सीवरेज मास्टर प्लान (एसएमपी) 2031 के अनुसार, दिल्ली के उन इलाकों से गंदे पानी को साफ करने के लिए 32 नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई गई है, जहां पहले से सुविधाएं मौजूद नहीं थी। बता दें कि इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को डीएसटीपी कहा जाता है।
यह जानकारी दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा 18 अक्टूबर, 2024 को दायर हलफनामे में दी गई हैं।
साझा की गई जानकारी के मुताबिक इनमें से एक संयंत्र सोनिया विहार में स्थापित किया गया है, जो अक्टूबर 2024 के अंत तक काम करना शुरू कर देगा। मौजूदा समय में प्रति दिन 60 करोड़ गैलन सीवेज को ट्रीट किया जा रहा है।
इसमें से 24.5 करोड़ गैलन उपचार के बाद यमुना में छोड़ा जाता है, जबकि बाकी 35.5 करोड़ में से 12 करोड़ गैलन का उपयोग खेती, बागवानी और अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।
हलफनामे के मुताबिक पुराने संयंत्रों को 10:10 मापदंडों के अनुरूप अपग्रेड किया जा रहा है। अब तक 479 एमजीडी की कुल क्षमता वाले संयंत्रों को अपग्रेड किया जा चुका है और उम्मीद है कि दिसंबर 2025 तक शेष संयंत्र भी धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से इन मानकों को पूरा कर लेंगे।
दिल्ली जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 58 झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों के 639 नालों में से 581 को पहले ही सीवेज प्रणाली से जोड़ा जा चुका है।
गौरतलब है कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने तीन सितंबर, 2024 को दायर अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि वह दिल्ली में सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) और विकेन्द्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्र (डीएसटीपी) की स्थापना और रखरखाव के लिए जिम्मेवार है। वर्तमान में, 40 में से 38 एसटीपी बनाए जा चुके हैं और आवश्यक मानकों के अनुसार काम कर रहे हैं।
डीजेबी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी थी कि घरेलू सीवेज में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) करीब 250 मिलीग्राम प्रति लीटर है। साथ ही उसमें कुल औसत निलंबित ठोस (टीएसएस) की मात्रा 250 से 300 मिलीग्राम प्रति लीटर है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 639 झुग्गी-झोपड़ी क्लस्टर (जेजेसी) हैं। अब तक इनमें से 581 क्लस्टर से निकलने वाले सीवेज को दिल्ली जल बोर्ड की सीवर प्रणाली के जरिए ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जा चुका है। इसका मतलब है कि डीजेबी द्वारा करीब 90 फीसदी जेजेसी को सीवरेज नेटवर्क से जोड़ा जा चुका है।
गौरतलब है कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों और गांवों में सीवर सेवाएं प्रदान करने के लिए 'सीवरेज मास्टर प्लान 2031' बनाया है। इस योजना के तहत 1,799 अनधिकृत कॉलोनियों और 200 से अधिक गांवों में 9,800 किलोमीटर से अधिक सीवर लाइनें बिछाना शामिल है।