बठिंडा में लम्बे समय से मौजूद 254,000 घन मीटर कचरे को कर दिया गया है साफ

नगर निगम स्रोत पर ही कचरे को अलग करने का प्रयास कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी मिश्रित कचरा प्रसंस्करण सुविधा तक न पहुंचे
कचरे का जमा पहाड़, प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
कचरे का जमा पहाड़, प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
Published on

बठिंडा नगर निगम ने 10 एकड़ में फैले वर्षों पुराने कचरे में से अधिकांश को साफ कर दिया है। जानकारी मिली है कि वहां मौजूद 3,53,000 में से 2,54,000 क्यूबिक मीटर कचरे का सफलतापूर्वक उपचार कर दिया गया है। इसके साथ ही नगर निगम की योजना नवंबर 2024 तक करीब पांच एकड़ में फैले बाकी हिस्से को साफ करने की है।

यह काम नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा दो अप्रैल, 2024 को दिए आदेश के बाद किया जा रहा है। यह जानकारी बठिंडा नगर निगम द्वारा एनजीटी में आठ अक्टूबर, 2024 को दायर जवाब में सामने आई है।

बठिंडा के मानसा रोड पर जेआईटीएफ द्वारा 2012 से संचालित नगरपालिका ठोस अपशिष्ट सुविधा हर दिन 350 टन कचरे को प्रोसेस करती है। यह सूखे कचरे को ईंधन (आरडीएफ) में और गीले कचरे को खाद में बदल देती है।

नगर निगम स्रोत पर ही कचरे को अलग करने का प्रयास कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी मिश्रित कचरा प्रसंस्करण सुविधा तक न पहुंचे। अब तक, उन्होंने 80 फीसदी कचरे को स्रोत पर अलग करने में सफलता हासिल कर ली है।

उत्तर प्रदेश में प्रगति पर है सोलानी नदी के बाढ़ क्षेत्र के सीमांकन का काम: हलफनामा

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता ने अपने हलफनामे में कहा है कि उत्तर प्रदेश में सोलानी नदी के बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन 31 दिसंबर, 2024 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। यह रिपोर्ट आठ अगस्त, 2024 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश पर नौ अक्टूबर, 2024 को अदालत में सबमिट की गई है।

यह मामला अतिक्रमण हटाने और उत्तर प्रदेश में सोलानी नदी के बाढ़ क्षेत्र का निर्धारण करने से जुड़ा है। इस नदी की कुल लम्बाई 133 किलोमीटर है, जिसमें से महज 61 किलोमीटर उत्तर प्रदेश में है, जबकि बाकी हिस्सा उत्तराखंड में है।

वहीं उत्तराखंड में सोलानी नदी के बाढ़ क्षेत्र के निर्धारण का काम सिंचाई अनुसंधान संस्थान बहादराबाद के जल विज्ञान खण्ड द्वारा किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश विभाग ने भी बाढ़ क्षेत्र के सीमांकन के लिए उसी संस्थान को काम पर रखा है।

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने बाढ़ के मैदानी क्षेत्र की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण किया है। उन्होंने बाढ़ के मैदानी क्षेत्र का निर्धारण करने में मदद करने के लिए जल विज्ञान खंड को नदी के क्रॉस-सेक्शन के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण आंकड़े प्रदान किए हैं।

सिंचाई अनुसंधान संस्थान के मुताबिक, सहारनपुर खंड में सोलानी नदी के प्रवाह से जुड़े आंकड़ों को एकत्र किया गया है, और इस क्षेत्र में बाढ़ के मैदानी क्षेत्र के निर्धारण एवं सीमांकन का काम 15 नवंबर, 2024 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।

वहीं मुजफ्फरनगर खंड में सर्वेक्षण का काम जारी है, जहां बाढ़ के मैदानी क्षेत्र सीमांकन 31 दिसंबर, 2024 तक पूरा हो जाने की संभावना है। पूरे उत्तर प्रदेश में इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए जल विज्ञान खंड और सिंचाई अनुसंधान संस्थान, रुड़की मिलकर प्रयास कर रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सहारनपुर और मुजफ्फरनगर में सोलानी नदी के बाढ़ क्षेत्र का निर्धारण करने का काम प्रगति पर है। इसके तहत हर 25 साल और 100 साल में आने वाली बाढ़ के आधार पर बाढ़ क्षेत्रों की सटीकता सुनिश्चित होगी। यह काम 31 दिसंबर, 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। 

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in