सुधार के लिए उपाए किए गए हैं। वहीं हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को पिछले उल्लंघनों के संबंध में उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही कोर्ट ने बोर्ड को निर्दिष्ट स्थान पर कचरा या किसी अन्य अपशिष्ट के जमावड़े को रोकने के लिए निर्देश दिया है।

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